नई दिल्ली Central Government की ओर से लागू किए जा रहे Real Estate Act के दायरे में DDA भी आएगा।
इस तरह से अगर डीडीए पहले ही बुकिंग करता है और तय वक्त पर खरीददारों को मकान तैयार कर नहीं देता है तो उस पर भी वही कानून लागू होगा, जो अन्य बिल्डरों पर लागू होगा। डीडीए को भी नया हाउसिंग या कमर्शल प्रॉजेक्ट शुरू करने से पहले रेग्युलेटर से मंजूरी लेनी होगी।
यह प्रावधान हैं कि सरकार की ओर से रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। इस अथॉरिटी की न सिर्फ अपनी वेबसाइट होगी, बल्कि उसके पास पर्याप्त अधिकार भी होंगे। बिल्डर जो भी नया प्रॉजेक्ट शुरू करेगा, उसकी पूरी जानकारी रेग्युलेटर को देगा और उससे मंजूरी भी लेगा। रेग्युलेटर को बताना होगा कि उसका क्या प्रॉजेक्ट है।
उस प्रॉजेक्ट को लेकर विभागों की क्लियरेंस है या नहीं और उसे प्रॉजेक्ट के बारे में यह भी बताना होगा कि वह उसे कब तक तैयार कर लेगा। उस डेडलाइन को ही फाइनल माना जाएगा। अगर डेडलाइन को बिल्डर मिस करता है तो उस पर रेग्युलेटर जुर्माना लगा सकता है।
मंत्रालय का कहना है कि अगर Builder की ओर से मकान बनाकर देने में देरी होती है तो उस हालत में खरीददार भी Builder से Intrst वसूल सकेगा। इसके लिए SBI के लैंडिंग रेट के साथ दो फीसदी अतिरिक्त होगा। इसी तरह से अगर खरीददार पैसा चुकाने में देरी होती है तो खरीददार को भी इसी दर से ही ब्याज देना होगा।