दिल्ली कूच को अड़े किसान : सात घंटे तक शंभू बॉर्डर पर पुलिस से टकराव

पुलिस की ओर से आंसू गैस व वाटर कैनन संग रबर की गोलियों का प्रयोग किया गया। आंदोलनकारी किसानों ने पथराव किया। घायल किसानों को एंबुलेंस से राजपुरा अस्पताल भिजवाया गया। अंबाला डीएसपी आदर्शदीप भी जख्मी हो गए।

हरियाणा पंजाब की सीमा को जोड़ने वाला शंभू बाॅर्डर मंगलवार को पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत का केंद्र बन गया। यहां पर सुबह 11 बजे से लेकर शुरू हुआ पुलिस और आंदोलनकारी किसानों के बीच का टकराव देर शाम तक जारी रहा। एक तरफ आंदोलनकारी किसानों ने पथराव किया तो हरियाणा पुलिस की तरफ से सैकड़ों आंसू गैस के गोले और रबर की बुलेट दागीं गईं। इसमें 12 से अधिक आंदोलनकारी किसान घायल हो गए।

वहीं पुलिस की ओर से डीएसपी समेत 15 पुलिसकर्मी जख्मी हुए। घायल आंदोलनकारियों को पंजाब पुलिस की मदद से राजपुरा स्थित अस्पताल में उपचार के लिए भिजवाया गया। वहीं पुलिस कर्मियों को अंबाला सिटी के नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया।

इस दौरान आंदोलनकारियों ने करीब 103 बार घग्गर नदी के पुल पर बनी पक्की बैरिकेडिंग को तोड़ने की कोशिश की, मगर नाकाम रहे। पुलिस की ओर से आंसू गैस के गोलों ने आंदोलनकारियों का दम फुला दिया। आंदोलनकारी आंख, नाक व मुंह में जलन के बावजूद पुलिस से टक्कर लेते दिखे।

इस दौरान आंदोलनकारी किसानों ने पंजाब की तरफ लगी कंकरीट की बैरिकेडिंग को ट्रैक्टरों की मदद से हटा दिए, मगर घग्गर नदी के पुल पर बने कंकरीट के स्थायी नाकों को किसान तोड़ने में नाकाम रहे। खास बात यह रही कि पुलिस ने इस बार ड्रोन की मदद से भी आंसू गैस के गोलों की बौछारें की। यह सिलसिला सायं सात बजे के बाद तक जारी रहा।

केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं की वार्ता विफल होने के बाद सोमवार की शाम ही किसानों ने 10 बजे दिल्ली कूच का एलान किया था। इसके बाद मंगलवार सुबह नौ बजे तक पंजाब हरियाणा की सीमा पर घग्गर नदी के ऊपर बने पुल के पास पंजाब के कुछ स्थानीय किसान पहुंच गए। साथ ही पंजाब की तरफ से किसानों की ट्रैक्टर ट्राॅलियां आने लगीं।

इस बीच करीब 10 बजे बैरिकेडिंग के पास आकर कुछ युवा नारेबाजी करने लगे। यहां तक सब ठीक था, मगर जैसे-जैसे आंदोलनकारी किसानों की संख्या बढ़ने लगी, नाके पर युवाओं का जोश भी बढ़ता दिखा। 10 बजकर 40 मिनट पर आंदोलनकारी किसान जैसे ही उग्र हुए तो सामने से हरियाणा पुलिस ने भी एक्शन शुरू कर दिया। पहले ड्रोन को मोर्चे पर उतारा गया जो अपने साथ आंसू गैस के गोले छोड़ रहा था। ऐसे में आंदोलनकारी अधिक संख्या में जहां एकत्रित होते ड्रोन से फायर कर दिया जाता।

इस कारण आंदोलनकारी किसानों के लिए आगे बढ़कर बैरिकेडिंग ताेड़ना मुश्किल हो गया। यह सिलसिला दोपहर एक बजे तक जारी रहा। इस दौरान पीछे किसानों की ट्रैक्टर ट्रालियों की लाइन लंबी होती गई। सैकड़ों ट्रालियाें में हजारों की संख्या में किसान जमा हो गए। इस दौरान लंगर भी बरताया जा रहा था। इसके बाद एक बजकर 14 मिनट पर युवा आंदोलनकारियों ने मोर्चा संभाला और ट्रैक्टर लेकर अंबाला जाने वाले रास्ते पर आगे बढ़े। यह ट्रैक्टर विशेष तौर पर भारी वजन को खींचने के हिसाब से बने थे।

इस दौरान पुलिस लगातार आंसू गैस के गोले छोड़ रही थी। इसके बाद आंदोलनकारियों ने अंबाला पुलिस की तरफ पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने रबर बुलेट का प्रयोग शुरू कर दिया, जिससे आंदोलनकारी तो घायल हुए एक मीडियाकर्मी को भी रबर बुलेट लग गई। इसके बाद आंदोलनकारी कामयाब रहे तो अंबाला की तरफ जाने वाले रास्ते पर घग्गर के पुल के पास कंकरीट की बैरिकेडिंग को ट्रैक्टर के आगे कड़ियाें की मदद से खींच लिया। इस दौरान जो आंसू गैस के गोले आ रहे थे, कुछ युवा उन पर पानी में गीली बोरियां डालकर धुंए का प्रभाव कम कर रहे थे। दोपहर दो बजे अंबाला से आने वाले रास्ते पर भी पंजाब की तरफ बैरिकेडिंग हटाने में किसान कामयाब रहे। इस दौरान निहंग भी मोर्चे पर डटे दिखाई दिए।

दूसरी ओर से पुलिसिया कार्रवाई के दौरान मोर्चा संभाल रहे किसानों का घायल होना शुरू हो गया। किसी के पैर पर आंसू गैस का गोला फटा तो किसी के हाथ के पास। इससे वे घायल हो गए। इसके बाद घायलों को किसान समर्थक मोर्चे से पीछे भेजते दिखाई दिए। पंजाब पुलिस प्रशासन की तरफ से एंबुलेंस के जरिए घायलों को स्थानीय अस्पताल भिजवाया गया। मोर्चे पर आलम यह था कि 10 आंदोलनकारी पीछे हटते तो इतने ही फिर मोर्चा संभाल लेते। दोपहर ढाई बजे पुलिस ने रबर की गोली दागनी भी शुरू कर दी।

इससे तीन से अधिक आंदोलनकारी घायल हुए। दोपहर तीन बजे कुछ आंदोलनकारियों ने बैरिकेडिंग हटने के बाद ट्रैक्टर से घग्गर पुल के ऊपर कंटीले तार भी हटा दिए, मगर कीलें और कंकरीट की पक्की बैरिकेडिंग नहीं हटा सके। दूसरी ओर पुलिस पर पंजाब से आए आंदोलनकारी पथराव कर रहे थे। इसमें एक पत्थर डीएसपी आदर्शदीप को लगा, जिससे वह गिर गए। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें संभाला। इस दौरान कई अन्य पुलिसकर्मियों को भी पत्थर लगे।

आंदोलनकारियों ने करीब 21 बार घग्गर नदी के ऊपर पुल के गलियारे में घुसकर बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया, मगर शाम पांच बजे तक बैरिकेडिंग तोड़ नहीं पाए। इसके बाद भी पुलिस और किसानों के हौसले पस्त नहीं दिखाई दिए। पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े जाते रहे। वहीं दूसरी तरफ जो किसान पुल के पास के खेतों में बैठे थे, पुलिस ने वहां भी आंसू गैस के गोले दागे। आंसू गैस के गोलों को निष्क्रिय करने के लिए बार-बार किसान बोरी डाल रहे थे। सायं सात बजे तक दोनों ही तरफ से कुछ शांति होती दिखाई दी।

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