गोरखपुर में स्थित तिकोनिया जंगल में रहने वाले वनटांगियों के बीच योगी आदित्यनाथ दिवाली मनाते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लगातार जंगल के बीच रहने वाले इन लोगों के बीच आते हैं। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान सरकार ने बहुत से मजदूरों को जंगल लगाने का काम सौंपा था।

वे जंगल लगाने के साथ ही वहीं बस गए, आजादी के कई दशक बाद भी यह लोग जंगल में ही रहते हैं। इन्हें पेड़ों के बीच में रहने के लिए 9 फीट जमीन दी गई, वे जिस जमीन को अनाज का पैदावार करते थे, उस जमीन पर इनका कोई मालिकाना हक नहीं था।
उन्हें खेतों में क्या उगाना है इसका फैसला भी वन अधिकारी करते थे। उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं था। 2007 के बाद सीएम योगी ने जंगलों में रहने वाले लोगों के प्रति ध्यान देना शुरू किया। उन्हें पता चला कि नक्सली गतिविधियां जंगलों की तरफ बढ़ रही हैं।
योगी आदित्यनाथ अपने हिंदूवादी संगठन के माध्यम से पता लगाकर उन्हें लगातार जागरुक करते रहे। 2009 में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी ने दिवाली के दिन वनटांगियों के बीच गए और उनके बच्चों को मिठाई व पटाखे तोहफे के रुप में दिए।
योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों से अपना रिश्ता जोड़ा और कहा कि उनके सुख-दुख में वह शामिल होंगे। सीएम के प्रयास से वनटांगियों के 23 गांव राजस्व गांव हो गए हैं। उन्हें हर प्रकार की सुविधाएं मिलने लगी है, जिससे वे वंचित थे। आज उन गांव में बिजली पानी सड़क सब कुछ योगी के सौजन्य से उपलब्ध हो गया है। इसमें खास बात यह है कि सीएम योगी हर साल यहां दिवाली मनाने जाते हैं।
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