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India International Science Festival-2018 : कल से लखनऊ में देखिये विज्ञान के रहस्य

देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कितनी तरक्की की है, इसकी झलक अब आप भी देख सकेंगे। राजधानी में पांच अक्टूबर से चार दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आइआइएसएफ) 2018 के अंतर्गत मेगा साइंस, टेक्नोलॉजी एवं इंडस्ट्री एक्सपो का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया जा रहा है। एक्सपो का उद्घाटन केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन पांच अक्टूबर को सुबह दस बजे करेंगे। एक्सपो में भारत सरकार के सभी वैज्ञानिक संस्थान अपनी-अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों को जनता के सामने प्रदर्शित करेंगे। एक्सपो का मुख्य आकर्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), परमाणु ऊर्जा विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएसआर) आदि द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी होंगी। डीआरडीओ द्वारा विकसित ब्रह्मोस, पिनाक मिसाइल, वारफेयर टैंक एवं इसरो द्वारा विकसित गगनयान, चंद्रयान, पीएसएलवी प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण होंगे। जीवित महिला को मृत बताकर हड़पी लाखों की रकम, फर्जी वसीयत बनाकर किया खेल यह भी पढ़ें एक्सपो प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक आमजन के लिए खुला रहेगा। इसे निश्शुल्क देखा जा सकेगा। आयोजन के संयोजक सचिव श्रेयांश मंडलोई कहते हैं कि एक्सपो हर एक के लिए आकर्षण का केंद्र होगी। इसलिए बच्चों से लेकर हर आयु वर्ग के लोगों को इसे जरूर देखना चाहिए। सना खान ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया अपना बयान, कहा-पुलिस पर भरोसा यह भी पढ़ें महिलाओं व बच्चों को समर्पित होगा हेल्थ कॉन्क्लेव महिलाएं और बच्चे स्वास्थ्य के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं। कुपोषण, विटामिन, आयरन की कमी, स्वच्छता सुविधाओं की कमी और दूषित पेयजल सेहत खराब कर रहा है। वहीं जादू टोना, काला जादू और आधुनिक चिकित्सा के प्रति गलत अवधारणाएं भी बड़ी बाधा हैं। के तहत साइंटिफिक कंवेंशन सेंटर में पांच अक्टूबर से हेल्थ कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। कॉन्क्लेव का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शाम छह बजे करेंगे। प्रदर्शनी में विशिष्ट स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य चर्चा और महिला एवं शिशु से संबंधित फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। 25 अक्टूबर तक चलने वाली प्रदर्शनी आमजन के लिए हर रोज सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक खुली रहेगी।

देश ने विज्ञान के क्षेत्र में कितनी तरक्की की है, इसकी झलक अब आप भी देख सकेंगे। राजधानी में पांच अक्टूबर से चार दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आइआइएसएफ) 2018 के अंतर्गत मेगा साइंस, टेक्नोलॉजी एवं इंडस्ट्री एक्सपो का आयोजन …

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वनमंत्री बोले, गिर के जंगल में शेरों की मौत के लिए केनाइन डिस्टेम्पर वायरस जिम्मेदार

सासन गिर के जंगल में पांच एशियाई शेरों की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने शेरों की मौत के लिए एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। शेरों में केनाइन डिस्टेम्पर नामक वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। सरकार ने अमेरिका से खास वैक्सीन मंगा ली है। सासन गिर के दलखानिया रेंज में 12 सितंबर से अब तक 23 शेरों की मौत हो चुकी है। करीब 25 वर्ग किलोमीटर में इन शेरों की मौत हुई, जहां प्रोटोजोआ का संक्रमण होना पाया गया है। एक दर्जन शेरों की मौत होने तक वन विभाग इसकी वजह वर्चस्व के लिए आपसी लड़ाई बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा। इस बीच, अन्य शेर भी संक्रमण के शिकार हो गए। जसाधार एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में उपचार के लिए रखे गए पांच शेरों में से दो ने बीती रात दम तोड़ दिया। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से 31 शेरों को जामवाला एनिमल हेल्थ केयर सेंटर में रखा गया है। बताया जा रहा है कि उपचार के लिए लाए गए शेरों में पांच की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपतसिंह वसावा ने कहा है कि शेरों की मौत के लिए वायरस जिम्मेदार है। संक्रमण के कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन वनविभाग की कोई लापरवाही इस मामले में सामने नहीं आई है। सासन गिर में करीब 600 शेर हैं। शेरों की संख्या लगातार बढ़ने के कारण इनके विस्तार में सतत कमी हो रही है। इसके चलते जंगल के आसपास बसे गांवों तक शेरों के जाने व पालतू जानवरों को मारने की घटनाएं भी सामने आती हैं। शुरू में शेरों की मौत पर पर्दा डालने के लिए पशुमालिकों की ओर से जहर दिए जाने की आशंका भी जताई गई, लेकिन लगातार शेरों की मौत के चलते इसे छिपाया नहीं जा सका। वनमंत्री ने बताया है कि कुछ सैंपिल राज्य के बाहर की लेबोरेटरी में भी भेजे गए हैं। उधर, गुजरात हाईकोर्ट ने शेरों की मौत के लिए गैरकानूनी तरीके से जंगल में लायन शो होने को भी संक्रमण वजह माना है। कुछ माह पहले ही जंगल में शेरों को मुर्गी दिखाकर ललचाते एक वीडियो वायरल हुआ था। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट देवसी बारड बताते हैं कि केनाइन डिस्टेम्पर के कारण अफ्रीका व तंजानिया में बड़ी संख्या में शेर मरने की घटना हो चुकी है। सासन गिर में इसका संक्रमण पहली बार पाया गया है। मूल रूप से यह वायरस कुत्तों में पाया जाता है। सरकार लंबे समय से गिर जंगल से कुत्तों को हटाने का कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन जंगल में बसे गांवों की वजह से यह पूरी तरह नहीं हो पाया। यहां करीब दो दर्जन गांवों में गैरकानूनी लायन शो होता है। आशंका यही है कि कुत्ते की लार लगे मांस के भक्षण या कुत्तों के संपर्क में आने से शेरों में यह वायरस चला गया है।

सासन गिर के जंगल में पांच एशियाई शेरों की हालत गंभीर है। वनमंत्री गणपत सिंह वसावा ने शेरों की मौत के लिए एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। शेरों में केनाइन डिस्टेम्पर नामक वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। …

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महालक्ष्मी मंदिर ने नवरात्रि में श्रद्धालुओं के लिए जारी किया ड्रेस कोड

पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति ने श्रद्धालुओं से नवरात्रि के मौके पर तंग कपड़े पहनकर नहीं आने का अनुरोध किया है। यह अपील पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के लिए जारी की गई है। महाराष्ट्र देवस्थान समिति पश्चिमी महाराष्ट्र के 3000 से ज्यादा मंदिरों के मामले की देखभाल करती है। समिति की अपील ने महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को यह चेतावनी जारी करने के लिए प्रोत्साहित किया है कि लादा गया ड्रेस कोड फतवा जैसा होगा और उसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष महेश जाधव ने कहा है कि कोई ड्रेस कोड लादा नहीं गया है। यह केवल श्रद्धालुओं से तंग कपड़े नहीं पहनने की अपील की गई है। जाधव ने कोल्हापुर से फोन पर हुई बातचीत में कहा, 'देश भर से हमें हजारों पत्र और ई-मेल मिले हैं। इसमें सुझाव दिया गया है कि मंदिर की पवित्रता को (उचित परिधान के माध्यम से) बनाए रखा जाए। समिति की दो महिला सदस्य भी इससे सहमत हैं। इसलिए हमने दो दिन पहले महालक्ष्मी मंदिर में आने वाले लोगों से उचित परिधान में आने की अपील करने का प्रस्ताव पारित किया है।' उन्होंने कहा कि यदि कोई तंग कपड़े में आएगा या आएगी तो उसे प्रतिमा के दर्शन करने से नहीं रोका जाएगा। हम उन्हें उचित परिधान बदलने के लिए कक्ष भी मुहैया कराने के लिए तैयार हैं। अहमदनगर जिले में शनी शिंग्नापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग करते हुए आंदोलन करने वाली तृप्ति देसाई ने कहा कि वह और उनकी समर्थक महालक्ष्मी मंदिर में ड्रेस कोड लादे जाने का विरोध करेंगी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से पूरी तरह खुद को ढंक कर आने को कहना या महिलाओं के लिए साड़ी को अनिवार्य करना फतवा के जैसा होगा। यह असंवैधानिक होगा और सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ होगा।

पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति ने श्रद्धालुओं से नवरात्रि के मौके पर तंग कपड़े पहनकर नहीं आने का अनुरोध किया है। यह अपील पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर के लिए जारी की गई है। महाराष्ट्र देवस्थान समिति पश्चिमी …

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प्रधानमंत्री मोदी की एक अपील ने इस क्षेत्र में तोड़ डाले सारे पुराने रिकॉर्ड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अपील ने राष्ट्रीय राजधानी में खादी उत्पादों की बिक्री ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अकेले कनॉट प्लेस के स्टोर से बिक्री का मामला एक करोड़ से ऊपर पहुंच गया। यह रिकार्ड बिक्री दो अक्टूबर को हुई है। इसके दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में लोगों से खादी के उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की थी। एक अधिकारी ने बताया कि पूरी दिल्ली में खादी के स्टोर से गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर को बिक्री में 50 फीसद तक का इजाफा हुआ। कनॉट प्लेस के स्टोर में रिकार्ड तोड़ बिक्री हुई। बिक्री का आंकड़ा 1.06 करोड़ पर पहुंच गया। यह प्रधानमंत्री की अपील का असर है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में बिक्री का आंकड़ा 70.01 था। ADVERTISING inRead invented by Teads एक वर्ष में 2 अक्टूबर के दिन की बिक्री में करीब 36 लाख रुपये का इजाफा देखने को मिला, जो 51 फीसद का उछाल लिए हुए है। उस दिन कुल 13, 657 लोग स्टोर में आए, जबकि 2,730 बिक्री रसीद बनी। अधिकारी ने बताया कि खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना दो अक्टूबर को खुद उपस्थित होकर ग्राहकों को संभाल रहे थे। दुष्कर्म की सनसनीखेज घटना, युवती ने दूसरी युवती को बनाया 'हवस' का शिकार यह भी पढ़ें यहां पर याद दिला दें कि केंद्र सरकार खादी को विशुद्ध 'भारतीय ब्रांड' के रूप में स्थापित करने और विदेशी बाजारों तक इसकी पहुंच को मजबूती देने की योजना बना रही है। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) के सचिव अरुण कुमार पांडा के मुताबिक, सरकार खादी को ऐसे भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने की सोच रही है, जिसकी बिक्री या प्रमोशन का हक सिर्फ खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) को है। इसके साथ ही सरकार विदेशी प्रदर्शनियों और अन्य आयोजनों में खादी की पैठ बढ़ाने की तैयारियों में भी जुट गई है। असल में कई विदेशी कंपनियां स्थानीय बाजारों में खादी को अपने ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराने की कोशिशों में लगी हैं। जर्मनी की एक कंपनी खादी नेचरप्रोडक्टे जीबीआर ने यूरोपीय यूनियन में ट्रेडमार्क और डिजाइन पंजीकरण के लिए नोडल एजेंसी ओएचआइएम से खादी को अपने ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराया था। सरकार का नया कदम ऐसी कंपनियों के मंसूबों को नाकाम करना और खादी को विदेशी बाजार में प्रतिष्ठित भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अपील ने राष्ट्रीय राजधानी में खादी उत्पादों की बिक्री ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अकेले कनॉट प्लेस के स्टोर से बिक्री का मामला एक करोड़ से ऊपर पहुंच गया। यह रिकार्ड बिक्री दो अक्टूबर …

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2 अक्टूबर की आधी रात का पूरा सच, इस समझौते से टला टकराव

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले ट्रैक्टर-ट्रॉली, टाटा-407 समेत अन्य वाहनों से लैस किसानों का आधी रात को हुआ समझौता कई सवाल पैदा कर रहा है। इस आंदोलन से किसानों को क्या मिला? यह भी समझ से परे है। लेकिन सबसे बड़ा राज तो यह है कि आखिर 2 अक्टूबर की रात को ऐसा क्या हुआ कि पुलिस-किसान दोनों 'दोस्त' बन गए और किसानों को दिल्ली में दाखिल होने की इजाजत मिल गई। अब धीरे-धीरे इस समझौते की परतें खुल रही हैं। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से आए हजारों किसानों की मांग सुनने के लिए कोई नेता आगे नहीं आ रहा था। हालांकि, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किसान नेताओं से जरूर बात की, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। इसके बाद किसान नेताओं के सामने किसान क्रांति पदयात्रा की सार्थकता का सवाल पैदा हो गया। सवाल यह भी था किसान क्रांति पदयात्रा दिल्ली के राजघाट तक नहीं पहुंची तो वे अपने समर्थकों को क्या मुंह दिखाएंगे, क्योंकि किसान नेताओं ने पदयात्रा राजघाट पर जाकर समाप्त करने का एलान किया था। दुष्कर्म की सनसनीखेज घटना, युवती ने दूसरी युवती को बनाया 'हवस' का शिकार यह भी पढ़ें सूत्रों के मुताबिक, 2 अक्टूबर को किसान सुबह से लेकर शाम तक पुलिस से भिड़ते रहे। इस दौरान हालात बिगड़ने पर पुलिस ने लाठी चार्ज भी किया, जिसमें 40 किसान और दर्जन भर पुलिसवाले घायल हुए। लेकिन जैसे-जैसे शाम से रात हुई और रात बीतने लगी किसान नेताओं की बेचैनी भी बढ़ी। इस दौरान किसान नेताओं को यह अहसास हो चला था कि पुलिस बल उन्हें दिल्ली में नहीं घुसने देगा। इस तरह हुआ किसान-पुलिस में समझौता सूत्रों के मुताबिक, पुलिस के आला अधिकारी और किसान नेता दोनों ही चाह रहे थे कि मामला जल्द खत्म हो। ऐसे में एक फॉर्मूला पेश किया गया। इस फॉर्मूले के तहत यह तय हुआ कि किसान आधी रात को किसान घाट जाएंगे और 3 अक्टूबर को सुबह उजाला होने से पहले दिल्ली से यूपी लौट जाएंगे। इस पर किसान नेता और पुलिस दोनों राजी थे, लेकिन किसान अपने ट्रैक्टर ले जाने पर अड़ गए। इस पर पुलिस ने शर्त रखी कि रात को ट्रैफिक नहीं होता इसलिए ट्रैक्टर के साथ किसान जाएं, लेकिन रात में ही इन्हें लौटना होगा। दोनों पक्षों में हुए समझौते के तहत ऐसा ही हुआ। समझौते का हुआ पालन डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध से ट्रैक्टर को छूट, दिल्ली समेत 4 राज्य के लाखों किसानों को राहत यह भी पढ़ें पुलिस और किसान नेताओं के बीच हुए समझौते के तहत किसानों ने एक से दो बजे के बीच दिल्ली में प्रवेश करना शुरू किया। दो बजे किसान नेता राजघाट होते हुए किसान घाट पहुंचे। समझौते के तहत चार बजे तक किसानों ने यूपी वापस लौटना शुरू किया। पुलिस ने दिखाई समझदारी, दिल्ली में नहीं प्रवेश करने दिया किसानों को गुजरात के व्यापारियों से 4.5 करोड़ लूट में सनसनीखेज खुलासा, डॉन दाऊद से जुड़े तार यह भी पढ़ें पुलिस की मानें तो अगर किसानों को मंगलवार सुबह राजधानी में प्रवेश करने देने से दिल्ली की कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। पांच हजार से अधिक किसान दिल्ली में प्रवेश करना चाह रहे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने देर रात तक उन्हें उत्तर प्रदेश-दिल्ली की सीमा पर रोके रखा। किसानों की ओर से हिंसक प्रदर्शन करने पर भी पुलिस ने आपा नहीं खोया। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकना बड़ी चुनौती थी। स्पेशल ब्रांच से पुलिस को पहले ही सूचना मिल गई थी कि किसान हिंसक रूप भी धारण कर सकते हैं। लिहाजा तीन दिन पहले से पुलिस ने उन्हें सीमाओं पर रोकने की तैयारियां शुरू कर दी थी। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस आमतौर पर दो या तीन स्तरीय बैरिकेड लगाती है, लेकिन किसानों को रोकने के लिए सात स्तरीय बैरिकेड लगाए गए थे। PM मोदी की एक अपील ने इस क्षेत्र में तोड़ डाले सारे पुराने रिकॉर्ड यह भी पढ़ें सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो स्तरीय बैरिकेड लगाए थे। उसके बाद 40 मीटर की दूरी पर दिल्ली पुलिस की ओर से बैरिकेड लगाए गए थे। यूपी पुलिस के बैरिकेड के बाद दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड से पहले पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े रखे थे, जिसे जर्सी बैरियर कहते हैं। इस बैरिकेड को हटाना आसान नहीं होता है। मंगलवार सुबह जब किसान दिल्ली कूच करने लगे, तब यूपी पुलिस ने उन्हें रोक लिया। अधिकारियों ने किसान नेताओं से बात की, लेकिन वे नहीं माने। किसानों ने जब धमकी दी तो यूपी पुलिस डर गई और उनके आगे घुटने टेक दिए। किसान टै्रक्टर से उनके दोनों बैरिकेड तोड़कर चंद मिनटों में दिल्ली पुलिस के जर्सी बैरियर के पास पहुंच गए। क्या पलवल की मस्जिद में लगा है पाकिस्तान का पैसा? मेवात के मदरसे भी NIA के रडार पर यह भी पढ़ें ... इस तरह पुलिस ने दिया किसानों को जवाब 2 अक्टूबर को सुबह 11 बजे के आसपास सैकड़ों की संख्या में लाठी लिए किसानों ने जब पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया तो, उसके बाद हालात को काबू करने के लिए पुलिस ने पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, फिर आंसू गैस व रबर बुलेट चलानी शुरू कर दी। पुलिस अधिकारी का कहना है कि बड़ी मुश्किल से किसानों को देर रात तक दिल्ली आने से रोका गया। इस दौरान किसानों से निबटने को पुलिस पल-पल रणनीति बदलती रही। उसके बाद देर रात किसानों को किसान घाट जाने की अनुमति दे दी गई। तब तक करीब 80 फीसद किसान अपने घर लौट चुके थे। किसानों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के लिए आयुक्त ने अपने कर्मचारियों की प्रशंसा की। वहीं, राजेश चौहान (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाकियू) का कहना है कि कोई कुछ भी कह सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि किसानों की मांगों को सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने मजबूती के साथ रखा गया। उसी का असर है कि केंद्र की सरकार सात प्रमुख मांगों पर मानने को तैयार हो गई।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले ट्रैक्टर-ट्रॉली, टाटा-407 समेत अन्य वाहनों से लैस किसानों का आधी रात को हुआ समझौता कई सवाल पैदा कर रहा है। इस आंदोलन से किसानों को क्या मिला? यह भी समझ से परे है। …

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शर्मसार हरकत,अंतिम संस्कार के लिए कचरे की ट्रॉली में ले गए बुजुर्ग का शव

यह दृश्य दिल को झकझोरने और इंसानियत कोशर्मसार करने वाला था। यहां सिविल अस्पताल के मोर्चरी हाउस से एक व्यक्ति के शव को कचरे की ट्रॉली में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। नगर परिषद के सफाई कर्मचारियों …

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एसआइटी हुई हैरान, जिनके पास जमीन नहीं उन्होंने बेच दिया लाखों के धान

बिहार के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले की जांच में कई ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिससे इस घोटाले की जांच कर रही सीआइडी की एसआइटी (विशेष जांच दल) भी हतप्रभ है। 600 करोड़ रुपये से भी अधिक के इस घोटाले में कुछ ऐसे किसानों को धान खरीद के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया है, जिनके पास एक धुर जमीन भी नहीं है। ऐसे में घोटाले को अंजाम देने वालों की संपत्ति जब्त करने में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ADVERTISING inRead invented by Teads बता दें कि इस घोटाले से जुड़े राइस मिलरों की करीब पांच करोड़ से भी अधिक की चल और अचल संपत्ति को ईडी ने जब्त कर लिया है। जिन लोगों के नाम पर धान खरीद के करोड़ों रुपये बांट दिए गए, उनके संबंध में ईडी को कुछ खास जानकारी नहीं मिल पाई है। सीआइडी की एसआइटी ने धान बेचने वाले लोगों को चिह्नित करने के लिए कई जिलों में अंचलाधिकारियों (सीओ) को इसका जिम्मा दिया था। जब सीओ ने इस इस मामले की जांच की तब पाया कि वैसे लोगों को भी धान खरीद के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया है, जिनके पास एक धुर भी जमीन नहीं है। व्यवसायी को फोन पर कहा-30 लाख दो, मोबाइल बंद करते ही घर पर फेंका बम यह भी पढ़ें इतना ही नहीं, सीओ की जांच भी यह भी सामने आया कि जिस किसान के पास केवल 50 कठ्ठा जमीन है, उस किसान से 80-90 क्विंटल धान की खरीद दिखाकर उसे लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया है। कम रकबा वाले किसानों से 80-90 क्विंटल धान की खरीद न केवल धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास, बक्सर, भोजपुर और कैमूर जिलों से की गई है, बल्कि उत्तर बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सुपौल और वैशाली जैसे जिले भी शामिल हैं। बता दें कि एसआइटी द्वारा धान खरीद के संबंध में दायर की गई चार्जशीट को आधार बनाकर ईडी की टीम घोटालेबाजों की संपत्ति जब्त कर रही है। अब ईडी के सामने मुश्किल यह है कि ऐसे किसानों के नाम पर करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिए जाने के बाद वह आखिर कार्रवाई किसके खिलाफ करे।

बिहार के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले की जांच में कई ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिससे इस घोटाले की जांच कर रही सीआइडी की एसआइटी (विशेष जांच दल) भी हतप्रभ है। 600 करोड़ रुपये से भी अधिक के …

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देहरादून जाने वालों के लिए खुशखबरी, जल्‍द शुरू हो सकती है हल्‍द्वानी से फ्लाइट

कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्‍द्वनी से देहरादून सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। नैनी दून एक्‍सप्रेस की सौगात मिलने के बाद एयर टैक्‍सी की सुविधा भी मिल सकती है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही हल्द्वानी से देहरादून के लिए हेली सेवा शुरू हो जाएगी। बुधवार को पवनहंस की राइट कंसलटेंसी की टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निकट हेलीपैड को उपयुक्त माना। अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी स्थिति का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उड़े देश का आम नागरिक के तहत रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम संचालित की है। इसी के तहत यह प्रक्रिया चल रही है। यहां पर हेली सेवा हैरिटेज एविशन की ओर से संचालित होनी है। उड़ान शुरू होने से पहले ऑपरेशन के लिए पवनहंस को जिम्मेदारी दी गई है। इसी कंपनी की राइट कंसलटेंसी की ओर से कर्नल महेश नारायण ने उपजिलाधिकारी एपी बाजपेयी और उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर सीके सकलानी के साथ हेलीपैड का निरीक्षण किया। टीम ने हेलीपेड को हेलीकाप्टर की उड़ान के लिए बेहतर पाया। बाजपेयी ने बताया कि यहां पर इस तरह की फिजिबिलिटी है कि 10-12 सीटर के दो हेलीकाप्टर एक साथ उड़ान भर सकते हैं। यह सेवा देहरादून के लिए शुरू होगी। हेलीपेड में वेटिंग लॉज बनाने आदि सुविधाओं के बारे में जायजा लिया गया। अगर यह सेवा शुरू हो जाती है, तो लोग हल्द्वानी से 2500 रुपये से कम में देहरादून पहुंच जाएंगे। सीबीआइ ने मांगी बाघों की हर मौत की अलग रिपोर्ट यह भी पढ़ें नवंबर में होगा हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल परिवहन निगम जल्द ही राज्य के छोटे रूटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने जा रहा है। मुख्यालय स्तर पर इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं। पहले देहरादून-मसूरी रूट पर ट्रायल के बाद नवंबर में हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर ट्रायल होगा। इसमें सफलता मिलने पर कई छोटे रूटों पर रोडवेज की इलेक्ट्रिक बसें दौड़ने लगेंगी। यूओयू के 18 नए पाठ्यक्रमों को यूजीसी की मान्यता यह भी पढ़ें परिवहन निगम के अफसर लगातार हो रहे घाटे से उबरने के लिए कई योजनाएं बना रहे हैं। निगम के बेड़े में जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की तैयारी हो रही है। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि निजी कंपनी से अनुबंध कर बसों का संचालन किया जाएगा। विभिन्न कंपनियों की इलेक्ट्रिक बसों का देहरादून में ट्रायल कराया जा रहा है। इसके बाद हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर ट्रायल होगा। इसमें बसों की तकनीकी क्षमता जांची जाएगी। जिन कंपनियो की बसें मानकों पर खरी उतरेंगी, उन्हें निविदा निकालकर आमंत्रित किया जाएगा। धीरे-धीरे छोटे रूटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने की तैयारी है। इन बसों में चालक कंपनी का रहेगा, जबकि परिचालक निगम का तैनात किया जाएगा।

कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्‍द्वनी से देहरादून सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। नैनी दून एक्‍सप्रेस की सौगात मिलने के बाद एयर टैक्‍सी की सुविधा भी मिल सकती है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही हल्द्वानी से देहरादून …

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मौसम ने दिया साथ तो गंगोत्री हिमालय में ट्रैकिंग दलों की बढ़ी चहलकदमी

जिले के उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों और पर्वतारोहियों की चहल-कदमी बढ़ गई है। गोमुख ट्रैक खराब होने के बावजूद ट्रैकिंग दल लगातार गोमुख और इससे आगे तपोवन, नंदन वन, वासुकीताल तथा कालिंदी पास को जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ठंडी वादियों तक पहुंचने के लिए मौसम भी ट्रैकिंग दलों का साथ दे रहा है। गंगोत्री नेशनल पार्क के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 120 से अधिक ट्रैकर एवं पर्वतारोही गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं। खासतौर पर रोमांच के शौकीन देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए गंगोत्री हिमालय मनपसंद सैरगाह है। पर्यटकों का सबसे प्रमुख और पसंदीदा ट्रैक गंगोत्री से लेकर तपोवन तक है। तपोवन जाने के लिए गंगोत्री से 19 किलोमीटर गोमुख तथा गोमुख से पांच किलोमीटर ग्लेशियर के ऊपर से तपोवन पहुंचा जाता है। यहां हर दिन 30 से 40 पर्यटक जा रहे हैं। इससे यहां की बर्फीली वादियां इंसानी हलचल से आबाद हो गई हैं। इसके साथ ही गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग के आरोहण के लिए चार सदस्यीय दल, सुदर्शन के आरोहण के लिए एक जापानी महिला, सतोपंथ के आरोहण के लिए तीन सदस्यीय दल गया हुआ है। रसीले स्वाद के बावजूद हर्षिल घाटी का सेब पहचान को मोहताज यह भी पढ़ें बीते मंगलवार को इजराइल व जर्मनी के आठ विदेशी पर्वतारोहियों का दल आरोहण करके गंगोत्री लौटा, जबकि बुधवार को गंगोत्री से एक पर्वतारोही दल जोगीन चोटी के आरोहण के लिए रवाना हुआ। स्थिति यह है कि उत्तरकाशी और गंगोत्री में पर्यटक दलों को पर्याप्त पोर्टर नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकांश पोर्टर उत्तरकाशी से ले जाने पड़ रहे हैं। चारधामों में से एक ये धाम तरस रहा है सुविधाओं को, जानिए यह भी पढ़ें ट्रैकिंग एजेंसी संचालक जयेंद्र पंवार कहते हैं कि मौसम सही हो गया है। इसलिए ट्रैकरों तथा पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ गई। 15 नवंबर तक कई दलों ने ट्रैकिंग के लिए संपर्क किया गया है। इसमें अधिकांश कालिंदी पास, उड़न कोल, लमखागा पास, तपोवन के लिए जा रहे हैं। ट्रैकरों व पर्वतारोहियों की बढ़ती चहल-कदमी ट्रैकिंग संचालकों के लिए अच्छी खबर है।

जिले के उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों और पर्वतारोहियों की चहल-कदमी बढ़ गई है। गोमुख ट्रैक खराब होने के बावजूद ट्रैकिंग दल लगातार गोमुख और इससे आगे तपोवन, नंदन वन, वासुकीताल तथा कालिंदी पास को जा रहे हैं।  पिछले …

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कार ने मारी बाइक को टक्कर, 2 युवकों की मौत, एक घायल

सलामतपुर में सुबह एक सड़क दुर्घटना में 2 युवकों की मौत हो गई, जबकि एक घायल हो गया। जानकारी के मुताबिक तेज गति से आई एक इनोवा कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इससे मोटरसाइकिल सवार 3 युवकों में से 2 की मौके पर ही मौत हो गई। ADVERTISING inRead invented by Teads इधर घटना से नाराज लोगों ने युवकों के शव सड़क पर रखकर चक्काजाम कर दिया। नाराज लोगों ने दोनों मृतकों के शव को थाने के सामने रखा और चक्काजाम किया। ये लोग घायल युवक को अस्पताल में ठीक से इलाज नहीं मिल पाने के कारण भी गुस्सा हुए। बड़ी संख्या में महिलाएं भी थाने पहुंची। चक्काजाम के कारण सड़क के दोनों छोर पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। एडिशनल एसपी सहित क्षेत्र के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं और लोगों को समझा रहे हैं।

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