जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का आज तीसरा दीक्षांत समारोह मनाया जा रहा है, जिसके मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू हैं। वेंकैया नायडू ने यहां छात्रों को मेडल व डिग्रियां प्रदान किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रेरणादायी संबोधन भी दिया। उन्होंने जेएनयू की शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए उसकी तारीफ की साथ ही छात्रों को शिक्षा का मतलब भी समझाया।
वेंकैया नायडू ने कहा, किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। यह अवसर आपके शैक्षणिक विकास प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होता है। मेडल और डिग्री प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों के लिए यह गौरव और हर्ष अवसर है।
उन्होंने आगे कहा, शिक्षा और अध्ययन तो कभी न समाप्त होने वाली यात्रा है। आपके विश्विद्यालय द्वारा दिए गए शिक्षा संस्कार आपको भविष्य में भी ज्ञान के नए आयाम, नए सीमांत खोजने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
राजा और ज्ञानी का क्या महत्व होता है इस पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, पंचतंत्र में कहा गया है “स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान सर्वत्र पूज्यते” अर्थात राजा का सम्मान तो उसके राज्य में ही होता है, लेकिन विद्वान का सम्मान हर जगह होता है। विद्या और ज्ञान का सम्मान करने की हमारी इस परंपरा का सदैव स्मरण रखें।
उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि जेएनयू देश में शैक्षणिक उत्कृष्टता का पर्याय बन गया है। मैं खुश हूं कि जेएनयू को हाल ही में सर्वोच्च रैंकिंग मिली है। जेएनयू को एनएएसी से A++ ग्रेड मिला है।