राज्य

जमीन पर कब्जे का विरोध कर रहे किसान को दबंगों ने जिंदा जलाया, चार गिरफ्तार, एसआईटी गठित

बैरसिया इलाके में गुरुवार सुबह अपनी जमीन पर कब्जा कर रहे दबंगों को रोकने की कीमत एक किसान को जान देकर चुकाना पड़ी। दबंगों ने उसे खेत में जिंदा जलाकर मार डाला। घटना के बाद आरोपित मौके से फरार हो गए, जिन्हें गिरफ्तार करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सरकारी अस्पताल में करीब पांच घंटे भारी हंगामा किया। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर देर रात चारों आरोपितों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस के मुताबिक किशोरीलाल (55) को परसोरिया घाटखेड़ी गांव में वर्ष 2000 में सरकार की तरफ से खेती के लिए साढ़े तीन एकड़ जमीन का पट्टा मिला था। गांव का एक दबंग परिवार उस जमीन पर कब्जा करना चाहता था। भड़का आक्रोश - घटना के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण अस्पताल पहुंचे और आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए। सूचना पर पहुंचे एसपी नार्थ हेमंत चौहान व एएसपी संजय साहू की समझाइश पर शाम 4 बजे वे लोग माने। बाद में एसडीएम राजीवनंदन श्रीवास्तव की मौजूदगी में परिजनों ने किशोरीलाल का खेत में अंतिम संस्कार कर दिया। खेत जोत रहे थे दबंग, उन्हें रोकने पहुंचा था किशोरीलाल सुबह करीब 9 बजे किशोरीलाल को सूचना मिली कि कुछ लोग उसके खेत में जुताई कर रहे हैं। वह पत्नी के साथ खेत पर पहुंचा तो गांव के तीरन यादव अपने बेटे प्रकाश और भतीजे बलवीर व संजू यादव के साथ खेत जोत रहा था। किशोरीलाल ने तीरन को खेत में जुताई से रोका। इस पर तीरन और बेटों-भतीजों ने किशोरीलाल की पिटाई शुरू कर दी। किशोरीलाल के बेटे कैलाश जाटव का कहना है कि इस दौरान प्रकाश, संजू व बलवीर ने उसके पिता को पकड़ लिया और तीरन यादव ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। घटना की सूचना पर परिजन और गांववाले मौके पर पहुंचे और गंभीर रूप से झुलसे किशोरीलाल को बैरसिया अस्पताल लाए, जहां 11 बजे उसकी मौत हो गई। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। अग्रिम जांच एएसपी संजय साहू के नेतृत्व में सीएसपी निशातपुरा, डीएसपी एजेके, टीआई बैरसिया व टीआई ईंटखेड़ी करेंगे।

बैरसिया इलाके में गुरुवार सुबह अपनी जमीन पर कब्जा कर रहे दबंगों को रोकने की कीमत एक किसान को जान देकर चुकाना पड़ी। दबंगों ने उसे खेत में जिंदा जलाकर मार डाला। घटना के बाद आरोपित मौके से फरार हो …

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गर्मी व उमस से इस सप्ताह नहीं मिलेगी राहत, गर्म हवाओं से NCR के लोग परेशान

दिल्ली-एनसीआर में भीषण गर्मी और उमस का दौर जारी है। इस बीच बृहस्पतिवार शाम से गर्म हवाएं भी चलनी शुरू हो गई हैं। बताया जा रहा है कि इस तरह के हालात 26 जून तक रहेंगे। मौसम विभाग के मुताबिक, …

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उठा सवालः प्राकृतिक चिकित्सा के दीवाने अरविंद केजरीवाल क्यों बना रहे योग से दूरी

इसे दिल्ली में तीन साल से अधिक समय से सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कहें, हठधर्मिता या कुछ और.. इसने तो योग का भी राजनीतिकरण कर दिया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक तरफ जहां देशभर में योग किया जा रहा था, वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल या आप सरकार के किसी मंत्री की बात तो दूर, कोई विधायक तक योग से जुड़े कार्यक्रम में शरीक नहीं हुआ। हालांकि, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राजपथ पर योग अवश्य किया। यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूरी दुनिया में योग मनाने का आह्वान किया था, लेकिन योग को बढ़ावा देने का उनका निर्णय किसी राजनीतिक फायदे से जुड़ा न होकर लोगों को स्वस्थ्य रखने की भावना से प्रेरित था। प्राचीन समय में योग भारत में ही शुरू हुआ, जिसे आज स्वास्थ्य लाभ के लिए कमोबेश हर देश में अपनाया जा रहा है। 'क्या दिल्ली में शुगर तक के इलाज की सुविधा नहीं', केजरीवाल के बेंगलुरु जाने पर BJP ने घेरा यह भी पढ़ें बृहस्पतिवार को देश के अमूमन सभी राज्यों में योग दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित हुए। कहने को ऐसे कार्यक्रम दिल्ली में भी हुए, लेकिन केंद्र सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं के स्तर पर। दिल्ली सरकार ने लगातार तीसरे साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से परहेज ही किया। स्कूलों, उच्च शिक्षण संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, कहीं के लिए कोई निर्देश या सकरुलर जारी नहीं किया गया। निजी स्तर पर तो सरकारी कर्मचारी और अधिकारी विभिन्न योग कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए, लेकिन सरकारी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। चार महीने के बाद अफसरों के साथ बैठे सीएम केजरीवाल, बिजली-पानी पर रोज बेंगलुरु से लेंगे रिपोर्ट यह भी पढ़ें यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल जिस प्राकृतिक चिकित्सा के लिए बेंगलुरु रवाना हुए हैं, योग भी उसी का एक अनिवार्य हिस्सा है। आप के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, दिल्ली सरकार योग कार्यक्रमों से इसलिए दूरी बनाकर रखती है, क्योंकि वह यह नहीं चाहती कि योग को बढ़ावा देने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा को जाए। योग से दूरी चिंता की बात इस बार भी अंतररराष्ट्रीय योग दिवस पर दिल्ली सरकार की योग से दूरी चिंताजनक है। मुख्यमंत्री ही नहीं, आम आदमी पार्टी सरकार का कोई मंत्री या विधायक भी योग से संबंधित किसी कार्यक्रम में शरीक नहीं हुआ। जबकि योग के कार्यक्रम कमोबेश हर कॉलोनी में आयोजित किए गए और इनमें जनता जोर शोर से शरीक हुई। लेकिन, आप के जन प्रतिनिधि इनसे दूर रहे। दिल्ली सरकार की यह सोच न तो स्वस्थ लोकतंत्र की परिचायक है और न ही स्वस्थ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की। इसे किसी भी तौर पर सरकार का तर्कसंगत निर्णय नहीं कहा जा सकता है। जनता भी इसे सही करार नहीं दे रही है। बेशक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, लेकिन सच यह भी है कि योग भारतीय संस्कृति का बहुत ही पुराना एवं अभिन्न अंग है। पहले ऋषि मुनियों ने योग साधना की और बाद में जन सामान्य ने इसका अनुपालन किया। योग को वैकल्पिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से भी जोड़कर देखा जाता है। बहुत से असाध्य रोग योग से दुरुस्त होते देखे गए हैं। योग का प्रभाव ही है कि आज विश्व भर में इसे स्वीकार किया जा रहा है। विदेशी भी बहुत मनोयोग से योग करते देखे जा सकते हैं। कहने का अभिप्राय यही है कि अगर कोई अच्छी व्यवस्था या शुरुआत हो तो उसका महज विरोध के लिए विरोध नहीं किया जाना चाहिए। स्वस्थ राजनीति तो यह होनी चाहिए कि अच्छी शुरुआत को अच्छे भाव से ही स्वीकार किया जाए। विचारणीय पहलू यह भी है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यूं तो प्राकृतिक चिकित्सा पसंद करते हैं। समय-समय पर इसके लिए बेंगलुरु भी जाते रहते हैं, बावजूद इसके योग का समर्थन न करना कहीं न कहीं उनका दोहरा मानदंड है। आम आदमी पार्टी सरकार को योग के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। साथ ही सरकार को भविष्य में दिल्ली के शिक्षण संस्थानों में ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देना चाहिए।

इसे दिल्ली में तीन साल से अधिक समय से सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कहें, हठधर्मिता या कुछ और.. इसने तो योग का भी राजनीतिकरण कर दिया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक तरफ जहां देशभर में …

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DU admission 2018: छात्रों को दूसरी Cutoff का इंतजार, जानें- कब आएगी लिस्ट

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पहले कटऑफ के आधार पर मंगलवार से शुरू हुई दाखिला प्रक्रिया बृहस्पतिवार को संपन्न हो गई। पहली कटऑफ 19 जून को आई थी, जबकि दूसरी कटऑफ 24 जून को आएगी। इसके लिए छात्र-छात्राएं 25 जून से 27 जून तक प्रवेश ले सकेंगे। तीसरी कटऑफ 30 जून को आएगी। इसके लिए आवदेनकर्ता 30 जून से 3 जुलाई तक के बीच कॉलेज जाकर प्रवेश करा सकते हैं। वहीं, चौथी कटऑफ 6 जुलाई को आएगी, जिसके लिए प्रवेश प्रक्रिया 6 जुलाई से 9 जुलाई तक के बीच चलेगी। पांचवी कटऑफ 12 जुलाई को आएगी, जिसके लिए आप 12 जुलाई से 14 जुलाई तक के बीच कॉलेज जाकर प्रवेश ले सकेंगे। अंतिम दिन भी सर्वर डाउन, दो घंटे अतिरिक्त चली दाखिला प्रक्रिया दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में बृहस्पतिवार को भी डीयू का दाखिला सर्वर डाउन रहा, जिस कारण निर्धारित वक्त से दो घंटे अतिरिक्त समय तक दाखिला आवेदन स्वीकार किए गए। इससे पहले डीयू ने स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए सोमवार देर रात पहला कटऑफ जारी किया था। DU admission 2018: जल्द खत्म होगा लाखों छात्राें का इंतजार, जानें कब आएगी डीयू की First Cut Off यह भी पढ़ें उल्लेखनीय है कि पहले कटऑफ से दाखिला के लिए बृहस्पतिवार अंतिम दिन था, इसीलिए सुबह से ही छात्रों व अभिभावकों का कॉलेज पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। छात्र किसी भी कीमत पर दाखिला सुनिश्चित करवाना चाहते थे। इसी वजह से कई कॉलेजों में अतिरिक्त भीड़ रही, जिसका अंदाजा पहले से ही लगाया जा रहा था। हालांकि, कई कॉलेजों में दाखिले के लिए सीमित संख्या में छात्र पहुंचे। DU admission 2018: आवेदन करने वालों में सीबीएसई छात्रों का दबदबा यह भी पढ़ें इधर, डीयू का सर्वर डाउन होने के कारण शुरुआती घंटों में छात्रों को दाखिला फार्म प्रिंट करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। सर्वर डाउन होने की शिकायत के बाद करीब 12 बजे डीयू ने सभी कॉलेजों को सकरुलर जारी करते हुए दाखिला प्रक्रिया को 1:30 बजे से 3:30 बजे तक जारी रखने का निर्देश दिया। कॉलेजों ने अतिरिक्त समय तक छात्रों से दाखिला आवेदन स्वीकार किए। वहीं, कई कॉलेजों में इसके बाद भी दाखिला आवेदन स्वीकार किए। बता दें कि दूसरी कटऑफ लिस्ट रविवार देर रात जारी होगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पहले कटऑफ के आधार पर मंगलवार से शुरू हुई दाखिला प्रक्रिया बृहस्पतिवार को संपन्न हो गई। पहली कटऑफ 19 जून को आई थी, जबकि दूसरी कटऑफ 24 जून को आएगी। इसके लिए छात्र-छात्राएं 25 जून से …

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नोएडा सेक्टर 123 से शिफ्ट होगा डंपिंग ग्राउंड; लोगों को मिली राहत

नोएडा सेक्टर-123 में बनने वाले डंपिंग ग्राउंड को लेकर लोगों के भारी विरोध को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को आगे आना पड़ा है। शुक्रवार सुबह यूपी में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यह फैसला लिया है कि सेक्टर-123 में बनने वाला डंपिंग ग्राउंड अब यहां नहीं बनेगा। इसे यहां से शिफ्ट कर दिया जाएगा। हालांकि यहां से शिफ्ट करने के बाद इसे कहां बनाया जाए? इसका एलान अभी नहीं किया गया है। नोएडा में डंपिंग ग्राउंड के विरोध में मास्क लगाकर किया था योग एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भी सेक्टर-123 स्थित डंपिंग ग्राउंड पर विरोध का सिलसिला जारी था। लोगों ने डंपिंग ग्राउंड के पास विरोध में मास्क लगाकर योग किया था। इस दौरान लोगों ने चेहरे पर प्रधानमंत्री मोदी का मास्क भी लगाया था और सांकेतिक आक्सीजन सिलेंडर लगाकर एक घंटे योग किया गया था। इसके बाद आक्रोशित महिलाओं ने पर्थला गोल चक्कर पर डंपिंग ग्राउंड के विरोध में रैली निकाली थी। इस दौरान महिलाएं सड़क पर लेट गई थीं। इससे इस रास्ते जाम लग गया, जिसमें फंस कर लोगों के भारी परेशानी उठानी पड़ी थी। पुलिस ने बड़ी मशक्कत कर आक्रोशित लोगों को शांत कराया था। पतंजलि फूड पार्क के लिए यूपी सरकार व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में बन सकती है बात यह भी पढ़ें यह योग नहीं, रोग डे है सीएम योगी ने ली बैठक, वेस्ट यूपी में संगठन को और मजबूत बनाने पर हुआ मंथन यह भी पढ़ें लोगों ने कहा कि यहां खेलने के लिए तो कोई मैदान नहीं है, लेकिन डंपिंग ग्राउंड बनाया जा रहा है। हम योग कहां करेंगे। नोएडा प्राधिकरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों की अवहेलना कर रहा है। जब मुख्यमंत्री बोल चुके हैं कि आबादी से दो किलोमीटर दूर पर डंपिंग ग्राउंड बनाया जाए तो अब तक काम क्यों नहीं हुआ। यह योग डे नहीं, रोग डे है। बुधवार को लोगों ने अर्धनग्न होकर किया था प्रदर्शन सेक्टर-123 में डंपिंग ग्राउंड बनने को लेकर लोगों का विरोध कई सप्ताह से जारी थी। इस कड़ी में बुधवार को स्थानीय लोगों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और विरोध में नारेबाजी की थी। इससे पहले नोएडा प्राधिकरण के प्रस्तावित लैंडफिल साइट को डंपिंग ग्राउंड की तरह इस्तेमाल करने के खिलाफ सेक्टर-122 में हुई महापंचायत में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए थे। महापंचायत के बाद भीड़ ने पर्थला गोलचक्कर को जाम कर दिया था।प्रदर्शनकारियों और पुलिस-प्रशासन के बीच कई बार टकराव की स्थिति भी बन गई थी।

नोएडा सेक्टर-123 में बनने वाले डंपिंग ग्राउंड को लेकर लोगों के भारी विरोध को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को आगे आना पड़ा है। शुक्रवार सुबह यूपी में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यह फैसला लिया है कि …

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बाबा हरदेव की बेटी का सनसनीखेज आरोप, पति ने की हजारों करोड़ की ठगी

दो साल पहले कनाडा में सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए उनके डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया। इस फर्जीवाड़े के बाबत समता ने दिल्ली के वसंत कुंज स्थित पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई है। हरदेव सिंह की 13 मई 2016 को कनाड़ा में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। यह इत्तेफाक ही है कि उस वक्त संदीप उनके साथ कार में ही था। जानकारी के मुताबिक, संदीप खिंड़ा बाबा हरदेव सिंह का बड़ा दामाद है, बावजूद इसके निरंकारी मिशन की एग्जीक्यूटिव बॉडी में संदीप खिंड़ा का कोई स्थान नहीं है। वहीं, समता की पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, उन्होंने अपने पति संदीप खिंड़ा और वरुण और सूरज पर इतनी बड़ी रकम की ठगी करने का आरोप लगाया है। समता का कहना है कि इसके लिए पति संदीप ने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया। समता ने बताया कि उन्होंने डिजिटल सिग्नेचर के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था और हैरानी की बात है कि कंपनी ने उनके डिजिटल सिग्नेचर बना दिए। जानें- TV पर लोकप्रिय वह चेहरा जिस पर उसकी ही शिष्या ने लगाया दुष्कर्म का आरोप यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के बाद दर्ज एफआइआर में संदीप, उसके पिता बलदेव सिंह, जालंधर के कुलविंदर सिंह, दिल्ली के रहने वाले कंपनी सेक्रेटरी अनुज गुप्ता, गुड़गांव निवासी कंपनी सेक्रेटरी रासू शर्मा, सिफी टेक्नोलॉजी लिमिटेड के चेयरमैन, कंपनी के कर्मचारी आलोक सक्सेना और हिमांशु कपूर का नाम है। यह है समता का आरोप बेटी की अस्मत का 'गुनहगार' निकला पति, जांबाज महिला के इस फैसले से हर कोई हैरान यह भी पढ़ें पुलिस को दी गई शिकायत के मुताबिक, पति संदीप ने जैन फ्लोरीकल्चर लिमिटेड (जेएफएल) नाम की एक कंपनी खरीदी थी, इसमें मुझसे करोड़ों रुपये निवेश भी करवाए। समता का आरोप है कि कंपनी में 100 फीसद शेयर मेरे थे। बावजूद इसके संदीप ने उनके फर्जी डिजिटल सिग्नेचर से इन्हें अपने नाम करवा लिया। वहीं, समता ने डिजिटल सिग्नेचर वेरीफाई करने वाली कंपनी सिफी टेक्नोलॉजी पर भी मामला दर्ज कराया है। बता दें कि 13 मई, 2016 को संत निरंकारी मंडल के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की अमेरिका के न्यूयार्क से कनाडा के मॉन्टि्रयल शहर जाने के दौरान सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। बाबा अपने दोनों दामाद संदीप खिंड़ा व अवनीत सेतिया के अलावा विवेक शर्मा के साथ कार से एक भक्त से मिलने जा रहे थे। मॉन्टि्रयल से करीब 40 किमी पहले टायर फटने से उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और अस्पताल में इलाज के दौरान निरंकारी बाबा का निधन हो गया। सविंदर कौर से की थी शादी बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में हुआ था। 1980 में पिता की मौत के बाद उन्हें निरंकारी मंडल का मुखिया बनाया गया था। इसके पूर्व वह 1971 में निरंकारी सेवा दल में शामिल हुए थे। 1975 में उन्होंने फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से शादी की थी। 1929 में निरंकारी मिशन की हुई स्थापना संत निरंकारी मिशन की 1929 में स्थापना हुई थी। इस मिशन की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। भारत में भी तकरीबन हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं। बाबा हरदेव सिंह को विश्व में मानवता की शांति के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं। जानें कौन थे बाबा हरदेव सिंह निरंकारी संत निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी स्थित रोजेरी पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। उसके बाद 1963 में उन्होंने पटियाला के बोर्डिंग स्कूल यादविंद्र पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने 1971 में एक सदस्य के रूप में निरंकारी सेवा दल ज्वॉईन कर लिया। 1975 में एक वार्षिक निरंकारी संत समागम के दौरान दिल्ली में उनकी शादी सविंदर कौर से हुई। अपने पिता की मौत के बाद 1980 में वे संत निरंकारी मिशन के मुखिया बने। उन्हें सतगुरू की उपाधि दी गई। 1929 में बाबा बूटा सिंह द्वारा संत निरंकारी मिशन की स्थापना की गई थी।

दो साल पहले कनाडा में सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह के कुनबे में घमासान मचा हुआ है। हरदेव सिंह की बड़ी बेटी समता ने अपने पति संदीप खिंड़ा पर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा …

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नेता विपक्ष पद को लेकर कांग्रेस में दरार, राहुल से मिलकर करेंगे दिल की बात

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। किसान संपर्क यात्रा से पहले गुजरात कांग्रेस में घमासान मच गया है, नेता विपक्ष पद को लेकर एक बार फिर दो दिग्गज विधायक व एक पूर्व सांसद ने कांग्रेस से अपनी नाराजगी जताई है। राजकोट के कुंवरजी बावळिया व जामनगर के विक्रम माडम ने माना कि वे पार्टी में हो रहे फैसलों से खुश नहीं हैं। अपनी नाराजगी जताने के लिए वे दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने वाले थे लेकिन मुलाकात टल गई। गुजरात कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद कुंवरजी बावळिया ने मीडिया के समक्ष कहा कि नेता विपक्ष का पद नहीं मिलने से वे आलाकमान से नाराज हैं। गत मंगलवार को उनकी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात तय थी जिसमें वे अपनी नारााजगी उनके समक्ष जताने वाले थे लेकिन किन्हीं कारणों से यह मुलाकात टल गई। बावळिया ने राजकोट में अपने समाज की बैठक भी बुलाई है जिसमें ओबीसी समुदाय के अन्य विधायक भी शामिल होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रदेश कांग्रेस व नेता विपक्ष दोनों ही पदों पर युवा चेहरे बिठा दिए जिससे पार्टी के वरिष्ठ नेता ठगे से महसूस कर रहे हैं। विधायक बावळिया व माडम दोनों सौराष्ट्र के दिग्गज नेता हैं तथा कांग्रेस के कट्टर समर्थक हैं। लेकिन अहम पदों पर युवा चेहरों के आ जाने से उनकी नाराजगी खुलकर बाहर आ गई। पूर्व सांसद जीवाभाई ने भी पार्टी के समक्ष अपनी नाराजगी जताई है। तीन दिवसीय गुजरात दौरे पर राहुल, पीएम मोदी पर फिर साधा निशाना यह भी पढ़ें ने भी कहा है कि इस बार वे अपनी नाराजगी पार्टी आलाकमान के समक्ष उजागर करके ही रहेंगे। वरिष्ठ नेता होने के नाते नेता विपक्ष का पद उन्हें मिलना चाहिए था, माडम ने कहा कि वे कांग्रेस से 100 प्रतिशत नाराज हैं तथा राहुल गांधी के समक्ष अपनी बात रखेंगे। गौरतलब है कि आलाकमान ने जातीय समीकरण के हिसाब नेता विपक्ष का पद पाटीदार समुदाय के युवा नेता परेश धनाणी को सौंप दिया वहीं पूर्व अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के रिश्तेदार अमित चावडा को कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंप दिया जिससे पार्टी के कई वरिष्ठ व दिग्गज नेताओं में नाराजगी है। गुजरात में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना यह भी पढ़ें पूर्व अध्यक्ष् अर्जुन मोढवाडिया ने कहा इन नेताओं से उनकी बात हुई है, मीडिया में उनकी बात तोड मरोडकर पेश की गई है, दोनों ही विधायक पार्टी के समर्पित नेता हैं। उधर प्रवक्ता मनीश दोशी ने कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है, सबको अपनी बात कहने का हक है। कांग्रेस पार्टी में भाजपा की तरह अपने नेताओं पर बोलने की पाबंदी नहीं लगाई जाती।

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। किसान संपर्क यात्रा से पहले गुजरात कांग्रेस में घमासान मच गया है, नेता विपक्ष पद को लेकर एक बार फिर दो दिग्गज विधायक व एक पूर्व सांसद ने कांग्रेस से अपनी नाराजगी जताई है। राजकोट के कुंवरजी बावळिया …

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गंगा दशहरा पर उमड़ा आस्था का सैलाब, हर-हर गंगे से गूंजे गंगा घाट

गंगा दशहरे के दिन देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा के घाटों पर पवित्र डुबकी लगाई। संतो के मुताबिक कल एकादशी का स्नान होगा। मई मास में गंगा दशहरा अधिमास में होने के कारण संतों ने उसका वरण नहीं किया था। उनके अनुसार गंगा दशहरा अधिमास के बाद जून माह की 22 तारीख को यानि आज है। इसके अगले दिन एकादशी का स्नान होगा और पांचवें दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। गंगा दशहरे के मौके पर श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पुरोहितों की गद्दियों पर जाकर दान पुण्य किया। गंगा के नियत घाटों पर श्राद्ध तर्पण संपन्न कराए गए। सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन भी सतर्कता बरते हुए है। गंगा घाट हर हर गंगे के जयघोष से गूंजते रहे। गंगा दशहरे का स्नान तड़के से प्रारंभ हो गया था। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे वैसे गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती गई। स्नान के बाद श्रद्धालु कुशावर्त और नारायणी शिला जाकर श्राद्ध कर्म संपन्न कराते नजर आए। गंगा दशहरे के दिन पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। अनेक घाटों पर अंजुली में गंगा जल भरकर श्रद्धालु तर्पण करते नजर आए। स्नान के बाद श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ्य प्रदान भी किया गया। पूर्णिमा स्नान को हरिद्वार के गंगा घाटों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ यह भी पढ़ें गंगा के घाटों पर भक्तों ने पुरोहितों और पंडितों से धरती पर गंगा अवतरण की कथा भी सुनी। सुरक्षा के खासा इंतजाम किए गए है। हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, लोकनाथ घाट, कुशावर्त घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर पुलिस बल के साथ ही गोताखोर तैनात हैं।

गंगा दशहरे के दिन देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा के घाटों पर पवित्र डुबकी लगाई। संतो के मुताबिक कल एकादशी का स्नान होगा।  मई मास में गंगा दशहरा अधिमास में होने के …

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खेल मैदान में अजगर दिखने से लोगों में मची अफरा-तफरी

रात को खेल मैदान में अजगर दिखने से लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान कुछ साहसी युवकों ने उसे पकड़कर जंगल में छोड़ दिया। कैनाल शारदा इंटर कालेज के समीप खेल मैदान में गत रात्रि कुछ लोग टहल रहे थे। इस दौरान लोगों की नजर एक अजगर पर पड़ी। इससे लोगों में हड़कंप मच गया। लोगों के शोर मचाने पर मौके पर भीड़ जमा हो गई। इस दौरान कुछ युवकों ने अजगर को पकड़ने का प्रयास किया। इसमें वे सफल हुए और उसे पकड़कर दूर जंगल में छोड़ दिया। इससे लोगों ने राहत की सांस ली।

रात को खेल मैदान में अजगर दिखने से लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान कुछ साहसी युवकों ने उसे पकड़कर जंगल में छोड़ दिया।   कैनाल शारदा इंटर कालेज के समीप खेल मैदान में गत रात्रि कुछ लोग टहल …

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चमोली के किसानों ने नमो को दी उत्तराखंडी महक की पहली भेंट

सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में गुलाब (डेमस्क रोज) की खेती में जुटे किसानों की पहली समलौंण (यादगार) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की गई। यह समलौंण थी डेमस्क रोज ऑयल, जो वहां के किसानों ने पहली बार तैयार किया। अभी तक वे गुलाब जल बनाते आ रहे थे। नई पहल से उत्तराखंड के रोज ऑयल की ब्रांडिंग तो हुई ही, अब सगंध खेती से जुड़े किसानों की आर्थिकी और मजबूत होगी। इस गुलाब तेल की बाजार में कीमत 12 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। प्रदेश में सगंध खेती को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटे सगंध पौधा केंद्र (कैप) की पहल पर चमोली जिले के जोशीमठ व थराली क्षेत्र में काफी संख्या में किसान डेमस्क रोज की खेती से जुड़े हैं। कैप के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान बताते हैं कि अभी तक वहां के किसान गुलाब के फूलों से उत्तम क्वालिटी का गुलाब जल तैयार करते थे। पहली बार वहां गुलाब ऑयल तैयार किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इसे प्रधानमंत्री को इसे सौंपने से किसान गदगद हैं। डॉ. चौहान के अनुसार गुलाब में डेमस्क रोज की खेती खासी लाभप्रद है। इसमें एक हेक्टेयर से 25 कुंतल फूल का उत्पादन होता है। उन्होंने बताया कि इसके फूलों से निर्मित होने वाले ऑयल की कीमत 12 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है। पीएम के मन की बात में उत्तराखंड के इस जिले को तरजीह, जानिए यह भी पढ़ें इसे देखते हुए राज्य में क्लस्टर आधार पर डेमस्क रोज की खेती की जा रही है। वर्तमान में इसके 39 क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं।

सीमांत चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में गुलाब (डेमस्क रोज) की खेती में जुटे किसानों की पहली समलौंण (यादगार) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की गई। यह समलौंण थी डेमस्क रोज ऑयल, जो वहां के किसानों …

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