अन्तर्राष्ट्रीय

चीन को OBOR पर फिर झटका, भारत ने नहीं किया समर्थन

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे पीएम मोदी ने चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे तगड़ा झटका दिया है. चीन काफी समय से अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) पर भारत को साधने का प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको बार-बार विफलता का मुंह देखना पड़ता है. इस बार भी ऐसा हुआ और SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया. साथ ही चीन को पारदर्शिता और संप्रभुता के सम्मान करने की नसीहत भी दी. SCO सदस्य देशों में भारत इकलौता देश है, जो चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं कर रहा है. दरअसल, चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरती है, जिसका भारत कड़ा विरोध करता आ रहा है. भारत इसको अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. भारत का कहना है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है, जहां से उसकी इजाजत के बिना चीन कोई ऐसा निर्माण कार्य नहीं कर सकता है. SCO शिखर सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के समर्थन को दोहराया, लेकिन भारत ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. मतलब साफ था कि भारत अब भी चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है. फिलहाल इसे चीन की कोशिशों के लिए एक झटका माना जा रहा है. रविवार को SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर भारत के नजरिए को सामने जरूर रखा, लेकिन उन्होंने चीन की OBOR परियोजना का समर्थन नहीं किया. उन्होंने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर पारदर्शिता और संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही. पहली बार SCO शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम फिर एक ऐसे मुकाम पर हैं, जहां भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी भूगोल की परिभाषा बदल रही हैं. विशेषकर SCO क्षेत्र और पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत की  प्राथमिकता है. हम ऐसे नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों का स्वागत करते हैं, जो समावेशी, पारदर्शी और सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता …

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यह फोटो कुछ खास है! देखें: कैसे तमाम राष्ट्राध्यक्षों के बीच तनकर बैठे हैं ट्रंप

कहा जाता है कि 'एक तस्वीर हजार शब्दों' से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही है. कनाडा के ला मालबयी में 8-9 जून को आयोजित 44वें शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. साथ ही संयुक्त बैठक भी हुईं. सम्मेलन के दौरान की एक तस्वीर काफी चर्चा बटोर रही है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाकी सदस्य देशों के नेता नजर आ रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुर्सी पर बैठे नजर आ रहे हैं, जबकि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और जापान के राष्ट्रपति शिंजो आबे उनके सामने खड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान इन नेताओं के बीच क्या बात हुई, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन जिस अंदाज में ट्रंप के सामने बाकी नेता खड़े हैं, उससे किसी टीचर के सामने स्टूडेंट जैसी तस्वीर उभर रही है. सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियां भी की जा रही हैं. इस तस्वीर में एंजेला मर्केल ट्रंप से बात कर रही हैं, जबकि शिंजो आबे हाथों में हाथ बांधे हुए दूसरी तरफ मुंह किए खड़े हैं. डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही शांति के साथ हाथ बांधे हुए कुर्सी पर बैठे हैं. उनके हाव-भाव भी कुछ अलग ही हैं. ट्रंप के आगे रखी टेबल पर हाथ रखे हुए एंजेला मर्केल खड़ी हैं और ट्रंप से कुछ कह रही हैं. इस तस्वीर पर सोशल मीडिया में भी चुटकी ली जा रही है. बता दें कि शिखर सम्मेलन में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि हम रूस से उसके अस्थिर व्यवहार, लाकेतंत्र को कमजोर करने की उसकी प्रणाली और उसके सीरियाई शासन को समर्थन रोकने की अपील करते हैं. इसके अलावा इस शिखर सम्मेलन जी-7 देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बनाए रखने का संकल्प लिया है.

कहा जाता है कि ‘एक तस्वीर हजार शब्दों’ से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही …

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ट्रंप-किम की मुलाकात की जगह का इतिहास जानकर कांप जाएगी रूह

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात के लिए सबसे मनहूस जगह को चुना है. सिंगापुर के जिस सेंटोसा टापू पर विश्व शांति कायम करने के लिए वार्ता होने जा रही है, उसका इतिहास बड़ा भयानक है. दो वर्ग मील तक फैले इस टापू में करीब 200 साल पहले समुद्री डाकुओं का आतंक हुआ करता था, जो व्यापारियों को लूटते थे और उनको मौत के घाट उतार दिया करते थे. इसी टापू पर 76 साल पहले हजारों लोगों का नरसंहार हुआ था और 35 साल पहले तेल निकालने वाले जहाज की वजह से एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था और टूरिस्ट केबल कार के दो कैरेज समुद्र में जा गिरे थे. इतने बड़े-बड़े हादसों और दर्दनाक वारदातों के बाद लोगों ने इस जगह को ही शापित मान लिया था. लिहाजा फिर तय हुआ कि इस टापू की मनहूसियत को खत्म करने के लिए इसका नाम ही बदल दिया जाए और तब इसे नया नाम मिला सेंटोसा. टेलीग्राफ के मुताबिक साल 1972 तक सेंटोसा द्वीप को 'पुलाऊ बेलकांग मति' (Pulau Blakang Mati) नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है - मृत्यु का द्वीप (Island of Death from Behind). अब इत्तेफाक देखिए इसी शापित जगह से विश्वशांति कायम करने की शुरूआत होने जा रही है. 12 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग उन सिंगापुर के इसी सेंटोसा द्वीप पर पहली बार एक-दूसरे से मिलेंगे. यहां स्थित पांच सितारा होटल कपेला (Capella) में एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे. वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच सिंगापुर समिट की जगह सेंटोसा द्वीप का होटल कपेला होगी. हम इस मेहमान नवाज़ी के लिए सिंगापुर के लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं. भारतीयों के बीच भी लोकप्रिय है यह टापू सिंगापुर का सेंटोसा टापू भारतीय पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. 1690 लोगों की आबादी वाले इस टापू में हर साल दो करोड़ पर्यटक आते हैं. 12 जून को होने वाली वार्ता से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन सिंगापुर के सेंटोसा टापू पहुंच चुके हैं. अब दुनिया भर की निगाहें, दोनों की मुलाकात पर टिकी हुई है.

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात के लिए सबसे मनहूस जगह को चुना है. सिंगापुर के जिस सेंटोसा टापू पर विश्व शांति कायम करने के लिए वार्ता होने जा रही …

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G-7 समिट के बाद ‘ट्विटर बम’ फोड़ते सिंगापुर पहुंचे ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषाण पत्र को एक झटके में खारिज कर दिया. साथ ही मेजबान कनाडा पर अपमानजनक टिप्पणियां की, जिसके बाद से घमासान मच गया. डोनाल्ड ट्रंप के सिलसिलेवार ट्वीट के बाद से अमेरिका और यूरोप के बीच ट्रेड वॉर छिड़ गया है. कनाडा के क्यूबेक शहर में G-7 सम्मेलन में अमेरिका सहित सभी सदस्य देशों की सहमति से तय हुए संयुक्त बयान को जारी किया गया, इससे पहले ही ट्रंप सिंगापुर के लिए रवाना हो गए और थोड़ी देर बाद अपने विशेष विमान एयरफोर्स-वन में बैठे-बैठे ट्विटर पर बयानबाजी शुरू कर दी. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने संवाददाता सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के झूठे बयान और कनाडा द्वारा अमेरिकी किसानों, कामगारों और कंपनियों पर लगाए जा रहे भारी-भरकम शुल्कों को देखते हुए हमने अपने प्रतिनिधि को कहा कि वो साझा बयान की पुष्टि न करें, क्योंकि हम अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में आ रहे वाहनों पर शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं.’ उन्होंने लिखा, ‘कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने G-7 बैठक में दबे और सुलझे होने का नाटक किया, ताकि वह उसके बाद वहां से मेरे प्रस्थान के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल सकें और कह सकें....उन्हें कोई धमका नहीं सकता. बहुत ही बेईमान और कमजोर व्यक्ति.’ ट्रंप के इन ट्वीट के बाद बवाल मच गया. मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हटकर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया है. उन्होंने ट्रंप से कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. अमेरिका बोला- जस्टिन ट्रुडो ने घोंपा छुरा वहीं, इस बीच व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुदलोव ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो ने G-7 सम्मेलन में हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. अमेरिका को जस्टिन द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए बयान पर ऐतराज है. हम सद्भावना के साथ बयान में शामिल हुए थे. क्‍या है मामला? दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैरिफ लगा दिया है, जिसके चलते कनाडा समेत कई देश नाराज हैं. इस समिट में अमेरिकी टैरिफ को लेकर चर्चा की जा रही थी.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषाण पत्र को एक झटके में खारिज कर दिया. साथ ही मेजबान कनाडा पर अपमानजनक टिप्पणियां की, जिसके बाद से …

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चीन जरूरी भी, मजबूरी भी: 42 दिन में मोदी-जिनपिंग की दो मुलाकातों से क्या बदला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा. पहली बार एससीओ का पूर्ण सदस्य भारत इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. डोकलाम से आगे निकले रिश्ते पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं. पर्सनल केमिस्ट्री से बदले हालात डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी. वुहान में बनी बुनियाद अप्रैल में वुहान शहर में दुनिया की दो सबसे बड़ी अभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने अनौपचारिक बैठक कर तनाव को दूर करने की कोशिश का ऐलान किया. आज हालात पिछले कुछ महीनों पहले की स्थिति से काफी भिन्न दिखाई दे रहे हैं. क्या बदलाव दिखा है इन 42 दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में, सरहद पर और कूटनीति में.. -ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करेगा चीन शनिवार को शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर अहम समझौता हुआ. पूर्वोत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी भारत की लाइफलाइन है और वहां रहने वाले लोगों के लिए इस नदी के जल बहाव के बारे में सटीक जानकारी रखना जरूरी है. डोकलाम तनाव के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करना बंद कर दिया था. इससे असम समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के पानी पर नियंत्रण और प्रबंधन में दिक्कतें आ रही थी. -व्यापार घाटा कम करने पर सहमति भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है. -सीमा पर तनाव कम करने के लिए मैकेनिज्म भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे. -वित्तीय संबंध बढ़ाने पर जोर विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने चीन के सरकारी बैंक ‘बैंक ऑफ चाइना’ को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति दे दी है. जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच वित्तीय क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत बैंक ऑफ चाइना को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति देने को तैयार है. -कृषि उत्पादों का भारत करेगा चीन को निर्यात कृषि संबंधी समझौते के तहत अब भारत चीन को बासमती के साथ-साथ अन्य तरह के चावल, चीनी, औषधियों का निर्यात करेगा. भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने अप्रैल की अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत चीन को 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. -पीपुल टु पीपुल कॉन्टैक्ट का नया तंत्र भारत और चीन ने विवादित मुद्दों पर बातचीत से इतर आपसी संपर्कों और व्यापारिक संबंधों के जरिए संबंध मजबूत करने का नया मंत्र अपनाया है. द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने के लिए भारत और चीन ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र गठित करने का फैसला किया है. इस तंत्र में दोनों देशों के विदेश मंत्री नेतृत्व करेंगे. लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए फिल्म, संस्कृति, योग, पारंपरिक भारतीय दवाएं, कला और संग्रहालय जैसे माध्यमों पर जोर दिया गया है. इस तंत्र की पहली बैठक इसी साल होगी. चीन में भारतीय फिल्मों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी इसमें जिक्र किया गया. जिनपिंग ने भारतीय फिल्म दंगल, बाहुबली और हिंदी मीडियम का खासतौर पर उल्लेख किया. भारत से जुड़ाव के लिए हाल के वर्षों में चीन ने हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है. चीन की 15 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ाई जा रही है. भारत का योग भी चीन में खासा लोकप्रिय है. चीन में लगभग 1500 योग गुरु हैं जिनमें से अधिकांश भारतीय हैं. दोनों देशों की साझा ताकत दुनिया के लिए अहम चीन और भारत का साथ आना पूरी दुनिया के लिए अहम है. दोनों देशों की आबादी 2 अरब 60 करोड़ से अधिक है. दोनों दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. दुनिया की जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. इसीलिए दोनों देशों को दुनिया का भविष्य कहा जाता है. भारत-चीन का सहयोग दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, इस लिहाज से आपसी विश्वास के लिए उठाए गए ये कदम न सिर्फ भारत और चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया खासकर तीसरी दुनिया के लिए देशों के लिए काफी अहम हैं. चीन की ओबीओआर परियोजना के खिलाफ भारत टिका हुआ है, इस दौरे में भी पीएम मोदी ने चीन की इस परियोजना को भारत की संप्रभुता के खिलाफ करार देकर ठुकरा दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के …

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ईद पर शांत रहेगा तालिबान, 3 दिन के सीजफायर का ऐलान

तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों के साथ ईद के मौके पर तीन दिन का संघर्षविराम रखने की घोषणा की है. हालांकि, विदेशी बलों के खिलाफ उसका अभियान जारी रहेगा. अफगान सरकार की ओर से रमजान के मौके पर एक सप्ताह लंबे संघर्षविराम की घोषणा के दो दिन बाद आतंकी संगठन तालिबान ने मीडिया में यह बयान जारी किया है कि वह तीन दिन का संघर्षविराम रखने पर सहमत हैं. तालिबान की तरफ से कहा गया है कि अगर इस दौरान उन पर हमले होते हैं तो उसका वह अपना बचाव मजबूती के साथ करेंगे. तालिबान ने एक संदेश में कहा है, 'सभी मुजाहिद्दीन को ईद उल फितर के पहले तीन दिन तक अफगान बलों पर हमला नहीं करने का निर्देश दिया गया है.' इस संदेश में तालिबान ने आगे कहा है, 'लेकिन अगर मुजाहिद्दीनों पर हमले होते हैं तो हम मजबूती से खुद का बचाव करेंगे. लेकिन विदेशी बलों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा यह संघर्षविराम उन पर लागू नहीं होता है.' अफगानिस्तान में 2001 में शुरू हुई अमेरिकी कार्रवाई के बाद यह पहला मौका है, जब तालिबान ईद के दौरान संघर्षविराम को राजी हुआ है.

तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों के साथ ईद के मौके पर तीन दिन का संघर्षविराम रखने की घोषणा की है. हालांकि, विदेशी बलों के खिलाफ उसका अभियान जारी रहेगा. अफगान सरकार की ओर से रमजान के मौके पर एक सप्ताह …

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अफगान पुलिस बेस पर तालिबानी आतंकियों का हमला, 19 पुलिसकर्मियों की मौत

अफगानिस्तान के कुंदूज प्रांत में एक सैन्य अड्डे पर शनिवार को तालिबान लड़ाकों ने हमले किए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि इस हमले में कम से कम 19 अफगान पुलिसकर्मी मारे गए हैं. आतंकवादियों द्वारा अगले हफ्ते से अभूतपूर्व संघर्षविराम की घोषणा करनी थी. ईद के पहले तीन दिनों के लिए अफगान सुरक्षा बलों के साथ संघर्षविराम की तालिबान की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही यह हमला किया गया.  इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है. पश्चिमी प्रांत हेरात में एक सैन्य अड्डे पर आतंकवादियों के हमले के एक दिन बाद यह हमला हुआ है. उस हमले में भी लगभग 17 अफगान सैनिक मारे गए थे. कुंदूज के प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता नेहमतुल्ला तैमूरी ने कहा कि कल-ए-जाल जिले में एक पुलिस अड्डे पर आज के हमले में स्थानीय पुलिस बल के पांच सदस्य जख्मी भी हुए. प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता एन्हामुद्दीन रहमानी ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की और कहा कि तालिबान के भी आठ लड़ाके मारे गए. ईद के पहले तीन दिनों के लिए अफगान सुरक्षा बलों के साथ संघर्षविराम की तालिबान की घोषणा से कुछ घंटे पहले यह हमला किया गया.

अफगानिस्तान के कुंदूज प्रांत में एक सैन्य अड्डे पर शनिवार को तालिबान लड़ाकों ने हमले किए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि इस हमले में कम से कम 19 अफगान पुलिसकर्मी मारे गए हैं. आतंकवादियों द्वारा अगले हफ्ते से अभूतपूर्व …

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मीटिंग से पहले बोले ट्रंप- सिंगापुर समिट किम जोंग के लिए आखिरी मौका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की मुलाकात 12 जून को सिंगापुर में होगी. इससे पहले ट्रंप ने चेताया है कि किम जोंग के लिए सिंगापुर शिखर सम्‍मेलन आखिरी मौका है. ट्रंप ने ये बात G7 सम्मेलन के दौरान कही. बता दें, इन दोनों नेताओं की इस ऐतिहासिक मुलाकात के लिए तैयारी भी तकरीबन पूरी कर ली गई हैं और किम जोंग आज सिंगापुर के लिए रवाना होंगे.  डोनाल्‍ड ट्रंप इस मुलाकात को लेकर काफी सकारात्‍मक रवैया अख्‍तियार किए हुए हैं. उनका मानना है कि किम के साथ मुलाकात 'शांति का मिशन' है. इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि 12 जून को सिंगापुर में किम के साथ होने वाली उनकी मुलाकात सिर्फ तस्वीरें खिंचाने का अवसर नहीं बल्कि इससे कहीं बढ़कर होगी. ट्रंप ने ये भी कहा था कि, 'सिंगापुर वार्ता सफल रहती है तो अगली मुलाकात व्हाइट हाउस में होगी.' सिंगापुर ने मंगलवार की ऐतिहासिक वार्ता के लिये पर्यटक रिसॉर्ट द्वीप सेंटोसा के एक विशेष स्थल को चुना है. माना जाता है कि इस वार्ता को दुनिया भर से 2,500 से अधिक पत्रकार कवर करेंगे. बहरहाल शुरुआत में इस बात को लेकर अनिश्चितता थी कि वार्ता आखिरकार कहां होगी. इससे पहले टल गई थी मुलाकात बता दें, दोनों नेताओं के बीच होने ये मुलाकात पहले रद्द हो गई थी. उस वक्‍त ट्रंप ने कहा था कि किम के हाल के बयानों से यह मुलाकात संभव नहीं है. दरअसल, मुलाकात तय होने के बाद ही किम ने चीन का दौरा किया था, जो अमेरिका की आंखों में खटकने लगा था. उसके बाद ही इस मुलाकात पर ग्रहण लग गया था. हालांकि उत्तर कोरिया ने संयम से काम लिया और इस मुलाकात को बहाल करने के लिए कूटनीतिक वार्ता शुरू. इस सिलसिले में किम ने उत्तर कोरिया के वरिष्ठ अधिकारी किम योंग चोल को अपना राजदूत बनाकर अमेरिका भेजा. किम योंग चोल ने वहां अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात की और इसके बाद व्हाइट हाउस पहुंचकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले. इस दौरान उन्होंने किम के खत को ट्रंप को सौंपा और वार्ता को लेकर उत्तर कोरिया का पक्ष रखा. इस पर ट्रंप सिंगापुर में 12 जून को किम से मुलाकात करने को फिर तैयार हो गए और फौरन इसका ऐलान कर दिया.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की मुलाकात 12 जून को सिंगापुर में होगी. इससे पहले ट्रंप ने चेताया है कि किम जोंग के लिए सिंगापुर शिखर सम्‍मेलन आखिरी मौका है. ट्रंप ने ये …

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SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने दिया सुरक्षा का SECURE मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने एससीओ सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी पर भारत का जोर है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. इसके लिए पीएम मोदी ने एक नया मंत्र भी दिया, जिसे उन्होंने SECURE नाम दिया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए 6 कदम उठाने जरूरी हैं. साथ ही उन्होंने आतंकवाद से पीड़ित अफगानिस्तान का भी जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपित गनी ने शांति की तरफ जो कदम उठाए हैं, उनका क्षेत्र में सभी को सम्मान करना चाहिए. बता दें कि पीएम मोदी शनिवार को अपने इस दो दिवसीय दौरे पर रवाना हुए थे. सम्‍मेलन के स्‍वागत समारोह में आज पीएम मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. इससे पहले शनिवार को पहुंचते ही मोदी ने SCO समिट से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की थी. पीएम मोदी की हुई शी जिनपिंग से मुलाकात इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने करीब एक महीने पहले वुहान में हुई पहली अनौपचारिक बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन पर चर्चा की. पिछले चार साल में यह दोनों नेताओं की 14वीं मुलाकात है. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच बाढ़ के आंकड़े उपलब्ध कराने और चावल के निर्यात के नियम सरल बनाने को लेकर समझौतों पर दस्तखत हुए. पहले समझौते में भारतीय राजदूत गौतम बंबावाले और चीनी उप विदेश मंत्री कोंग शौनयू ने हस्ताक्षर किए. इसके बाद दूसरे समझौते में गौतम बंबावाले और चीनी के मंत्री नी यूफेंग ने दस्तखत किए. भारत पिछले साल बना SCO का पूर्ण सदस्‍य बता दें, भारत पिछले साल ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का पूर्ण सदस्य बना था. SCO के पूर्ण सदस्यों में भारत, चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान, मंगोलिया, इरान और बेलारूस पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने एससीओ सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी पर भारत का जोर है. इस दौरान पीएम मोदी ने …

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कनाडा के PM ट्रूडो पर भड़के ट्रंप, बताया- बेईमान और कमजोर

कनाडा में हुआ जी-7 देशों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन बड़े विवाद की वजह बन गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो टैरिफ के मसले पर आमने-सामने आ गए हैं और इस लड़ाई में ट्रंप ने ट्रूडो को बेईमान और कमजोर तक कह दिया है. दरअसल, पिछले हफ्ते ही अमरीका ने यूरोपीय यूनियन, कनाडा और मेक्सिको से स्टील और एल्यूमीनियम आयात करने पर टैरिफ लगाने का फैसला किया है. जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए माकूल जवाब देने की बात कह डाली. इस पर डोनाल्ड ट्रंप बिफर गए और उन्होंने सम्मेलन से जाने के बाद ट्रूडो के खिलाफ कई ट्वीट किए. ट्रंप ने बताया बेईमान ट्रंप ने अपने ट्वीट में लिखा कि पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जी-7 सम्मेलन के दौरान बहुत की हल्का व्यवहार किया और कहा कि अमेरिका ने जो टैरिफ लगाए हैं वो अपमानजनक हैं. ट्रंप ने आगे उन्हें बेईमान और कमजोर लिखते हुए कहा कि हमारे टैरिफ डेयरी पर उनके (ट्रूडो) 270% के बदले हैं.इतना ही नहीं ट्रंप ने जस्टिन ट्रूडो पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में गलत बयान देने का भी आरोप लगाया. उन्होंने बताया सच्चाई ये है कि कनाडा अमेरिका किसानों, मजदूरों और कंपनियों पर भारी टैरिफ लगा रहा है. बता दें कि इससे पहले जस्टिन ट्रूडो ने उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) और द्विपक्षीय व्यापार संधि के अमेरिका के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर संशोधित NAFTA डील पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो वह एल्यूमीनियम और इस्पात उत्पादों पर नए लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ छोड़ देंगे.

कनाडा में हुआ जी-7 देशों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन बड़े विवाद की वजह बन गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो टैरिफ के मसले पर आमने-सामने आ गए हैं और इस लड़ाई में ट्रंप …

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