अन्तर्राष्ट्रीय

कंगाली की कगार पर पाकिस्तान! भारतीय रुपये से आधी हो गई करेंसी की कीमत

ईद के त्योहार के कुछ दिनों पहले ही पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. पिछले कुछ समय से लगातार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गोते लगा रही है, इसके साथ ही कर्ज का दबाव भी बढ़ रहा है. मंगलवार के आंकड़ों के अनुसार, एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत अब 122 हो गई है. सिर्फ सोमवार को ही पाकिस्तानी रुपया की कीमत करीब 3.8 फीसदी तक गिर गई. यानी अगर पाकिस्तान की तुलना भारत से की जाए तो वह काफी बदतर स्थिति में दिखाई पड़ता है. भारतीय रुपये की कीमत अभी 67 रुपये है, यानी भारत की एक अठन्नी अब पाकिस्तानी रुपये के बराबर हो गई है. गौरतलब है कि अगले महीने ही पाकिस्तान में आम चुनाव है, ऐसे में देश की माली हालत बिगड़ना चुनावों में भी एक बड़ा मुद्दा बन सकती है. इस तरह की अटकलें हैं कि पाकिस्तान चुनाव के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से कर्ज मांग सकता है. देश में भुगतान संतुलन संकट की आशंका है, इससे पहले देश 2013 में मुद्राकोष के पास गया था. कार्यवाहक वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने कहा, ‘हमें 25 अरब डालर के अपने व्यापार घाटे के अंतर को हमारे भंडार के जरिए पाटना होगाऔर कोई विकल्प नहीं है.’ उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के समक्ष यह प्रमुख चिंता है. देश के केंद्रीय बैंक ने रुपये में 3.7% का अवमूल्यन किया है. बता दें कि हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था. रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस वित्तीय वर्ष में लिया गया कर्ज करीब 5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के कगार पर है. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान भुगतान संकट के चलते चीन से 1-2 बिलियन डॉलर (68- 135 अरब रुपए) का नया लोन लेने जा रहा है. यह इस बात का एक और संकेत है कि पाकिस्तान बीजिंग पर आर्थिक तौर पर किस कदर निर्भर हो चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार की खस्ता हालत- चीन से लिए गए इस नए लोन का इस्तेमाल पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार की हालत ठीक करने में करेगा.

ईद के त्योहार के कुछ दिनों पहले ही पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. पिछले कुछ समय से लगातार पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गोते लगा रही है, इसके साथ ही कर्ज का दबाव भी बढ़ रहा है. मंगलवार …

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OPCW ने कहा- सीरिया में हुए 2 हमलों में हुआ था केमिकल का इस्तेमाल

सीरिया में किए गए हमलों में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि हो गई है. विश्व में रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध की पैरोपकार संस्था रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) ने कहा कि पिछले साल मार्च में उत्तर पश्चिमी सीरिया के लतामनेह पर किए गए दो अलग-अलग हमलों में सरिन और क्लोरीन जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया गया था. OPCW ने एक बयान जारी कर कहा कि लतामनेह पर 24 मार्च 2017 को किए गए हमले में संभावित तौर पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. संगठन के मिशन ने यह भी बताया कि उसी दिन लतामनेह के एक अस्पताल पर किए गए हमले में संभावित तौर पर क्लोरीन का इस्तेमाल किया गया था. हाल ही में सीरिया में दो केमिकल हमले हुए थे. आखिरी बार 2017 में सीरिया में केमिकल हमले की बात सामने आई थी. इसमें काफी संख्या में नागरिकों की मौत हो गई थी. अमेरिका ने इस हमले के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि इस पर रूस ने सीरिया सरकार का बचाव किया था. इसके बाद प्रतिबंधित केमिकल हथियारों के इस्तेमाल को लेकर अमेरिका ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर सीरिया पर हमला किया था. अमेरिका ने सीरिया में 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी थी. इससे पहले हुए केमिकल हमले का आरोप भी सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर लगा था.

सीरिया में किए गए हमलों में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल की पुष्टि हो गई है. विश्व में रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध की पैरोपकार संस्था रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) ने कहा कि पिछले साल मार्च में उत्तर पश्चिमी सीरिया के …

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वकील ने छोड़ा केस, परेशान नवाज शरीफ बोले- फांसी दो या जेल भेज दो

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आम चुनावों से ठीक पहले एनएबी (नेशनल अकांउटेबिलिटी ब्यूरो) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दायर किए भष्ट्राचार के विभिन्न मामलों को झेल रहे है. इस केस में नवाज शरीफ को एक और झटका लगा है. नवाज शरीफ के वकील ख्वाजा हैरिस ने इस केस को लड़ने से इनकार कर दिया है. यह घटना सोमवार की है, जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि इस मामले की सुनवाई शनिवार सहित सप्ताह के प्रत्येक दिन होगी. इसके बाद शरीफ के वकील इस केस से हट गए. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए आपत्ति दर्ज कराई. शरीफ ने कहा कि मेरे मूलभूत अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थिति में कोई भी वकील इस केस को नहीं लेगा, क्योंकि उसे केस की तैयारी करने का समय नहीं मिलेगा. केस की सुनवाई वीकेंड पर भी हो रही है. जब केस के जज मोहम्मद बशीर ने कोर्ट में सुनवाई शुरु की, तब शरीफ ने जज से कहा, 'मेरे वकील ने केस से खुद को हटा लिया है. मेरा मूलभूत अधिकार है कि मैं अपनी पसंद के हिसाब से एक नया वकील हायर करूं.' शरीफ ने आगे कहा कि अब तक ख्वाजा हैरिस केस को अच्छी तरह से समझते थे, अब इस स्थिति में एक नये वकील को नियुक्त करना आसान काम नहीं है.  शरीफ के बयान के बाद कोर्ट के जज बशीर ने कहा कि ख्वाजा का लिखित आदेश दिया जाए. वकील ख्वाजा को फिर से केस से जुड़ने के लिए मनाया जाए, यदि वो ना मानें तो आप 19 जून तक एक नये वकील को हायर कर सकते हैं. पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट डॉन के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आगे कहा कि मेरे खिलाफ केस को जानबूझकर लंबा खींचा जा रहा है. चीफ जस्टिस इस केस की सुनवाई अपनी ही बेंच में कर सकते हैं और मुझे फांसी की सजा या जेल भेज सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह कम से कम 100 बार कोर्ट में पेश हो चुके हैं.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आम चुनावों से ठीक पहले एनएबी (नेशनल अकांउटेबिलिटी ब्यूरो) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दायर किए भष्ट्राचार के विभिन्न मामलों को झेल रहे है. इस केस में नवाज शरीफ को एक और झटका लगा है. …

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पाकिस्तान में 100 साल की महिला लड़ेगी इमरान खान के खिलाफ चुनाव

पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान के खिलाफ 100 वर्षीय महिला चुनाव लड़ने वाली है. इमरान खान इस बार लगभग पांच सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिसमें यह महिला दो सीटों से उनके खिलाफ पर्चा दाखिल करेंगी. हजरत बीवी, बन्नू की एक स्थानीय चर्चित महिला हैं, जिन्होंने नेशनल असेंबली के लिए एनए-35(बन्नू) और के-पी असेंबली के लिए पीके-89(बन्नू-III) से नामांकन दाखिल किया है. हजरत बीवी चुनाव में दोनों जगहों से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी. हजरत बीवी का उदेश्य अपने जिले में लड़कियों की शिक्षा को बढावा देना है, जो कि आतंकी गतिविधियों के लिए मशहूर और बॉर्डर के काफी नजदीक है. बन्नू तालिबान के लिए भी एक मजबूत जगह है. उस इलाके में लगभग 10 लाख वजीरीस्तानी प्रवासियों ने भी शरण ली हुई है. इन्हें अपना घर पाकिस्तानी आर्मी के आतंकियों पर किए गए हमले के कारण खोना पड़ा था. हजरत बीवी को उम्मीद है कि शिक्षा से ही बड़े स्तर पर लड़कियों और समाज का कल्याण होगा.

पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान के खिलाफ 100 वर्षीय महिला चुनाव लड़ने वाली है. इमरान खान इस बार लगभग पांच सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिसमें यह महिला दो सीटों से उनके …

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किम जोंग उन ने स्वीकार किया डोनाल्‍ड ट्रंप का न्योता, जल्‍द जाएंगे व्हाइट हाउस

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन के बीच मंगलवार को बहुप्रतीक्षित बैठक हुई थी. इस मीटिंग के सफल होने के बाद ट्रंप ने किम को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया था. अब उत्तर कोरियाई नेता ने इस न्‍योते को स्‍वीकार कर लिया है. ऐसे में अब जल्‍द ही व्हाइट हाउस में किम और ट्रंप की दूसरी मुलाकात हो सकती है. न्‍यूज एजेंसी एएफपी ने कोरियन सेंट्रल न्‍यूज एजेंसी के हवाले से ये जानकारी साझा की है. इसके मुताबिक, किम जोंग उन ने डोनाल्‍ड ट्रंप के न्‍योते को स्‍वीकार कर लिया है. बता दें, अभी कुछ महीने पहले तक दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग चालू थी. लेकिन जब दोनों मिले तो मिजाज पूरी तरह से बदल गया.  बता दें, ट्रंप और किम की ये मुलाकात 90 मिनट तक चली. दो दौर की बात और फिर वर्किंग लंच के बाद दोनों देशों ने साझा बयान जारी किया. साझे बयान में कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण निरस्त्रीकरण पर दोनों देशों ने सहमति जताई. अमेरिका हथियारों को नष्ट कराने के बाद उत्‍तर कोरिया का सहयोग करेगा. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐलान किया कि शर्तों के पूरा होने तक प्रतिबंध अभी जारी रहेंगे. विश्वयुद्ध का टला खतरा? गौरतलब है कि हाल तक उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और इंटरकंटिनेंटल मिसाइलों को लेकर विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया था. फिर इसी शर्त पर दोनों देश बातचीत की टेबल पर लौटे. उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण, हाइड्रोजन बमों के परीक्षण और मिसाइल परीक्षण पर अमेरिका का रुख सख्त था. ट्रंप ने ऐलान किया किम सभी परमाणु और मिसाइल परीक्षण स्थलों को नष्ट कराएंगे और अमेरिका इसकी निगरानी करेगा. किम को ट्रंप ने सराहा ट्रंप ने किम जोंग उन की सराहना करते हुए कहा कि इस उम्र में वे काफी प्रतिभावान हैं. वे अपने देश से बहुत प्यार करते हैं. किम के पास ऐतिहासिक मौका है अपने देश को दुनिया के साथ जोड़ने का, दुनिया की प्रगति में हिस्सेदार बनाने का. किम ने कोरियाई प्रायद्वीप को पूरी तरह परमाणु हथियारों से मुक्त करने का भरोसा दिलाया है. हम इस वादे पर भरोसा करेंगे और इस मिशन को पूरा करेंगे. ट्रंप ने इस मुलाकात को दुनिया में शांति की दिशा में सबसे बड़ा कदम बताया.

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग उन के बीच मंगलवार को बहुप्रतीक्षित बैठक हुई थी. इस मीटिंग के सफल होने के बाद ट्रंप ने किम को व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया था. अब उत्तर कोरियाई …

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US ने मानी नॉर्थ कोरिया की शर्त, ट्रंप बोले- दक्षिण कोरिया के साथ बंद होगा सैन्य अभ्यास

अमेरिका और उत्तर कोरिया की दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है. सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक वार्ता के बाद यह चमत्कार हुआ है. इससे दुनिया ने भी राहत की सांस ली है. वहीं, परमाणु हमले की धमकी देने वाले दोनों देश अब शांति की राह में कदम बढ़ाने लगे हैं. जहां एक ओर उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण स्थलों को नष्ट करने का ऐलान किया है, तो दूसरी ओर अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य अभ्यास बंद करने की बात कही है. सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के साथ ऐतिहासिक वार्ता के बाद कहा कि अमेरिका कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य अभ्यास करना बंद कर देगा, लेकिन उसके परमाणु परीक्षणों को लेकर उस पर प्रतिबंध फिलहाल लगा रहेगा. ट्रंप ने कहा, ‘हम सैन्य अभ्यास बंद कर देंगे, जिससे काफी धन की बचत होगी.’ उन्होंने कहा कि वह सैन्य अभ्यास बंद करने के लिए सहमत हुए हैं, क्योंकि वह इसे बहुत ही उकसाने वाला मानते हैं. उत्तर कोरिया की भी बात मान गया अमेरिका दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास बंद करने की ट्रंप की घोषणा ने उत्तर कोरिया की एक बड़ी मांग पूरी कर दी है. दरअसल, उत्तर कोरिया इसे हमले का अभ्यास होने का दावा किया करता है. हालांकि, ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों को लेकर उस पर प्रतिबंध फिलहाल लगा रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वो दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाना चाहते हैं, जैसा कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था. ट्रंप ने कहा, ‘मैं अपने सैनिकों को वहां से हटाना चाहता हूं. मैं अपने सैनिकों को स्वदेश बुलाना चाहता हूं. मुझे आशा है कि यह आखिरकार होगा.’ कोरियाई प्रायद्वीप में 30 हजार अमेरिका सैनिक हैं तैनात वहीं, ट्रंप की यह टिप्पणी दक्षिण कोरियाई कट्टरपंथियों के कान खड़े कर सकती है, जिन्होंने उनसे उनके देश की सुरक्षा को जोखिम में नहीं डालने का अनुरोध किया है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया सुरक्षा के मामले में सहयोगी देश हैं. करीब 30,000 अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं. वे उत्तर कोरिया से उसे बचाने के लिए वहां रखे गए हैं, जिसने 1950 में आक्रमण किया था. दोनों देश हर साल संयुक्त सैन्य अभ्यास करते रहे हैं, जो उत्तर कोरिया के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है. उत्तर कोरिया लंबे समय से युद्ध अभ्यास बंद करने का अनुरोध करता रहा है और खुद भी बार-बार मिसाइल परीक्षण करता रहा है, जिससे संबंधों में तनाव आया. समझौते के बाद अब सैन्य अभ्यास अनुचित डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मैं इसे बहुत ही उकसाने वाला मानता हूं. जिन परिस्थितियों में हम एक पूर्ण समझौते की बात कर रहे हैं, उसमें सैन्य अभ्यास करना अनुचित है. पहली चीज तो यह है कि हमें धन की बचत होगी और दूसरी चीज यह कि इसकी काफी सराहना होगी.’ यह कदम चीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव पर अधारित प्रतीत होता है. इसके तहत अमेरिका के सैन्य अभ्यास रोकने के एवज में उत्तर कोरिया परमाणु और मिसाइल परीक्षण नहीं करेगा.

अमेरिका और उत्तर कोरिया की दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है. सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक वार्ता के बाद यह चमत्कार हुआ है. इससे दुनिया ने …

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ट्रंप-किम की दोस्ती से भारत के सधेंगे ये दो बड़े हित

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दोस्ती की नई शुरुआत भारत के आर्थिक और रणनीतिक हित में है. यही वजह है कि सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक समिट का भारत ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया है. भारत पहले से ही ट्रंप और किम की मुलाकात पर बारीकी से नजर बनाए हुए था. पिछले कुछ वर्षों में उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच करीबी बढ़ी है, जो अब खत्म हो सकती है. इसकी वजह यह है कि अभी तक संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के प्रतिबंध के चलते कोई देश उत्तर कोरिया से संबंध नहीं रख रहा था. इस बीच पाकिस्तान गुपचुप तरीके से उत्तर कोरिया से नजदीकी बढ़ाता रहा. भारत लगातार उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ का मामला उठाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक हस्तांतरित की है. दरअसल, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के चलते उत्तर कोरिया काफी समय से अलग-थलग पड़ा था, जिसका फायदा पाकिस्तान उठा रहा था. वह उत्तर कोरिया को भारत के खिलाफ खड़ा करना चाहता था. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत समेत दुनिया भर के लिए चिंता का सबब बन गए थे. लिहाजा भारत चाहता था कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म कर दे और इस समिट में वही हुआ. जब ट्रंप और किम की मुलाकात की तारीख तय हो गई, तो भारत फौरन हरकत में आया और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने उत्तर कोरिया का दौरा किया. इस दौरान उत्तर कोरिया ने आश्वस्त किया कि वो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं देगा. इससे भारत की चिंता काफी हद कम हुई है. हालांकि अभी उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लागू रहेंगे, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ लगे वैश्विक और अमेरिकी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे. इससे भारत के लिए उत्तर कोरिया के रूप में एक उभरता हुआ बाजार मिल जाएगा, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को धार देने में मदद मिलेगी. वहीं, दूसरी ओर उत्तर कोरिया के बाजार में चीन की चुनौती बढ़ेगी. अभी तक उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से अलग-थलग पड़ा था, जिसके चलते वहां के बाजार में चीन का एकछत्र राज था. इस तरह अमेरिका और उत्तर कोरिया की दोस्ती जहां एक ओर भारत के लिए अवसर बनेगी, तो दूसरी ओर चीन के लिए चिंता पैदा होगी.

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दोस्ती की नई शुरुआत भारत के आर्थिक और रणनीतिक हित में है. यही वजह है कि सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक …

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कोरिया जहां शादी होने के बाद लड़कियों को लेना पड़ता है रिटायरमेंट

आजकल के समय में सरकारी और प्राइवेट सभी नौकरियों मे महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा हैं और महिलाऐं नौकरियों की ओर गमन करने लगी हैं। और इसके लिए सरकार द्वारा महिलाओं को विशेष अधिकार और कई नियम-कानून भी बनाए गए हैं। …

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खौफनाकः ज्वालामुखी से निकलता है मौत का लावा

खौलते-दहकते शोलों ने क़रीब महीने भर से अमेरिका के हवाई और ग्वाटेमाला को दहला रखा है. रह-रह कर फूटते ज्वालामुखी और इनसे निकलते लावे की नदियां अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को खाक करती आगे बढ़ रही हैं. मरने वालों की तादद लगातार बढ़ रही है. हालांकि इन शोलों ने अपने अंदर से कई सवाल भी बाहर उगले हैं. सवाल ये है कि आखिर ज़मीन के अंदर धधकती आग कहां से आती है? ज़मीन के नीचे मौजूद पत्थर किन हालात में आग का दरिया बन जाती हैं? ज्वालामुखी का ज्वाला आखिर कितना गर्म होता है. बहते लावे का तापमान कितना होता होगा? आग का दरिया और खौफनाक मंजर रह-रह कर उबलते और ज़मीन पर बहते शोले की तस्वीरें जितनी ख़ौफ़नाक हैं. उतनी ही दिलकश भी. पिघलते शोले की दिलकश तस्वीरें हर बार हैरान करती हैं. वजह ये कि पत्थर जैसी सख़्त और बेजान चीज़ अपने अंदर पैदा हुई गर्मी से यूं आग के दरिया में तब्दील हो सकती है, ये देख कर और जान कर भी इस पर आसानी से यकीन नहीं होता. क्योंकि आज तक आप और हम अपने आस-पास सचमुच जिन पत्थरों को देखते आए हैं, वो बेहद कठोर, भारी और सख्त होते हैं. कुछ इतने सख्त कि जब किसी सख्त चीज़ की मिसाल भी दी जाती है, तो ज़िक्र पत्थरों का ही होता है. कितनी होती है लावे की तपिश लेकिन 2,120 तापमान पर पिघलते लावे की कहानी ही कुछ और है. ये सख्त तो नहीं, लेकिन गर्म इतनी है कि अपने रास्ते में आनेवाले हर चीज़ का नामो-निशान मिटा दे. गर्म लावे के इसी मिज़ाज को समझने के लिए हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे प्रयोग किए जिनके नतीजों ने खुद इन वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरी दुनिया को भरमा दिया. इन प्रयोगों की पूरी सच्चाई जानने से पहले समझ लेते हैं कि पिघलते लावे की असली तपिश आख़िर होती कितनी है और ये हमारे आस-पास मौजूद चीज़ों के मुकाबले आखिर कितना ज़्यादा गर्म है. बर्फ़ का पिघलना 32 डिग्री तापमान यानी फॉरेनहाइट पर बर्फ पिघलना शुरु होती है. सबसे पहले बर्फ़ के पिघलते टुकड़े को देखिए. रेफ्रिजरेटर से निकालने के चंद मिनटों के अंदर ही बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगती है और धीरे-धीरे पानी में तब्दील हो जाती है. जानते हैं उस वक्त यहां का तापमान कितना होता है? महज़ 32 डिग्री. 32 डिग्री की इस गर्मी में इंसान आराम से रह सकता है. चॉकेलट का पिघलना अब बारी चॉकलेट की है. आम तौर पर चॉकलेट 50 डिग्री तापमान तक अपनी शेप यानी आकार में रहती है. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, चॉकलेट भी पिघलने लगती है. लेकिन पूरी तरह पिघलने के लिए चॉकलेट को भी 90 डिग्री तापमान की गर्मी की दरकार होती है. बहता लावा, तबाही का मंजर ज्वालामुखी से निकलते, पिघलते और बहते लावे को आख़िर इस रूप में आने के लिए कितनी गर्मी की ज़रूरत होती होगी? ये जानना ही अपने-आप में किसी अजूबे से कम नहीं है. क्योंकि ये तापमान है 2,120 डिग्री फॉरेनहाइट या फिर कई बार उससे भी ज़्यादा. पिघलते लावे की तस्वीरें इसका अहसास तो कराती ही हैं, लेकिन लावे के साथ-साथ पिघलते लोहे की इन तस्वीरों को देख कर भी आप इस गर्मी को समझ सकते हैं. क्योंकि आम तौर पर लोहे को पिघलने के लिए भी 2,000 डिग्री फॉरेनहाइट से ज़्यादा की गर्मी की ज़रूरी होती है. अमेरिकी वैज्ञानिकों के प्रयोग वैसे यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे की माने तो कई बार लावा 570 डिग्री फॉरेनहाइट पर भी ज़मीन के नीचे से बाहर निकलने लगता है. लेकिन हैरानी भरे तरीक़े से अपने धीरे-धीरे बहने और पूरी रफ्तार से चलने के दौरान इसकी गर्मी में कई गुना ज़्यादा इज़ाफ़ा हो जाता है. उदाहरण के लिए धीरे-धीरे बहते इस लावे का तापमान 895 डिग्री फॉरेनहाइट, जबकि सौ मील की रफ्तार से बहते लावे की इस नदी का तापमान 2,120 डिग्री फॉरेनहाइट तक हो सकता है. जिसके आस-पास फटकना भी खुद को राख में तब्दील कर लेने वाली बात है. लेकिन फिर भी कुछ अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी जान पर खेल कर हाल में इस लावे को लेकर जो प्रयोग किए हैं, उसकी तस्वीरें भी दिमाग़ घुमा देने वाली हैं. लावे में आई-फ़ोन वैज्ञानिकों ने धीरे-धीरे बहते इस लावे की गर्मी का अंदाजा लगाने के लिए एक आई फ़ोन को ही इसके हवाले कर दिया. नतीजा क्या हुआ, ये आपके सामने है. देखते ही देखते आईफ़ोन में आग लग गई, वैज्ञानिकों ने कुछ देर के लिए उसे निकाला भी, लेकिन अगली बार जब ये लावे की चपेट में आया तो इसे राख बनते देर नहीं लगी. लावे में कैन्ड फूड आई फ़ोन के बाद बारी कैन्ड फूड के एक डिब्बे की थी. डिब्बा लावे में क्या गया, कुछ ऐसे गायब हुआ कि उसका कोई नामो-निशान ही नहीं बचा. अब ज़रा सोचिए उन मकानों, दुकानों, गाड़ियों या फिर इंसानों और जानवरों की, जो ऐसे लावे की चपेट में आते होंगे. पिघलता और बहता लावा उनका क्या हाल करता होगा. यही करामात है शोलों से निकले इस लावे की. जो इंसान को खौफ से भर देती है.

खौलते-दहकते शोलों ने क़रीब महीने भर से अमेरिका के हवाई और ग्वाटेमाला को दहला रखा है. रह-रह कर फूटते ज्वालामुखी और इनसे निकलते लावे की नदियां अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को खाक करती आगे बढ़ रही हैं. मरने …

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नॉर्थ कोरिया के साथ कोई भी समझौता संसद की निगरानी में हो: डेमोक्रेट्स

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक मुलाकात हुई. दोनों ने कहा कि दोनों देश आगे साथ मिलकर शांति की बात करेंगे. इसी बीच अमेरिका में विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष छह सांसदों ने मांग की है कि उत्तर कोरिया के साथ कोई भी संभावित समझौता कांग्रेस के अनुमोदन और उसकी निगरानी में ही हो. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक नेतृत्व ने एक बयान में कहा, ‘‘आने वाले समय में भले ही जो हो लेकिन प्रशासन को उत्तर कोरिया पर कांग्रेस से सलाह मश्विरा करना चाहिए. कोई भी संभावित समझौता कांग्रेस की निगरानी में ही हो. ’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ईरान परमाणु समझौते पर मजबूत निगरानी की मांग की थी और वे उत्तर कोरिया के संबंध में भी ऐसी ही मांग करते हैं. तब डेमोक्रेटिक ओबामा प्रशासन ने कांग्रेस को नजरअंदाज कर दिया था. डेमोक्रेटिक सांसदों के अनुसार, अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर वार्ता अधिक सुरक्षित, स्थिर कोरियाई प्रायद्वीप बनाने और एशिया में अमेरिकी नेतृत्व की क्षमताओं को साबित करने का ऐतिहासिक अवसर है. गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन ने सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में एक दूसरे से हाथ मिलाया और हंसकर बातचीत भी की. पहले दौर की बातचीत के बाद फिलहाल दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक चल रही है. सेंटोसा द्वीप के कैपेला रिजॉर्ट में दोनों नेताओं के बीच 41 मिनट तक वन-ऑन-वन मुलाकात हुई. ये मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक है. अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिला है. वहीं, सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर आए हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक मुलाकात हुई. दोनों ने कहा कि दोनों देश आगे साथ मिलकर शांति की बात करेंगे. इसी बीच अमेरिका में विपक्षी दल डेमोक्रेटिक …

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