अन्तर्राष्ट्रीय

इमरान खान की Ex-wife ने वसीम अकरम की ‘सेक्स लाइफ’ को लेकर किया सनसनीखेज खुलाासा

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और नेता इमरान खान की एक्स-वाइफ रेहम खान ने एक ऐसा खुलासा किया है जिससे कि हर तरफ सनसनी फैल गई है. रेहम खान ने क्रिकेटर वसीम अकरम की सेक्स लाइफ को लेकर ये खुलासा अपनी किताब में किया है. अंग्रेज़ी मीडिया 'टीओआई' के हवाले से ख़बर है कि रेहम कि ये किताब के कुछ हिस्से ऑनलाइन लीक हो गए हैं.  इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि रेहम ने किताब में कहा है कि अपने सेक्स से जुड़ी कल्पनाओं को पूरा करने के लिए वसीम अकरम ने अपनी पूर्व दिवंगत पत्नी का इस्तेमाल किया. रेहम ने लिखा है कि अकरम ने अपने सामने ही एक अफ्रीकी व्यक्ति से अपनी पत्नी को सेक्स करने पर मजबूर किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी सेक्स से जुड़ी कल्पनाओं को तृप्ति मिल सके. लीक हुए हिस्से में ये बात किताब की पेज संख्या 402 से 572 के बीच छपी है. इन आरोपों के बाद बाद वसीम अकरम ने रेहम खान को कानूनी नोटिस भेजा है. रेहम ने इमरान खान पर भी कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने ब्रिटेन के एक बिजनेसमैन का जिक्र करते हुए लिखा है कि वो इमरान के बुरे कामों पर पर्दा डालने का काम करता है. किताब के पेज नंबर 464 पर उन्होंने लिखा है कि इमरान ने एक महिला को प्रेग्नेंट कर दिया था जिसके बाद बुखारी नाम के इस बिजनेसमैन ने उसके अबॉर्शन का बंदोबस्त करवाया. आपको बता दें कि रेहम और इमरान की शादी साल 2015 की जनवरी में हुई थी और इसी साल के अक्टूबर महीने में दोनों का तलाक हो गया. ये इमरान की दूसरी शादी थी. पिछले साल इमरान ने इस्लामिक धर्मगुरू बुशरा खान से शादी की है. ऐसी ख़बरें हैं कि ये शादी भी टूटने की कगार पर है. जेमिमा के साथ 1995 में इमरान की पहली शादी हुई थी और ये शादी नौ सालों तक चली थी.

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और नेता इमरान खान की एक्स-वाइफ रेहम खान ने एक ऐसा खुलासा किया है जिससे कि हर तरफ सनसनी फैल गई है. रेहम खान ने क्रिकेटर वसीम अकरम की सेक्स लाइफ को लेकर ये …

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ट्रंप और किम ने सिंगापुर समझौते पर किए साइन, उत्तर कोरियाई नेता ने कहा- दुनिया अब बदलाव देखेगी

ऐतिहासिक तल्खियों को मिटाकर आज अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई और ये मुलाकात सिंगापुर के होटल कैपेला में 50 मिनट तक चली. इस मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बहुत अच्छी बातचीत हुई. कभी दोनों नेताओं के तल्ख बयान एक-दूसरे के बीच जंग की शंका पैदा करते थे, लेकिन आज जब पहली बार मिले तो पहले हाथ मिलाया उसके बाद दोनों बातचीत के लिए होटल के एक कमरे में पहुंचे. ट्रंप ने किम जोंग उन के बीच करीब 50 मिनट तक बातचीत हुई. बातचीत शुरू करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम दोनों देशों के संबंध अच्छे होंगे. वहीं किम जोंग उन ने कहा कि आपसे मिलना इतना आसान नहीं था. मुझे खुशी है कि हम सारी दिक्कतों को हटा कर मिल रहे हैं. वन टू वन मुलाकात के बाद अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई. इससे पहले डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन अलग-अलग होटलों से सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे. ट्रंप और किम जोंग उन के बीच परमाणु परीक्षण को लेकर लंबे समय से तल्खी रही है. ऐसे में सिंगापुर की धरती पर हुई मुलाकात पर सबकी नजर टिकी थी. एबीपी न्यूज़ भी सिंगापुर में मौजूद है. डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन मुलाकात की खास बातें 11:23 AM: भविष्य में किम जोंग उन से मुलाकात पर डोनल्ड ट्रंप ने कहा- हम फिर मिलेंगे और आगे कई बार मिलेंगे. 11:20 AM: डोनल्ड ट्रंप ने किम जोंग उन को अमेरिका बुलाए जाने के सवाल पर कहा, हम जरूर बुलाएंगे 11:17 AM: समझौते पर हस्ताक्षर के बाद डोनल्ड ट्रंप ने कहा- यह काफी व्यापक और महत्वपूर्ण दस्तावेज है 11:12 AM: किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप ने समझौते पर किये हस्ताक्षर. 11:10 AM: ट्रंप से मुलाकात को किम जोंग उन ने बताया ऐतिहासिक, कहा- दुनिया अब बदलाव देखेगी. 10:45 AM: ट्रंप ने कहा कि वह और किम किसी समझौते पर करेंगे. 7:45 AM: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ हो रही ऐतिहासिक शिखर वार्ता के आलोचकों को ‘बैरी और पराजित’ करार दिया और कहा कि ‘हम ठीक हो जाएंगे.’ 7:40 AM: परमाणु निरस्त्रीकरण पर डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि हम साथ काम करेंगे.7:30 AM: डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता जारी. बैठक में दोनों देशों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद. 7:25 AM: किम जोंग उन से मुलाकात के बाद बोले डोनल्ड ट्रंप, बहुत अच्छी रही बातचीत. 7:15 AM: आमने-सामने सीधी मुलाकात के बाद कैपेला होटल की बालकनी में ट्रम्प और किमजोंग उन साथ चहलकदमी करते भी नज़र आये 6:55 AM: किम जोंग उन और ट्रंप के बीच बातचीत जारी. 6:50 AM: किम जोंग उन ने ट्रंप के मुलाकात के दौरान कहा- आपसे मिलना इतना आसान नहीं था. मुझे खुशी है कि हम सारी बाधाओं को पार कर मिल रहे हैं 6:45 AM: ट्रंप और किम जोंग उन के बीच बैठक जारी, ट्रंप ने कहा- उम्मीद है बातचीत सकारात्मक होगी, दोनों देशों के संबंध बेहत होंगे. 6:35: AM: औपचारिक मीटिंग के लिए मीटिंग स्थल पहुंचे दोनों नेता. 6:30 AM: कैपेला होटल में किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप ने की मुलाकात, दोनों ने गर्मजोशी से मिलाया ह 6:05 AM: सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन, थोड़ी देर में करेंगे मुलाकात. 5:55 AM: किम जोंग उन सेंतोसा द्वीप स्थित कैपेला होटल के लिए रवाना, ट्रंप से होगी मुलाकात. यह पहली बार है कि अमेरिका के राष्ट्रपति उत्तर कोरिया के नेता से मुलाकात कर रहे हैं. अमेरिका ने सिंगापुर सम्मेलन से पहले कहा कि उत्तर कोरिया के साथ चर्चा 'उम्मीद से ज्यादा तेजी' से बढ़ रही है. वहीं उत्तर कोरिया ने कहा कि संबंधों का नया दौर शुरू हो चुका है. ट्रंप मंगलवार शाम को सिंगापुर से रवाना हो जाएंगे. दोनों नेता रविवार को मुलाकात के लिए सिंगापुर पहुंचे थे. डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात पर आने वाले खर्च का वहन सिंगापुर की सरकार कर रही है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लुंग ने कहा कि इस बैठक पर करीब 20 मिलियन सिंगापुर डॉलर (100 करोड़ रुपये से ज्यादा) का खर्च आएगा.

ऐतिहासिक तल्खियों को मिटाकर आज अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई और ये मुलाकात सिंगापुर के होटल कैपेला में 50 मिनट तक चली. इस मुलाकात के बाद …

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किम के लिए ट्रंप ने पहनी लाल टाई, 12 सेकेंड तक मिलाया हाथ, 50 मिनट चली बातचीत, 10 खास बातें

सिंगापुर की मेजबानी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की आज ऐतिहासिक मुलाकात हुई. पुरानी तल्खी भूल दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया. इस दौरान दुनिया भर की मीडिया के सामने ट्रंप और किम के चेहरे पर मौजूद मुस्कान देखने लाइक थी. दोनों फिर एक कमरे में पहुंचे और करीब 50 मिनट तक बातचीत की. जहां उनके अलावा सिर्फ अनुवादक मौजूद था. मुलाकात के बाद दोनों बाहर निकले और कैपेला होटल की बालकनी में चहलकदमी की. इसके ठीक बाद दोनों नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की. इस मौके पर दोनों देशों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. जानिए ऐतिहासिक मुलाकात की 10 बड़ी बातें- 1. 12 सेकेंड तक मिलाया हाथ: रविवार से सिंगापुर में मौजूद ट्रंप और किम आज सुबह अलग-अलग काफिले के साथ सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे. दोनों नेताओं ने करीब 12 सेकंड तक हाथ मिलाए. फोटोग्राफर्स के सामने ट्रंप ने अपना हाथ किम जोंग के कंधे पर रख दिया. इस दौरान उन्होंने एक - दूसरे से कुछ शब्द कहे और उसके बाद होटल के पुस्तकालय के गलियारे में चले गए. महीनों की लंबी कूटनीतिक खींचतान और बातचीत के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात हुई. 2. बाधा पार कर हम यहां हैं: मुलाकात की शुरुआत में ट्रंप ने कहा, "मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. यह बेहतरीन चर्चा होगी और मुझे लगता है कि यह सफल रहेगी. यह बहुत सफल होगी और हमारे बीच संबंध बेहतरीन होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है.'' जिसके बाद किम जोंग ने कोरियाई भाषा में कहा कि पुरानी धारणाएं हमारे मार्ग में बाधा बनी लेकिन हमने इन बाधाओं को पार कर लिया है और आज हम यहां मौजूद हैं. 3. अच्छी मुलाकात: यह पूछे जाने पर कि बातचीत कैसी रही , ट्रंप ने कहा , ‘‘बहुत , बहुत अच्छी. शानदार रिश्ते. किम से कम से कम तीन बार पूछा गया कि क्या वह परमाणु हथियार छोड़ देंगे , इसकी प्रतिक्रिया में वह सिर्फ मुस्कुराए. ट्रंप और किम दोनों ने संक्षिप्त टिप्पणी की. ट्रंप ने कहा कि वह मानते हैं कि वह और किम ‘‘बड़ी समस्या, बड़ी दुविधा को दूर कर लेंगे’’ और साथ काम करके हम इसका ध्यान रखेंगे. 4. शांति के लिए मुलाकात: किम जोंग उन ने मुलाकात के बाद कहा, ‘‘आगे चुनौतियां आएंगी लेकिन हम ट्रंप के साथ काम करेंगे. हम इस शिखर वार्ता को लेकर सभी तरह की अटकलों और संदेहों से पार पा लेंगे और मेरा मानना है कि शांति के लिये यह अच्छा है.’’ 5. इसलिए ट्रंप ने पहनी लाल टाइ: उत्तर कोरियाई मीडिया के मुताबिक किम वास्तव में वार्ता स्थल पर ट्रंप से सात मिनट पहले पहुंच गए थे. ऐसा उन्होंने सम्मान व्यक्त करने के लिये किया क्योंकि यह संस्कृति है , जिसमें युवा बुजुर्गों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिये उनसे पहले पहुंचते हैं. ट्रंप ने जो लाल टाई पहनी हुई थी वह भी किम के प्रति कुछ सम्मान व्यक्त करने वाली हो सकती है क्योंकि उत्तर कोरियाई इस रंग को पसंद करते हैं. 6. वन-टू-वन मुलाकात के बाद उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई. अमेरिका की ओर से ट्रंप के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन, व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ जॉन केली और फिलीपींस में अमेरिका के राजदूत सुंग किम शामिल थे. 7. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ हो रही ऐतिहासिक शिखर वार्ता के आलोचकों को ‘‘बैरी और पराजित’’ करार दिया और कहा कि ‘‘हम ठीक हो जाएंगे.’’उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ बातचीत से कुछ घंटों पहले ट्रंप ने ट्विटर के जरिये इसके आलोचकों पर जमकर निशाना साधा. 8. किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप रविवार को सिंगापुर पहुंच गए थे और दोनों ने ही सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग से अलग-अलग मुलाकातें कीं. दोनों के बीच हुई मुलाकात पर होने वाले खर्च का वहन सिंगापुर की सरकार कर रही है. सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने सोमवार को कहा था कि हम होटल का बिल चुकाएंगे. 9. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच लंबे समय से तनातनी रही है. उत्तर कोरिया परमाणु बम के परीक्षण और धमकी से पड़ोसी खासकर दक्षिण कोरिया को चौंकाता रहा है. उत्तर कोरिया परमाणु शक्ति के बल पर अमेरिका को भी धमकी देने से नहीं चूकता है. डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में तल्खी और बढ़ी. दोनों नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हुई. 10. उत्तर कोरिया की आधिकारिक संवाद समिति ने रविवार को कहा था कि किम वार्ता के दौरान ‘परमाणु निरस्त्रीकरण’ और ‘स्थायी शांति’ के लिये बातचीत को तैयार हैं. ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि किम के पास इतिहास रचने का ‘एक मौका ’ है.

सिंगापुर की मेजबानी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की आज ऐतिहासिक मुलाकात हुई. पुरानी तल्खी भूल दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया. इस दौरान दुनिया भर की मीडिया के सामने …

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चीन को OBOR पर फिर झटका, भारत ने नहीं किया समर्थन

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे पीएम मोदी ने चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे तगड़ा झटका दिया है. चीन काफी समय से अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) पर भारत को साधने का प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको बार-बार विफलता का मुंह देखना पड़ता है. इस बार भी ऐसा हुआ और SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया. साथ ही चीन को पारदर्शिता और संप्रभुता के सम्मान करने की नसीहत भी दी. SCO सदस्य देशों में भारत इकलौता देश है, जो चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं कर रहा है. दरअसल, चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरती है, जिसका भारत कड़ा विरोध करता आ रहा है. भारत इसको अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. भारत का कहना है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है, जहां से उसकी इजाजत के बिना चीन कोई ऐसा निर्माण कार्य नहीं कर सकता है. SCO शिखर सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के समर्थन को दोहराया, लेकिन भारत ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. मतलब साफ था कि भारत अब भी चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है. फिलहाल इसे चीन की कोशिशों के लिए एक झटका माना जा रहा है. रविवार को SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर भारत के नजरिए को सामने जरूर रखा, लेकिन उन्होंने चीन की OBOR परियोजना का समर्थन नहीं किया. उन्होंने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर पारदर्शिता और संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही. पहली बार SCO शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम फिर एक ऐसे मुकाम पर हैं, जहां भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी भूगोल की परिभाषा बदल रही हैं. विशेषकर SCO क्षेत्र और पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत की  प्राथमिकता है. हम ऐसे नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों का स्वागत करते हैं, जो समावेशी, पारदर्शी और सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता …

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यह फोटो कुछ खास है! देखें: कैसे तमाम राष्ट्राध्यक्षों के बीच तनकर बैठे हैं ट्रंप

कहा जाता है कि 'एक तस्वीर हजार शब्दों' से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही है. कनाडा के ला मालबयी में 8-9 जून को आयोजित 44वें शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. साथ ही संयुक्त बैठक भी हुईं. सम्मेलन के दौरान की एक तस्वीर काफी चर्चा बटोर रही है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाकी सदस्य देशों के नेता नजर आ रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुर्सी पर बैठे नजर आ रहे हैं, जबकि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और जापान के राष्ट्रपति शिंजो आबे उनके सामने खड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान इन नेताओं के बीच क्या बात हुई, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन जिस अंदाज में ट्रंप के सामने बाकी नेता खड़े हैं, उससे किसी टीचर के सामने स्टूडेंट जैसी तस्वीर उभर रही है. सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियां भी की जा रही हैं. इस तस्वीर में एंजेला मर्केल ट्रंप से बात कर रही हैं, जबकि शिंजो आबे हाथों में हाथ बांधे हुए दूसरी तरफ मुंह किए खड़े हैं. डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही शांति के साथ हाथ बांधे हुए कुर्सी पर बैठे हैं. उनके हाव-भाव भी कुछ अलग ही हैं. ट्रंप के आगे रखी टेबल पर हाथ रखे हुए एंजेला मर्केल खड़ी हैं और ट्रंप से कुछ कह रही हैं. इस तस्वीर पर सोशल मीडिया में भी चुटकी ली जा रही है. बता दें कि शिखर सम्मेलन में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि हम रूस से उसके अस्थिर व्यवहार, लाकेतंत्र को कमजोर करने की उसकी प्रणाली और उसके सीरियाई शासन को समर्थन रोकने की अपील करते हैं. इसके अलावा इस शिखर सम्मेलन जी-7 देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बनाए रखने का संकल्प लिया है.

कहा जाता है कि ‘एक तस्वीर हजार शब्दों’ से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही …

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ट्रंप-किम की मुलाकात की जगह का इतिहास जानकर कांप जाएगी रूह

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात के लिए सबसे मनहूस जगह को चुना है. सिंगापुर के जिस सेंटोसा टापू पर विश्व शांति कायम करने के लिए वार्ता होने जा रही है, उसका इतिहास बड़ा भयानक है. दो वर्ग मील तक फैले इस टापू में करीब 200 साल पहले समुद्री डाकुओं का आतंक हुआ करता था, जो व्यापारियों को लूटते थे और उनको मौत के घाट उतार दिया करते थे. इसी टापू पर 76 साल पहले हजारों लोगों का नरसंहार हुआ था और 35 साल पहले तेल निकालने वाले जहाज की वजह से एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था और टूरिस्ट केबल कार के दो कैरेज समुद्र में जा गिरे थे. इतने बड़े-बड़े हादसों और दर्दनाक वारदातों के बाद लोगों ने इस जगह को ही शापित मान लिया था. लिहाजा फिर तय हुआ कि इस टापू की मनहूसियत को खत्म करने के लिए इसका नाम ही बदल दिया जाए और तब इसे नया नाम मिला सेंटोसा. टेलीग्राफ के मुताबिक साल 1972 तक सेंटोसा द्वीप को 'पुलाऊ बेलकांग मति' (Pulau Blakang Mati) नाम से जाना जाता था, जिसका मतलब होता है - मृत्यु का द्वीप (Island of Death from Behind). अब इत्तेफाक देखिए इसी शापित जगह से विश्वशांति कायम करने की शुरूआत होने जा रही है. 12 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग उन सिंगापुर के इसी सेंटोसा द्वीप पर पहली बार एक-दूसरे से मिलेंगे. यहां स्थित पांच सितारा होटल कपेला (Capella) में एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे. वाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा सैंडर्स ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच सिंगापुर समिट की जगह सेंटोसा द्वीप का होटल कपेला होगी. हम इस मेहमान नवाज़ी के लिए सिंगापुर के लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं. भारतीयों के बीच भी लोकप्रिय है यह टापू सिंगापुर का सेंटोसा टापू भारतीय पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है. 1690 लोगों की आबादी वाले इस टापू में हर साल दो करोड़ पर्यटक आते हैं. 12 जून को होने वाली वार्ता से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन सिंगापुर के सेंटोसा टापू पहुंच चुके हैं. अब दुनिया भर की निगाहें, दोनों की मुलाकात पर टिकी हुई है.

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात के लिए सबसे मनहूस जगह को चुना है. सिंगापुर के जिस सेंटोसा टापू पर विश्व शांति कायम करने के लिए वार्ता होने जा रही …

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G-7 समिट के बाद ‘ट्विटर बम’ फोड़ते सिंगापुर पहुंचे ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषाण पत्र को एक झटके में खारिज कर दिया. साथ ही मेजबान कनाडा पर अपमानजनक टिप्पणियां की, जिसके बाद से घमासान मच गया. डोनाल्ड ट्रंप के सिलसिलेवार ट्वीट के बाद से अमेरिका और यूरोप के बीच ट्रेड वॉर छिड़ गया है. कनाडा के क्यूबेक शहर में G-7 सम्मेलन में अमेरिका सहित सभी सदस्य देशों की सहमति से तय हुए संयुक्त बयान को जारी किया गया, इससे पहले ही ट्रंप सिंगापुर के लिए रवाना हो गए और थोड़ी देर बाद अपने विशेष विमान एयरफोर्स-वन में बैठे-बैठे ट्विटर पर बयानबाजी शुरू कर दी. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने संवाददाता सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के झूठे बयान और कनाडा द्वारा अमेरिकी किसानों, कामगारों और कंपनियों पर लगाए जा रहे भारी-भरकम शुल्कों को देखते हुए हमने अपने प्रतिनिधि को कहा कि वो साझा बयान की पुष्टि न करें, क्योंकि हम अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में आ रहे वाहनों पर शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं.’ उन्होंने लिखा, ‘कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने G-7 बैठक में दबे और सुलझे होने का नाटक किया, ताकि वह उसके बाद वहां से मेरे प्रस्थान के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल सकें और कह सकें....उन्हें कोई धमका नहीं सकता. बहुत ही बेईमान और कमजोर व्यक्ति.’ ट्रंप के इन ट्वीट के बाद बवाल मच गया. मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हटकर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया है. उन्होंने ट्रंप से कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. अमेरिका बोला- जस्टिन ट्रुडो ने घोंपा छुरा वहीं, इस बीच व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुदलोव ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो ने G-7 सम्मेलन में हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. अमेरिका को जस्टिन द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए बयान पर ऐतराज है. हम सद्भावना के साथ बयान में शामिल हुए थे. क्‍या है मामला? दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैरिफ लगा दिया है, जिसके चलते कनाडा समेत कई देश नाराज हैं. इस समिट में अमेरिकी टैरिफ को लेकर चर्चा की जा रही थी.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषाण पत्र को एक झटके में खारिज कर दिया. साथ ही मेजबान कनाडा पर अपमानजनक टिप्पणियां की, जिसके बाद से …

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चीन जरूरी भी, मजबूरी भी: 42 दिन में मोदी-जिनपिंग की दो मुलाकातों से क्या बदला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा. पहली बार एससीओ का पूर्ण सदस्य भारत इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. डोकलाम से आगे निकले रिश्ते पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं. पर्सनल केमिस्ट्री से बदले हालात डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी. वुहान में बनी बुनियाद अप्रैल में वुहान शहर में दुनिया की दो सबसे बड़ी अभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने अनौपचारिक बैठक कर तनाव को दूर करने की कोशिश का ऐलान किया. आज हालात पिछले कुछ महीनों पहले की स्थिति से काफी भिन्न दिखाई दे रहे हैं. क्या बदलाव दिखा है इन 42 दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में, सरहद पर और कूटनीति में.. -ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करेगा चीन शनिवार को शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर अहम समझौता हुआ. पूर्वोत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी भारत की लाइफलाइन है और वहां रहने वाले लोगों के लिए इस नदी के जल बहाव के बारे में सटीक जानकारी रखना जरूरी है. डोकलाम तनाव के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करना बंद कर दिया था. इससे असम समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के पानी पर नियंत्रण और प्रबंधन में दिक्कतें आ रही थी. -व्यापार घाटा कम करने पर सहमति भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है. -सीमा पर तनाव कम करने के लिए मैकेनिज्म भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे. -वित्तीय संबंध बढ़ाने पर जोर विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने चीन के सरकारी बैंक ‘बैंक ऑफ चाइना’ को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति दे दी है. जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच वित्तीय क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत बैंक ऑफ चाइना को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति देने को तैयार है. -कृषि उत्पादों का भारत करेगा चीन को निर्यात कृषि संबंधी समझौते के तहत अब भारत चीन को बासमती के साथ-साथ अन्य तरह के चावल, चीनी, औषधियों का निर्यात करेगा. भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने अप्रैल की अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत चीन को 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. -पीपुल टु पीपुल कॉन्टैक्ट का नया तंत्र भारत और चीन ने विवादित मुद्दों पर बातचीत से इतर आपसी संपर्कों और व्यापारिक संबंधों के जरिए संबंध मजबूत करने का नया मंत्र अपनाया है. द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने के लिए भारत और चीन ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र गठित करने का फैसला किया है. इस तंत्र में दोनों देशों के विदेश मंत्री नेतृत्व करेंगे. लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए फिल्म, संस्कृति, योग, पारंपरिक भारतीय दवाएं, कला और संग्रहालय जैसे माध्यमों पर जोर दिया गया है. इस तंत्र की पहली बैठक इसी साल होगी. चीन में भारतीय फिल्मों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी इसमें जिक्र किया गया. जिनपिंग ने भारतीय फिल्म दंगल, बाहुबली और हिंदी मीडियम का खासतौर पर उल्लेख किया. भारत से जुड़ाव के लिए हाल के वर्षों में चीन ने हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है. चीन की 15 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ाई जा रही है. भारत का योग भी चीन में खासा लोकप्रिय है. चीन में लगभग 1500 योग गुरु हैं जिनमें से अधिकांश भारतीय हैं. दोनों देशों की साझा ताकत दुनिया के लिए अहम चीन और भारत का साथ आना पूरी दुनिया के लिए अहम है. दोनों देशों की आबादी 2 अरब 60 करोड़ से अधिक है. दोनों दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. दुनिया की जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. इसीलिए दोनों देशों को दुनिया का भविष्य कहा जाता है. भारत-चीन का सहयोग दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, इस लिहाज से आपसी विश्वास के लिए उठाए गए ये कदम न सिर्फ भारत और चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया खासकर तीसरी दुनिया के लिए देशों के लिए काफी अहम हैं. चीन की ओबीओआर परियोजना के खिलाफ भारत टिका हुआ है, इस दौरे में भी पीएम मोदी ने चीन की इस परियोजना को भारत की संप्रभुता के खिलाफ करार देकर ठुकरा दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के …

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ईद पर शांत रहेगा तालिबान, 3 दिन के सीजफायर का ऐलान

तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों के साथ ईद के मौके पर तीन दिन का संघर्षविराम रखने की घोषणा की है. हालांकि, विदेशी बलों के खिलाफ उसका अभियान जारी रहेगा. अफगान सरकार की ओर से रमजान के मौके पर एक सप्ताह लंबे संघर्षविराम की घोषणा के दो दिन बाद आतंकी संगठन तालिबान ने मीडिया में यह बयान जारी किया है कि वह तीन दिन का संघर्षविराम रखने पर सहमत हैं. तालिबान की तरफ से कहा गया है कि अगर इस दौरान उन पर हमले होते हैं तो उसका वह अपना बचाव मजबूती के साथ करेंगे. तालिबान ने एक संदेश में कहा है, 'सभी मुजाहिद्दीन को ईद उल फितर के पहले तीन दिन तक अफगान बलों पर हमला नहीं करने का निर्देश दिया गया है.' इस संदेश में तालिबान ने आगे कहा है, 'लेकिन अगर मुजाहिद्दीनों पर हमले होते हैं तो हम मजबूती से खुद का बचाव करेंगे. लेकिन विदेशी बलों के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा यह संघर्षविराम उन पर लागू नहीं होता है.' अफगानिस्तान में 2001 में शुरू हुई अमेरिकी कार्रवाई के बाद यह पहला मौका है, जब तालिबान ईद के दौरान संघर्षविराम को राजी हुआ है.

तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों के साथ ईद के मौके पर तीन दिन का संघर्षविराम रखने की घोषणा की है. हालांकि, विदेशी बलों के खिलाफ उसका अभियान जारी रहेगा. अफगान सरकार की ओर से रमजान के मौके पर एक सप्ताह …

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अफगान पुलिस बेस पर तालिबानी आतंकियों का हमला, 19 पुलिसकर्मियों की मौत

अफगानिस्तान के कुंदूज प्रांत में एक सैन्य अड्डे पर शनिवार को तालिबान लड़ाकों ने हमले किए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि इस हमले में कम से कम 19 अफगान पुलिसकर्मी मारे गए हैं. आतंकवादियों द्वारा अगले हफ्ते से अभूतपूर्व संघर्षविराम की घोषणा करनी थी. ईद के पहले तीन दिनों के लिए अफगान सुरक्षा बलों के साथ संघर्षविराम की तालिबान की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही यह हमला किया गया.  इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है. पश्चिमी प्रांत हेरात में एक सैन्य अड्डे पर आतंकवादियों के हमले के एक दिन बाद यह हमला हुआ है. उस हमले में भी लगभग 17 अफगान सैनिक मारे गए थे. कुंदूज के प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता नेहमतुल्ला तैमूरी ने कहा कि कल-ए-जाल जिले में एक पुलिस अड्डे पर आज के हमले में स्थानीय पुलिस बल के पांच सदस्य जख्मी भी हुए. प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता एन्हामुद्दीन रहमानी ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की और कहा कि तालिबान के भी आठ लड़ाके मारे गए. ईद के पहले तीन दिनों के लिए अफगान सुरक्षा बलों के साथ संघर्षविराम की तालिबान की घोषणा से कुछ घंटे पहले यह हमला किया गया.

अफगानिस्तान के कुंदूज प्रांत में एक सैन्य अड्डे पर शनिवार को तालिबान लड़ाकों ने हमले किए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि इस हमले में कम से कम 19 अफगान पुलिसकर्मी मारे गए हैं. आतंकवादियों द्वारा अगले हफ्ते से अभूतपूर्व …

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