राहुल ने गुजरात में कांग्रेस के लिए जोर-शोर से प्रचार किया है और अगर वह चुनाव में जीत हासिल करती है तो यह उनके लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी. कई विश्लेषक गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कह रहे हैं.

कांग्रेस के एक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में अच्छा नतीजा देना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राहुल गांधी के सामने पहली तात्कालिक परीक्षा है. उन्होंने राज्य में जोर-शोर से बीजेपी के खिलाफ प्रचार अभियान का नेतृत्व किया है. हम गुजरात में जीत की उम्मीद कर रहे हैं. महिला कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता सुष्मिता देव ने कहा कि पार्टी का पुनर्गठन राहुल के लिए दूसरा बड़ा काम होगा.

उन्होंने कहा कि हर पद के साथ चुनौती आती है. उन्हें जमीनी स्तर पर पार्टी का पुनर्निर्माण करना है और इसके वैचारिक आधार को मजबूत करना होगा. पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनका निर्विवाद निर्वाचन उनकी ताकत का संकेत है. उन्हें एआईसीसी से लेकर राज्यों तक सबको साथ लेकर चलना होगा. पार्टी के पुराने नेताओं और युवा नेताओं के बीच संतुलन स्थापित करना संगठन चलाने के लिए महत्वपूर्ण होगा. पार्टी में कई अनुभवी नेता हैं, जिनके अनुभवों का इस्तेमाल वह पार्टी को चलाने में कर सकते हैं. राहुल ने पहले कहा था कि वह पुराने लोगों के अनुभव और युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल करेंगे.

एक नेता ने कहा कि शुरुआती संकेत उत्साहजनक हैं क्योंकि उन्होंने वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और सुशील कुमार शिंदे को क्रमश: गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव का प्रभारी बनाया और उनपर भरोसा करने के इच्छुक दिखे. हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी के वैचारिक रुख को स्पष्ट करना भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वह गुजरात में मंदिरों की यात्रा करके कांग्रेस के नरम हिंदुत्व को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं. उन्होंने खुद को ‘शिव भक्त’ भी बताया है. इन यात्राओं को पार्टी की ओर से बीजेपी के इन आरोपों को काटने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें उसपर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण का आरोप लगाया जाता रहा है.