2017 में नीतीश कुमार कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर कई तंज कसे. नीतीश कुमार ने एजेंडा आजतक 2017 के खास सत्र ”बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है” में भाग लिया. उन्होंने इस दौरान नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ रिश्ता तोड़ते हुए बीजेपी के साथ आने के फैसले पर अपना तर्क रखा. यही नहीं नीतीश ने कांग्रेस पर समय रहते बिहार में गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया.
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना पर नीतीश कुमार ने तंज कसा कि राहुल को पार्टी तो मौका दे देगी, लेकिन देश की जनता देगी या नहीं यह आगे तय होगा. नीतीश कुमार ने कहा कि राहुल गांधी ने ऑर्डिनेंस फाड़ा था, लेकिन जब उस भ्रष्टाचार पर कड़े निर्णय लेने का वक्त आया तो वह पीछे हट गए.
वहीं नीतीश के मुताबिक जब लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों पर आरोप लगा तो उन्हें चाहिए था कि सामने आकर इसकी सफाई देते. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और मुझे मजबूर किया कि संबंध को तोड़ दिया जाए.
नीतीश ने लालू प्रसाद के बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बर्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यदि आरजेडी का बड़ा नेता या मेरी कैबिनेट का कोई मंत्री मेरी बात को काटने के काम करे तो ऐसी सरकार का कोई मतलब नहीं था.
आरजेडी से टकरार और एनडीए का दामन थामने के पीछे अपनी वजह बताते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि उनके पास और कोई चारा नहीं था. वह और ज्यादा दबाव झेलने को तैयार नहीं थे. शरद यादव के आरोपों के बारे में पूछने पर नीतीश कुमार ने कहा कि शरद यादव के पास उनके समर्थन में लोग नहीं हैं और न ही उनके दावों में दम है.
नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि शरद यादव को 40 साल में जो पब्लिसिटी नहीं मिली, वह 4 महीने में मिली. उनके आरोप बेबुनियाद हैं. हमने जो जनता से वादा किया है. वह वादा पूरा करना चाहते हैं. एनडीए में रहते हुए हम वह वादे पूरे करेंगे.
नीतीश कुमार ने कहा कि उनके डीएनए में हमेशा एनडीए रहा है. नीतीश कुमार ने कहा कि एनडीए में वापस आना न सिर्फ उनके लिए नैचुरल था बल्कि राज्य की जनता को भी यह एहसास नहीं है कि कोई अहम बदलाव हुआ है.