राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को बैंकरप्सी कानून को सख्त करने के लिए जारी अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति की यह मंजूरी कैबिनेट की मंजूरी के एक दिन बाद आई है। इसके तहत दिवालिया कंपनियों के प्रमोटरों की मुश्किल बढ़ेंगी।
यही नहीं, दिवालिया हुई कंपनी के प्रमोटर पर कंपनी की परिसंपत्तियां खरीदने की पाबंदी लगाई जाएगी। ऐसा हो जाने पर विलफुल डिफॉल्टर जैसी स्थिति में प्रमोटर फायदा नहीं उठा सकेंगे।कैबिनेट ने इसके लिए अपनी मंजूरी देते हुए कहा कि यह दोनों अध्यादेश संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे।
15 दिसंबर से होगा संसद का शीतकालीन सत्र
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होगा। जेटली ने कहा कि गुजरात चुनाव के बाद ही संसद का सत्र हो, इसलिए इस तारीख को चुना गया है। इस सत्र में सरकार की कोशिश रहेगी कि इन अध्यादेश को पास करा लिया जाए। इस कानून के पास हो जाने से सबसे ज्यादा फायदा सरकारी बैंकों को होगा।
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