साहिया(विकासनगर): तमाम प्रयासों के बावजूद जौनसार-बावर में ओवरलोडिंग कम नहीं हो रही है। लगभग हर रूट पर वाहन में सामान भरने के साथ ही मानक से पांच से आठ गुना अधिक तक सवारियां ले जाई जाती हैं। ओवरलोडिंग के कारण जनजाति क्षेत्र में आएदिन हादसे होते रहते हैं, जिसमें कई लोग जान से हाथ धो चुके हैं। बावजूद इसके इन हादसों से सबक लेने को न यात्री तैयार हैं और न प्रशासन। वहीं रूटों पर आवागमन के लिए पर्याप्त साधन न होना भी ओवरलोडिंग का एक प्रमुख कारण है। अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद उम्मीद है कि ओवरलोडिंग पर लगाम लगेगी।

जौनसार-बावर में हादसे की प्रमुख वजह ओवरलोडिंग व खराब रास्ते हैं। हादसों के बाद एआरटीओ व तहसील प्रशासन कुछ दिन तक तो एक्शन मोड में रहते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनकी सक्रियता घटती जाती है। यदि बीते पांच वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो देखने को मिलता है कि 60 से अधिक लोग असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं। बावजूद इसके कोई नतीजे देखने को मिल नहीं रहे।
वहीं स्थानीय लोगों का तर्क है कि जब प्रशासन सभी रूटों पर पर्याप्त बसों का संचालन नहीं कर रहा, तो वाहनों की छतों पर बैठकर सफर करना उनकी मजबूरी है। यहां तक कि कई बार वाहनों का चालान करने पर यात्री प्रशासन से वाहनों का चालान करने के बजाय रोडवेज बसों के संचालन की मांग करते हैं। इसे लेकर एसडीएम बृजेश तिवारी का कहना है कि ओवरलोडिंग पर पूरी तरह से अंकुश के प्रयास किए जाएंगे। इस दिशा में काम किया जा रहा है।
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