34 साल की उम्र में भी मुक्केबाजी उनके लिए जुनून है। वह आज भी हर दिन कम से कम 45 मिनट कड़ा अभ्यास करती हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं कैटेगरी चेंज करने के बाद स्वर्णिम सफलता पाने वाली चैंपियन महिला मुक्केबाज मैरी कॉम की। रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं करने के बाद निराश मैरी कॉम ने हार नहीं मानी और अपने बूट के साथ अभ्यास करती रही। 34 से 35 साल के इस पड़ाव में मैरी कॉम अपने जुनून को बरकरार रखने के लिए काफी कड़ी मेहनत कर रही हैं।
एशियन चैंपियनशिप में अपना पांचवां गोल्ड हासिल किया है
48 किलोग्राम से 51 तथा फिर से 48 किलोग्राम वर्ग के तहत रिंग में उतरकर मैरी कॉम ने एशियन चैंपियनशिप में अपना पांचवां गोल्ड हासिल कर बता दिया कि वह मुक्केबाजी में और स्वर्णिम आभा बिखेर सकती हैं। 34 साल की उम्र में 18 साल की मुक्केबाज की तरह चपलता मैरी कॉम में देखने को मिलती है। यह भारतीय मुक्केबाजी को एक नई उम्मीद देता है।
चोट से बचते हुए अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहती हैं
मैरी कॉम अब चोट से बचते हुए अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहती हैं। मुक्केबाजी में शरीर की अवस्था काफी अहम होती है। उनका मानना है कि अगर अभ्यास में रुकावट आएगी तो इससे पंच मारने की क्षमता पर व्यापक असर पड़ेगा। उनका कहना है कि नई बॉक्सर तकनीक के जरिए प्रशिक्षण का सहारा ले रही हैं। लेकिन अपनी शैली के आधार पर प्रशिक्षण्ा सबसे अहम होता है।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 पर फोकस कर रही हैं
एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पांचवां गोल्ड मेडल जीतकर मैरी कॉम ने कहा कि अगर वह 100 फीसदी फिट रहती हैं। इसके अलावा उन्हें गहन प्रशिक्षण मिल जाए तो वह किसी को भी हरा सकती हैं। मैरी कॉम ने कहा कि वह अब कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 पर फोकस कर रही हैं। वह इस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं।
टोक्यो 2020 ओलंपिक के बारे में नहीं सोच रही हूं
मैरी कॉम ने कहा कि उन्होंने अभी तक टोक्यो 2020 ओलंपिक के बारे में नहीं सोचा है। वह कॉमनवेल्थ गेम पर ध्यान देंगी तथा इसमें सफलता हासिल करने के बाद अन्य विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं पर फोकस करेंगी।