बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और पुलिस लाठीचार्ज के बाद से सुर्खियों में है. 23 सितंबर को हुए छात्राओं पर लाठीचार्ज के बाद जिला प्रशासन की रिपोर्ट ने बीएचयू मैनेजमेंट को इस पूरी घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया.
हकीकत तो यह है कि BHU के वाइस चांसलर और प्रशासन अहंकार व घमंड में इतना डूबे थे कि उन्होंने न सिर्फ छात्राओं के विरोध प्रदर्शन से मुंह फेरा, बल्कि पीएमओ से लेकर मुख्यमंत्री तक की सलाह नहीं मानी. राज्य और केंद्र सरकार की सलाह की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं. इतना ही नहीं, छात्राओं के जायज आंदोलन को कलंकित करने के लिए बीएचयू प्रशासन ने झूठ और फरेब का भी सहारा लिया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी नहीं सुनी बात
आजतक को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 22 सितंबर यानी पुलिस लाठीचार्ज के एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी से खुद व्यक्तिगत तौर पर बात की थी और उनको छात्राओं से मिलने व उनकी शिकायतों का निराकरण करने की हिदायत दी थी, लेकिन वाइस चांसलर ने उनकी एक नहीं सूची. लिहाजा छात्राओं पर पुलिस लाठीचार्ज करने जैसी घटनाएं हुईं.
PMO के आला अधिकारियों ने भी दी थी सलाह
सूत्रों के मुताबिक 22 सितंबर को जब प्रधानमंत्री बनारस के दौरे पर थे, तो प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के आला अधिकारियों ने भी वाइस चांसलर को इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने को कहा था. पर ज़ाहिर है कि वाइस चांसलर ने पीएमओ या फिर मुख्यमंत्री की सलाह मानने के बजाय अपने सलाहकारों और चापलूसों की बात ज्यादा सुनी. बताया जा रहा है कि जिस दिन से छात्राएं आंदोलन पर बैठी थीं, तबसे ही जिला प्रशासन के आला अधिकारी कुलपति से मिलने की कोशिश कर रहे थे. पर उन्होंने व्यस्तता जताते हुए उनसे मिलने से भी इनकार कर दिया था.
वाइस चांसलर से लेकर चीफ प्रॉक्टर अपने इंटरव्यू में मीडिया को बार-बार कहते रहे की आंदोलन उग्र हो गया था, जिसमें भारी संख्या में बाहरी तत्व शामिल हो गए थे. पुलिस की लाठीचार्ज को लेकर सफाई पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि महामना मालवीय की मूर्ति पर कालिख पोत कर छात्रों ने सारी हदें पार कर दी थी, लेकिन पुलिस ने मालवीय की मूर्ति के सैम्पल जब फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे, तो रिपोर्ट में मूर्ति पर कालिख के अंश नहीं है.
हालांकि यह स्पेशल रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है. मगर सूत्रों ने बताया कि कालिख पोतने की बात को रिपोर्ट में नकारा गया है. इससे साफ है कि वो छात्राएं सही बोल रही थीं कि मालवीय की मूर्ति पर कालिख नहीं लगाई गई. यह खुलासा बीएचयू प्रशासन के ढोंग की पोल खोलता है. इससे साफ है कि किस तरह से BHU प्रशासन ने अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए झूठी कहानी गढ़ी.