मध्य प्रदेश के बेतुल जिलें में अनिता नार्रे नाम की महिला साल 2011 में अपना ससुराल छोड़कर इसलिए चली गई थी क्योंकि उसके पति के घर में शौचालय नहीं था। अब वहीं अनिता अपने जिले के खुले में शौच से मुक्त कराने के संघर्ष कर रही हैं। जो भी व्यक्ति खुले में शौच के लिए जाता है उससे जुर्माना लिया जाता है। अमला जनपद में 68 ग्राम पंचायत हैं जिनमें से केवल 13 ही अभी तक खुले में शौच से मुक्त हुए हैं। खुले में शौच करने वाले परिवारों पर रोजाना जुर्माना लग रहा है। रंभाखेड़ी के 33 वर्षीय राधेश्याम ने बताया कि मेरे 10 लोगों के परिवार पर 75 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है जो कि अमला जनपद के अंदर आनी वाले सात ग्राम पंचायतों में से सबसे अधिक है।
राधेश्याम ने कहा कि मेरे पिता ने दो दिन से कुछ नहीं खाया है जबसे उन्हें जुर्माना वाला नोटिस मिला है। पंचायत हमारे घर 30 दिनों का जुर्माने का नोटिस लिए हमारे पास पहुंची जिसमें सभी सदस्यों पर 250 रुपए प्रतिदिन जुर्माना लगाया था, इसमें बच्चे भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा नोटिस रंभाखेड़ी और रंभाखेड़ी धाना गांव के लोगों को दिए गए हैं। 1999 के मध्य प्रदेश ग्राम पंचायत नियम के अनुसार खुले में शौच करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और इससे लोगों को बचाने के लिए पंचायत नोटिस दे सकती है। आरोपियों को तीन दिनों के अंदर जुर्माने का भुगतान करना होता है। जुर्माने की राशि को रिवेन्यू अधिकारियों द्वारा लिया जाता है।
इस मामले पर रंभाखेड़ी ग्राम पंचायत के अधिकारियों ने कहा कि हमारा मकसद ग्रामीणों को धमकाना नहीं है। हम तो केवल उन्हें डराना चाहते हैं ताकि वे खुले में शौच करना बंद कर दें। राधेश्याम के पिता कुंवरलाल की तरह गांव के अन्य लोग भी रोजाना भत्ते पर काम करते हैं। कुंवरलाल ने कहा कि शौचालय बनाने पर उसके परिवार को मिलने वाली सब्सिडी का चार गुना 12 हजार रुपए खर्चा आएगा। कुंवरलाल ने कहा कि 75 हजार रुपए का जुर्माना इस तरह के कार्य में लगना यह बहुत ही शर्मिंदगी की बात है। इस मामले में कई लोगों को नोटिस मिला है लेकिन मीडिया में बार-बार मेरा ही नाम लिया जा रहा है। वहीं कुंवरलाल ने शौचालय बनवानी की बात मानते हुए कहा कि शौचालय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि शौच के लिए गांव में बहुत खुली जगह हैं। इसी प्रकार गांव के कई लोग हैं जिन्हें अच्छा खासा जुर्माना लगाया गया है।