मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस का नेता कौन होगा, इसका निर्णय नेतृत्व ही तय करता है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी जिसे तय करेंगे, हम उसका समर्थन करेंगे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बुधवार को रायपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस भवन में पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस का कार्यकर्ता था, हूं और रहूंगा। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से कभी समझौता नहीं करूंगा। मेरी प्रतिबद्धता नेहरू-गांधी परिवार के प्रति है और रहेगी। उनके अलावा हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं है।”
उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, विधायक सत्यनारायण शर्मा, सांसद छाया वर्मा, मोहम्मद अकबर सहित अन्य कांग्रेसी नेता मौजूद थे।
दिग्विजय ने कहा, “भाजपा सरकार ने विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक नहीं लाया गया। सरकार ने बिना नोट छापे नोटबंदी की और बिना रिटर्न तैयार किए एक अव्यवहारिक जीएसटी लाई गई। जीएसटी के लिए हमने सभी प्रदेशों में सर्वर बनाने का सुझाव दिया था, जिस पर अमल नहीं किया गया।”
पार्टी में गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा, “कांग्रेस में हमारे नेता एकजुट हैं। समन्वय और सामंजस्य से संगठन मजबूत होता है।”
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने के सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि अजीत जोगी को कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया, पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने कांग्रेस से अपने को अलग कर लिया। उनका निर्णय सही नहीं था।
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुख्यमंत्री बनाने वाली सोनिया गांधी का विरोध किया। पार्टी के नेताओं में समन्वय बनाकर मुख्यमंत्री बनने के लिए 47 में से 37 वोट हमने दिलवाए थे।”
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तुष्टिकरण के सवाल पर उन्होंने कहा, “देश सभी का है। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम ने भारत को सोशलिस्ट और सेक्युलर देश बनाया। जनसंघ के लोगों ने बाबा साहेब का विरोध किया था। आरएसएस की बिल्डिंग पर तिरंगा नहीं लहराता था। कांग्रेस पार्टी कभी धर्म का दुरुपयोग नहीं करती। इन्होंने भगवान के नाम पर नमक और ईंट बेची। 1993 में कांग्रेस की सरकार थी तब पहले गौ सेवा आयोग का गठन किया गया था।”