साध्वी रेप केस में सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई 20 साल की सजा को डेरा मुखी गुरमीत सिंह राम रहीम ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी। डेरा मुखी ने सजा रद्द किए जाने की मांग की है।
डेरा मुखी की अपील सोमवार को अदालत की रजिस्ट्री में दायर कर दी गई है जिस पर हाईकोर्ट जल्द ही सुनवाई कर सकता है। डेरा मुखी ने सीनियर एडवोकेट एसके गर्ग नरवाना के जरिये अपील दायर कर कहा है कि इस मामले में सीबीआई अदालत ने उसे बिना उचित साक्ष्यों और गवाहों के दोषी ठहराया। यह कानूनी प्रक्रिया के अनुसार गलत है। पहले इस मामले में एफआईआर ही 2-3 वर्षों की देरी से दायर हुई। यह एक गुमनाम शिकायत पर दर्ज की गई जिसमें शिकायतकर्ता का नाम तक नहीं था
सीबीआई का कहना था कि वर्ष 1999 में यौन शोषण हुआ था लेकिन बयान छह वर्ष बाद 2005 में दर्ज किए गए। जब सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की तब कोई शिकायतकर्ता ही नहीं था। अपनी अपील में डेरा मुखी ने सवाल उठाया है कि सीबीआई का यह कहना कि पीड़िताओं पर कोई दबाव नहीं था, गलत है। दोनों पीड़िता सीबीआई के संरक्षण में थी। ऐसे में प्रॉसिक्यूशन का उन पर दबाव था।
30 जुलाई 2007 तक बिना किसी शिकायत के जांच की जाती रही और पूरी की गई। उसके पक्ष के साक्ष्य और गवाहों पर सीबीआई अदालत ने गौर ही नहीं किया। डेरामुखी ने कहा कि सीबीआई ने उसके मेडिकल एग्जामिनेशन तक की जरूरत नहीं समझी।
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दो साध्वियों के यौन शोषण के मामले में पंचकूला की सीबीआई अदालत ने 25 अगस्त को डेरामुखी को दोषी करार दिया था। 28 अगस्त को सीबीआई अदालत ने उसे दोनों ही मामलों में दस-दस वर्ष कैद और 15-15 लाख जुर्माने की सजा सुनाई। दोनों सजा एक के बाद एक शुरू किए जाने के आदेश दिए थे। इस लिहाज से डेरामुखी को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी।