प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश को मॉडल राज्य बनाने का वादा किया था. अब जबकि सूबे की सत्ता पर विराजमान योगी सरकार ने अपना 6 महीने का सफर तय कर लिया है, ये सवाल उठ रहा है कि यूपी को मॉडल राज्य बनाने की दिशा में सरकार कितना आगे बढ़ी.
योगी के पास समय ज्यादा नहीं है क्योंकि महज 18 महीने बाद उन्हें फिर से राज्य की जनता के बीच पीएम मोदी के लिए वोट मांगने जाना है और तब उनसे पीएम मोदी के चुनावी वादे के बारे में सवाल जरूर पूछा जाएगा.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 180 दिन के कामकाज की रिपोर्ट जारी की है. लेकिन बिगड़ी कानून व्यवस्था, बदहाल स्वास्थ्य सेवा और लड़खड़ाती बिजली व्यवस्था उनपर सवाल खड़े कर रही है.
ध्वस्त बिजली व्यवस्था
योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही सूबे की बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने का वादा किया था. इसी कड़ी में उन्होंने केंद्र सरकार के साथ 24 घंटे बिजली देने का समझौता किया था. इसके तहत जिला मुख्यालय को 24 घंटे, तहसीलों में 20 घंटे और गांवों को 18 घंटे बिजली देने की बात कही गई थी. आज 6 महीने के बाद योगी का ये वादा सिर्फ वादा साबित हुआ है. योगी सरकार अपने 6 महीने पूरे होने का जश्न मना रही है, लेकिन कई जिलों में बिजली को लेकर लोग सड़कों पर हैं. योगी के खुद के क्षेत्र गोरखपुर में भी घंटों बिजली की कटौती जारी है.
योगी सरकार ने बिजली को लेकर वीवीआईपी जिले की पहचान तो खत्म कर दी लेकिन ज्यादातर जिलों में कई वजह से बिजली संकट गहराया हुया है. खुद बिजली मंत्री भी मानते हैं कि बिजली की हालत ठीक नहीं है. मंत्री श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि उन्हें विरासत में खस्ताहाल बिजली व्यवस्था मिली, इसलिए उसे सुधारने में वक्त लगेगा.
बदहाल स्वास्थ्य सेवा
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवा की हालत जगजाहिर है. 6 महीनों में योगी सरकार अगर किसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा घिरी या सबसे ज्यादा आलोचना का शिकार हुई, तो वह रहा जन स्वास्थ्य का मुद्दा. योगी के गृहजिले गोरखपुर में BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई और ये सिलसिला अब भी जारी है. फर्रुखाबाद के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी से दर्जनों बच्चों की मौत हुई. इसके अलावा मेरठ में स्वाइन फ्लू से भी कई मरीजों की मौत हुई.
स्वास्थ्य के मामले में सरकार बहुत आगे नहीं बढ़ पाई है. गोरखपुर में एम्स का शिलान्यास हुए 1 साल से अधिक वक्त बीत चुका है, योगी सरकार के 6 महीने गुजर चुके हैं मगर अब तक एम्स अस्पताल का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है
क्या एनकाउंटर के बूते संभलेगी कानून व्यवस्था?
गड्ढा युक्त रास्तों पर दौड़ेगी विकास की गाड़ी?
योगी सरकार ने 100 दिनों में राज्य की सड़कों को गड्ढे मुक्त बनाने का दावा किया था, लेकिन 180 दिन गुजर चुके हैं फिर भी सड़कों के गड्ढे भर नहीं पाए हैं. 100 दिन के बाद योगी सरकार की तरफ से दलील दी गई कि भ्रष्टाचार के गड्ढे इतनी जल्दी नहीं भर सकते. समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे अधर में लटका हुआ है, बस इसका नाम बदलकर सिर्फ पूर्वांचल एक्सप्रेस वे रख दिया गया है. सरकार के पास पैसा नहीं है, इसलिए अब सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को एनएचएआई के साथ आगे बढ़ाना चाहती है.
कर्जमाफी से तारीफ कम, लेकिन बदनामी ज्यादा
विधानसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी ने यूपी के किसानों के कर्ज माफी का वादा किया था. यही वजह थी कि सरकार बनते ही लोगों ने कर्ज माफी की बात शुरु कर दी थी. योगी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ी और पहली ही कैबिनेट में 1 लाख तक के कर्ज को माफ करने की घोषणा की. इसके तहत सूबे के किसानों को फायदा भी मिला लेकिन कुछ किसानों को महज 9 पैसे, 18 पैसे, 20 रुपये जैसी छोटी रकम के कर्ज माफ करने के सर्टिफिकेट बांट दिए गए. जिससे सरकार की पूरी कर्जमाफी स्कीम पर सवाल उठने लगे और वो मजाक का पात्र बनी.
लड़कियों के साथ नहीं रुक रही छेड़छाड़
योगी सरकार ने लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ को रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉयड का गठन किया. इसके तहत पुलिसकर्मियों ने प्रेमी जोड़ों को परेशान करना शुरू कर दिया. जिसे लेकर काफी किरकिरी हुई. जिस तेजी से एंटी रोमियो स्क्वॉयड हरकत में आई, उतनी ही तेजी से गायब भी हो गई. अब स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं पर कमेंट, छेड़खानी के मामले फिर से सामने आने लगे हैं.
खटाई में नदियों की कायाकल्प
गोमती रिवर फ्रंट का काम बीच में ही रुक गया है. ये अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन अब फिलहाल CBI जांच की आंच झेल रहा है. वाराणसी में वरुणा के रिवर फ्रंट का भी यही हाल है. अखिलेश यादव की सुपर स्पेशालिटी कैंसर और लीवर अस्पताल बनाने की योजना भी फिलहाल खटाई में है. मतलब साफ है कि योगी सरकार अगर ऐसे ही चलती रही तो फिर यूपी को मॉडल स्टेट बनाने का पीएम मोदी का वादा जुमला साबित हो जाएगा.