संभोग का धर्म की दृष्टि से अपना महत्व और अपनी उपयोगिता है। हमारे धर्मशास्त्रों में इस बाबत उल्लेख किया गया है कि संभोग का उचित समय कौन सा होना चाहिए।
सनातन धर्म में रतिक्रिया को एक अवश्यंभावी अनुष्ठान बताया गया है। उल्लेख के अनुसार रतिक्रिया सभी प्राणी संपन्न करते हैं। विवाह के संभोग बाद का अपना महत्व है। इसके माध्यम से हमें संतानोत्पत्ति होती है एवं वंश आगे बढ़ता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि होने वाली संतान का निर्धारण भी रतिक्रिया के समय से होता है। ऐसे में हमें यह जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि रतिक्रिया किस समय विशेष पर की जाए ताकि इसके लाभ मिल सकें।
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