कई विधायकों को चंडीगढ़ बुला लिया गया, मगर ऐन वक्त पर कार्यक्रम टाल दिया गया। निर्दलीयों के साथ कई भाजपा विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए जुगत लगा रहे हैं।
हरियाणा की नई सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों पर विधायकों की नाराजगी भारी पड़ गई है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले नायब सैनी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार शनिवार को होना था। इसके लिए कई विधायकों को चंडीगढ़ भी बुला लिया गया था, मगर जब कुछ विधायकों को पता चला कि उनका नाम मंत्रियों की सूची में नहीं है तो उन्होंने नाराजगी जाहिर की।
चुनाव के वक्त विधायकों की नाराजगी को देखते हुए सरकार को फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार टालना पड़ा। हालांकि अब चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। ऐसे में सरकार अब कानून विशेषज्ञों से इस बारे में राय ले रही है कि आचार संहिता के दौरान कैबिनेट का विस्तार हो सकता है या नहीं।
बीती 12 मार्च को नायब सिंह सैनी के साथ पांच मंत्रियों के शपथ लेने के बाद तय हो गया था कि आगामी दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार होना तय है। दरअसल पांच मंत्रियों की कैबिनेट में पंजाबी, वैश्व, यादव समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। किसी महिला को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था।
हरियाणा में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं। वहीं, शुक्रवार को पार्टी नेतृत्व ने सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को नई दिल्ली भी बुलाया। देर रात शाह के निवास पर नड्डा के साथ दोनों की बातचीत हुई। बैठक के बाद ही कई विधायकों को चंडीगढ़ बुला लिया गया।
शनिवार सुबह सीएम व पूर्व सीएम भी चंडीगढ़ लौट आए थे। सुबह करीब 11 बजे राजभवन में हलचल भी शुरू हो गई। मंत्रियों के लिए पांच गाड़ियां भी पहुंच गईं, मगर कुछ देर बाद उन्हें लौटा दिया गया। पहले गृह विभाग के सचिव महावीर सिंह और उसके कुछ देर बाद मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद राजभवन पहुंचे, मगर कुछ ही देर बाद वह लौट गए।
मंत्रिमंडल विस्तार टलने के तीन कारण
1. विज को नहीं मना पाए :
मंत्रिमंडल विस्तार टलने के पीछे सबसे बड़ा कारण अनिल विज का नाराज होना बताया जा रहा है। केंद्रीय व राज्य नेतृत्व उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मना नहीं पाया। मंत्रिमंडल में उनके शामिल नहीं होने पर पार्टी को नुकसान का अंदेशा था। वह भाजपा का बड़ा चेहरा हैं। मनोहर सरकार में भी वह दूसरे नंबर के मंत्री थे। शनिवार को अंबाला छावनी के उपमंडल कार्यालय में एक कार्यक्रम में पहुंचे अनिल विज ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही किसी ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने खुद के नाराज होने से भी इन्कार किया।
2. किसी यादव विधायक को नहीं गया :
राज्य मंत्रिमंडल में किसी यादव को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला। चर्चा है कि मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए किसी यादव विधायक को फोन नहीं गया। इससे राव इंद्रजीत नाराज हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि सरकार बनाने में अहीरवाल क्षेत्र का अहम योगदान है। राज्य मंत्रिमंडल में कम से कम दो लोगों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
3. निर्दलीयों का भी दबाव :
जजपा से गठबंधन टूटने के बाद नायब सैनी सरकार ने निर्दलीय विधायकों के दम पर विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था, मगर जब मंत्रिमंडल विस्तार की बात सामने आई तो कुछ निर्दलीय विधायकों के नाम इसमें शामिल नहीं थे। उन्होंने इस पर नाराजगी जाहिर की। बताया जा रहा है कि चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सिंह सांगवान व नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर ने शनिवार को सीएम आवास पर नायब सैनी व मनोहर लाल से मुलाकात की। मंत्रिमंडल विस्तार टलने के पीछे निर्दलीय विधायकों का समायोजन न होना भी बड़ा कारण है।
विज को मनाने की कोशिश करेंगे : सुधीर सिंगला
राजभवन पहुंचे गुरुग्राम विधायक सुधीर सिंगला ने कहा उन्हें सुबह 11 बजे पहुंचने का संदेश मिला था। अनिल विज की नाराजगी के कारण मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के सवाल पर सिंगला ने कहा, शुरुआत में इसी वजह से इसमें देरी हुई, लेकिन अनिल विज को मनाने की कोशिश की जाएगी।
सरकार मंत्रिमंडल विस्तार की स्वीकृति मांगेगी तो आयोग से लेंगे राय : सीईओ
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) अनुराग अग्रवाल ने बताया कि आचार संहिता में राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार का उल्लेख नहीं है। यदि सरकार मंत्रिमंडल विस्तार की स्वीकृति मांगती है तो चुनाव आयोग से राय ली जाएगी। कानून विशेषज्ञ व अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि सरकार मंत्री बनाते वक्त क्षेत्र और जाति को तवज्जो देती है, जो चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।