बिहार में आने वाले दिनों में घर बनाना महंगा होने वाला है। नीतीश सरकार ने फल्गू, सोन समेत पांच नदियों के बालू के स्वामित्व दर में दोगुनी बढ़ोतरी की है। इसका असर सीधे तौर पर बालू के दामों पर पड़ेगा। जानकारों की मानें तो बिहार में बालू के दाम 25 से 30 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। बालू महंगा होने से कंस्ट्रक्शन खर्च भी बढ़ जाएगा। ऐसे में आम आदमी को महंगाई का बड़ा झटका लग सकता है।
सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सोन, किउल, फल्गु, चानन और मोरहर नदी के बालू का स्वामित्व दर प्रति घनमीटर 75 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये कर दिया गया। इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। नवंबर 2019 में भी बालू की स्वामित्व दर बढ़ाई गई थी। इस तरह तीन साल बाद स्वामित्व दर में बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद बालू की बाजार में कीमत 25 से 30 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।
दूसरी ओर, विभाग का मानना है कि नए सिरे से बंदोबस्ती के बाद राज्य में बालू घाटों की संख्या बढ़ेगी। लिहाजा इसके खनन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा तेज होगी और स्वामित्व दर में बढ़ोतरी का बालू की बाजार दर पर असर नहीं पड़ेगा। राज्य की शेष नदियों में बालू की स्वामित्व दर 75 रुपये प्रति घनमीटर ही रहेगी।
पांच नदियों के बालू की सबसे ज्यादा डिमांड
बता दें कि इन पांच नदियों का बालू लाल होता है, जिसका उपयोग निर्माण कार्य में किया जाता है। इसकी गुणवत्ता भी उच्च श्रेणी की होती है। इस कारण इसकी मांग ज्यादा है। अभी बिहार में बालू का खनन बंद है। एक अक्टूबर से बालू का खनन शुरू होना है, तभी से नई दर लागू होगी। बैठक के बाद कैबिनेट सचिवालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने यह जानकारी दी।
एक ट्रैक्टर बालू के लिए खर्च करने पड़ेंगे 6 हजार रुपये
बंदोबस्ती दर बढ़ाने के असर को इस तरह समझ सकते हैं। सोन नदी के सौ सीएफटी (एक ट्रैक्टर) बालू के लिए बंदोबस्तधारियों को अब तक रॉयल्टी के रूप में 212.50 रुपये देने पड़ते थे। नये फैसले से अब यह दर 425 रुपये प्रति सौ सीएफटी हो गई है। भोजपुर के घाटों पर बंदोबस्तधारियों की ओर से सौ सीएफटी बालू के लिए 1800 से 3000 रुपये तक का चालान कटता था। तब बाजार में यह बालू 4 से साढ़े चार हजार में बिकता था। अनुमान है कि अब चालान 3 से 4 हजार का कटेगा। ऐसे में एक ट्रैक्टर बालू की कीमत बाजार में 5 से 6 हजार होगी। यानी, दाम में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है।