High Cholesterol: शरीर में लिवर द्वारा बनाए गई वसा को ही कोलेस्ट्रॉल या लिपिड कहा जाता है। शरीर के अलग-अलग कार्यों को पूरा करने के लिए उचित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का होना ज़रूरी है। सेल मेम्ब्रेन, विटामिन-डी, पाचन और कई तरह के हार्मोन जैसे- एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन, टेस्टोस्टेरॉन, कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरॉन के निर्माण के लिए भी कोलेस्ट्रॉल ज़रूरी होता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल विटामिन-ए, डी, ई और के को शरीर में अवशोषित करने में भी मदद करता है। सूर्य की रोशनी की मौजूदगी में शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मदद से ही विटामिन-डी बनता है।
जब शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल स्टोर होने लगता है, तो यह खून ले जाने वाली नलियों के पास जमने लगता है, जिससे नलियां छोटी होने लगती हैं। ऐसा खाना जिसमें जिसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो खाने से, शरीर में एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। जिसे हाई कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। समय के साथ इस पर ध्यान न दिया जाए, तो इससे दिल की बीमारी, हार्ट अटैक या फिर स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है। हालांकि, इसके लक्षण दिखने पर अगर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो घातक बीमारियों से बचा जा सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल का एक चेतावनी का संकेत आपके चेहरे पर दिखाई देता है। आइए जानें इसके बारे में…
चेहरे पर दिखने वाला हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण
आर्कस सेनिलिस – चेहरे पर एक प्रमुख चेतावनी संकेत – जिसकी विशेषता है आंखों में एक नीले-भूरे रंग की अंगूठी। इसे आमतौर पर कॉरनियल आर्कस (corneal arcus) के नाम से जाना जाता है, इसमें आइरिस के आसपास एक नीले-ग्रे रंग की रिंग बन जाती है। जैसे-जैसे कोलेस्ट्रॉल बनता है वैसे ही यह रिंग भी उभरने लगती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी का कहना है कि यह रिंग एक वसायुक्त पदार्थ से बनती है। कॉर्निया ट्रांसपेरेंट होता है, जिसकी वजह से आइरिस का रंग दिखता है। रंगबिरंगी रिंग की वजह से ऐसे लगता है कि आइरिस में कई रंग हैं।
आर्कस सेनिलिस कैसे बन जाता है?
यह शुरुआत में एक रंगों के एक आर्च की तरह दिखता है। समय के साथ यह एक रिंग में तबदील हो जाता है। यह उम्र के साथ उन लोगों की आंखों में दिखाई दे सकता है, जिनका कोलेस्ट्रॉस का स्तर ठीक हो। हालांकि, अगर इस तरह की रिंग किसी ऐसे व्यक्ति में दिख रही हो, जिसकी उम्र 45 से कम, तो यह कोलेस्ट्रॉल का ही संकेत हो सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल की जांच ब्लड टेस्ट के ज़रिए होती है। रिपोर्ट में जब साफ हो जाए, तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें। साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में आप ये बदलाव कर सकते हैं:
- फैटी फूड्स का सेवन न करें, जिसमें सैचुरेटेड और ट्रांस फैट्स हों।
- स्मोकिंग छोड़ दें।
- शराब का सेवन भी कम कर दें।
- वज़न कम करने के लिए वर्कआउट करें।