हर साल मनाए जाने वाली नर्मदा जयंती इस साल 7 फरवरी को मनाई जाने वाली है। ऐसे में इस दिन माँ नर्मदा का पूजन किया जाता है। आप सभी को बता दें कि माँ नर्मदा के पूजन से कई बड़े लाभ होते हैं। आपको बता दें कि भगवान शिव जी के पसीने से मेकल पर्वत पर उत्पन्न होने वाली माता नर्मदा नदी (Maa Narmada) ही एक मात्र ऐसी नदी हैं जो कल-कल की आवाज करते हुए बहती है। अब हम आपको बताने जा रहे हैं माँ नर्मदा के मंत्र और उन्हें मिला वरदान।

माँ नर्मदा के मंत्र-
– पुण्या कनखले गंगा कुरुक्षेत्रे सरस्वती।
ग्रामेवा यदि वारण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा।
त्रिभि:सारस्वतं पुण्यं सप्ताहेनतुयामुनम्।
सद्य:पुनातिगाङ्गेयंदर्शनादेवनर्मदाम्।
– कनकाभांकच्छपस्थांत्रिनेत्रांबहुभूषणां।
पद्माभय:सुधाकुम्भ:वराद्यान्विभ्रतींकरै:।
– ऐं श्रींमेकल-कन्यायैसोमोद्भवायैदेवापगायैनम:।
क्या मिला था माँ नर्मदा को वरदान- एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया था- ‘नर्मदे त्वें माहभागा सर्व पापहरि भव। त्वदत्सु याः शिलाः सर्वा शिव कल्पा भवन्तु ताः।’ अर्थात् तुम सभी पापों का हरण करने वाली होगी तथा तुम्हारे जल के पत्थर शिव-तुल्य पूजे जाएँगे। उस समय नर्मदा ने शिवजी से भी वर माँगा। जैसे उत्तर में गंगा स्वर्ग से आकर प्रसिद्ध हुई है, उसी प्रकार से दक्षिण गंगा के नाम से प्रसिद्ध होऊँ। ऐसे में शिवजी ने नर्मदाजी को अजर-अमर होने का वरदान दिया, प्रलयकाल तक मां नर्मदा इस धरती पर रहेगी।
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