ताइपे, ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने साफ कर दिया है कि चीन के ताइवान को अपने संग मिलाने के किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उनका ये बयान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि निश्चिततौर पर ताइवान को चीन से मिलाना होगा। हालांकि इस बार ताइवान को लेकर दिए गए बयान में उनके सुर में काफी नरमी दिखाई दी। ताइवान को लेकर दिए गए अपने पूर्व के आक्रामक बयानों के उलट इस बार उन्होंने कहा कि इसके लिए सेना का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। दोनों देशों के बीच ये यूनिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से होगी।
चीन के राष्ट्रपति के बयान के जवाब में साई वेंग का कहना है कि ताइवान वर्षों पहले ही अपना भविष्य तय कर चुका है। राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर हुए एक नेशनल डेली रैली को संबोधित करते हुए वेंग ने उम्मीद जताई कि ताइवान स्ट्रेट पर उपजा तनाव कुछ कम हो सकेगा। उन्होंने ये भी कहा कि वो ये भी मानती हैं कि ताइवान को आक्रामकता दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने साफ कर दिया कि चीन को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि ताइवान के लोग किसी भी तरह के दबाव में झुकेंगे। ताइवान लगातार अपनी सुरक्षा के लिए कदम आगे बढ़ाता रहेगा और ये सुनिश्चित करेगा कि उसकी तरफ कोई आंख उठाकर देख न सके। वेंग ने चीन की सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि वहां पर लोगों को न तो आजादी है और न ही वहां पर लोकतंत्र है। उनका कहना था कि ताइवान ने चीन को एक आफर दिया था जिसको वहां की सरकार ने ठुकरा दिया था। वेंग ने ये भी साफ कर दिया है कि ताइवान की नीति और नीयत में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि चीन ताइवान पर अपना अधिकार जताता रहा है। चीन लगातार ही उसको अपने साथ मिलाने की बात करता रहा है। चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की वर्षगांठ के मौके पर भी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कड़े शब्दों में कहा था कि यदि जरूरत पड़ी तो वो इसके लिए सेना का भी इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। गौरतलब है कि चीन की वायुसेना के लड़ाकू विमान और बमवर्षक विमान भी ताइवान के आर्थिक जोन और उसके एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसकर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते रहे हैं।
हालांकि इसका ताइवान ने कड़ा जवाब दिया है और प्रतिक्रिया स्वरूप अपने लड़ाकू विमानों को भी चेतावनी के तौर पर उनके पीछे भेजा है। लेकिन, इसको लेकर ताइवान काफी दबाव में दिखाई देने लगा है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने चीन की आक्रामकता के आगे ताइवान को हर संभव मदद का भरोसा काफी पहले ही दे चुका है। ताइवान और अमेरिका के बीच मजबूत होते संबंध चीन की आंखों में खटकते रहे हैं और वो कई बार इसका विरोध भी करता रहा है। ताइवान के अलावा दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भी उसका चीन के साथ बैर किसी से छिपा नहीं है।