उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की मुक्ति योजना के तहत अब देश-विदेश के लोग घर बैठे सनातन परंपरा के अनुसार हरकी पैड़ी के घाटों पर अस्थि विसर्जन करा सकेंगे। गंगा तट पर अस्थि विसर्जन का लाइव कवरेज भी परिजनों को दिखाया जाएगा। इसके लिए विदेश में रह रहे प्रवासियों को 100 डॉलर का संस्कार शुल्क देना होगा। देश के लोगों के लिए अभी शुल्क तय किया जाना है। एक माह के अंदर योजना काम करना शुरू कर देगी।
कैसे करेंगे संपर्क
अस्थि विसर्जन के लिए परिजनों को कूरियर से अस्थियां हरिद्वार स्थित उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के पते पर भिजवानी होगी। इसके बाद अकादमी परिजनों के पंडों से संपर्क कर अस्थि विसर्जन कराएगी। इस योजना के लिए अकादमी ने करीब 4.25 लाख रुपये का बजट तैयार किया है।
अस्थि विसर्जन के लिए तीन भाषाओं में दी जाएगी जानकारी
संस्कृत अकादमी की ओर से गंगा के घाटों पर अस्थियां विसर्जन कराने के लिए ई-ब्रोशर के माध्यम से तीन भाषाओं में जानकारियां प्रदान की जाएंगी। अकादमी के सचिव डॉ. आनंद भारद्वाज ने बताया कि हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत में ई-ब्रोशर बनाने का कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा। ई-ब्रोशर के माध्यम से परिजन गंगा घाटों पर अस्थि विसर्जन कराने के लिए जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
पोर्टल पर होगा रजिस्ट्रेशन
परिजनों को अस्थि विसर्जन के लिए संस्कृत अकादमी की ओर से बनाए जा रहे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके साथ ही पोर्टल पर अकादमी की ओर से परिजनों को संपर्क करने के लिए मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
देश और विदेशों में बसे कुछ हिंदू परिवार परिस्थितिवश हरिद्वार में गंगा के तटों पर अस्थि विसर्जन से वंचित रह जाते हैं। जिसे देखते हुए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से मुक्ति योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है। करीब एक महीने में यह योजना पूर्ण रूप से शुरू कर दी जाएगी। हिंदू परिवारों के अलावा अन्य धर्म अथवा विदेशी परिवार भी यदि अस्थि विसर्जन कराना चाहते हैं तो करा सकते हैं।
डॉ. आनंद भारद्वाज, सचिव उत्तराखंड संस्कृत अकादमी
यदि संस्कृत अकादमी की ओर से पुरानी पुरोहित परंपरा के अनुसार कुल के पुरोहितों द्वारा गंगा घाटों पर अस्थियां विसर्जन कराया जाता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अकादमी की इस योजना का गंगा सभा स्वागत करती है। यदि किसी के पुरोहितों का पता अथवा जानकारी नहीं है तो ऐसे में गंगा महासभा की ओर से अस्थि विसर्जन कराया जाता है।