मां का लाल बना छोटा मोदी, 126 ‘लाल’ नदियां अब होंगी बेरंग

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही प्रदेश को बेहतर बनाने के लिए एक और बड़ा ऐलान किया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता से जो भी वादे किए हैं उन्हें पूरा करने के लिए हम जी-जान लगा देंगे। सीएम की इन बातों का असर सबसे पहले बूचड़खानों पर पड़ा है। जिसको बंद करने के लिए योगी सरकार ने कारवाई शुरू कर दी है। यूपी में पिछले कई सालों से बेहिसाब पशुओं के काटे जाने वाले बूचड़खानों को बंद करने के ऐलान से मीट कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। बूचड़खानों को बंद करने की इस मुहिम के चलते सोमवार को कुछ जिलों में कार्रवाई का खौफ साफ दिखाई दे रहा था। कई जिलों में कटान नहीं हुआ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों पक्ष मिलकर सुलझाएं राममंदिर का मुद्दा, जरूरत पड़ी तो मध्यस्थता को तैयारमां का लाल बना छोटा मोदी, 126 ‘लाल’ नदियां अब होंगी बेरंगआपको बता दें कि भाजपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में भी इन बूचड़ खानों को बंद करने की बात कही है। जिसको लेकर प्रदेश की सरकार ने काम शुरू कर दिया है। पिछले दो दिनों से मेरठ में बूचड़खाने के आसपास सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। जबकि इलाहाबाद में तीन बूचड़खानों को सीज कर दिया गया है।

बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुछ जिलों में बूचड़खानों को पूरी तरह बंद करने का आदेश है लेकिन वहां पर भी चोरी-छिपे कटान चल रहे हैं। साथ ही प्रदेश के कई जिलों में कुटीर उद्योग के नाम पर हजारों मकान-दुकान में पशुओं को काटने का काम चल रहा है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर मंडल में पशुओं का अवैध कटान बड़े स्टार पर तेजी से चल रहा है। मेरठ जनपद में सात मीट फैक्टरियां हैं लेकिन, इनमें निर्धारित संख्या से ज्यादा पशु काटे जाते रहे हैं। सहारनपुर में 28 कमेले अवैध रूप से चल रहे हैं। 32 गांव भी मीट की मंडी के रूप में बदनाम हैं। बागपत के रटौल में बूचड़खाना बंद है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मानक पूरा न होने पर मुजफ्फरनगर में सील कर कर दिया गया था। यहां पिछले दो-तीन दिन से शहर में पशुओं से लदे ट्रक नहीं देखे जा रहे।

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शामली, बिजनौर व बुलंदशहर में भी अवैध रूप से पशु कटान जारी है। आगरा में दो बूचड़खानों के पास ही लाइसेंस हैं। जबकि तीन सौ अवैध बूचड़खानें चल रहे हैं। फीरोजाबाद जिले में लाइसेंसशुदा एक भी बूचड़खाना नहीं है। मैनपुरी और एटा में आधा सैकड़ा अवैध कट्टीखाने हैं।

वहीँ अगर राजधानी की बात करें तो यहां चार बूचड़खाने हैं। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आबादी के बीचोंबीच संचालित किए जा रहे इन बूचड़खानों को बंद कर दिया था। हकीकत यह है कि स्लाटर हाउस की बंदी के बाद भी चोरी छिपे जानवर काटे जा रहे हैं। कानपुर नगर समेत आसपास के 15 जिलों में नई सरकार के गठन के बाद भी पशु कटान धड़ल्ले से हो रहा है।

इटावा क्षेत्र में एक भी बूचड़खाना रजिस्टर्ड नहीं है इसके बावजूद दर्जन भर से अधिक स्थानों पर अवैध रूप से पशुओं को काटा जा रहा है। मुरादाबाद महानगर में घरों में पशुओं को काटा जाता है। सम्भल में बूचड़खाने को हाईकोर्ट के आदेश पर छह माह पहले बंद करा दिया गया था फिर भी कटान जारी है। मीट कारोबार के लिए प्रसिद्ध अलीगढ़ में इस कारोबार से जुड़े लोगों में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही हडकंप मचा है।

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आपको बता दें कि प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के पास कुल 126 बूचड़खानों का ब्यौरा है, लेकिन सूत्रों की मानें ती इससे कई गुना ज़्यादा बूचड़खानें तेजी से चल रहे हैं। वहीँ ये 126 बूचड़खानें भी सभी मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। बूचड़खानों को बंद कराने के इस फैसले पर पूछे गए सवाल पर बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये कोई जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं है। हमारी पार्टी हमेशा से गौहत्या और बूचड़खानों को के खिलाफ है।

 

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