अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक महामारी के दौरान लागू की गई उस नीति को निरस्त कर दिया है जिसमें ग्रीन कार्ड आवेदकों के अमेरिका आने पर रोक लगाई गई थी। इस कदम से अमेरिका में एच-1बी वीजा पर काम करने वाले भारतीयों को भी फायदा पहुंचेगा।
‘ग्रीन कार्ड’ को आधिकारिक रूप से स्थाई निवासी कार्ड भी कहा जाता है। यह अमेरिका में अप्रवासियों का दिए जाने वाला एक ऐसा दस्तावेज है, जो इस बात का प्रमाण है कि उक्त व्यक्ति को स्थाई रूप से देश में रहने का अधिकार दिया गया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल वसंत में कोरोना वायरस के कारण बढ़ती बेरोजगारी से निपटने का हवाला देते हुए 2020 के अंत तक ग्रीन कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी थी, जिसे 31 दिसंबर को उन्होंने मार्च अंत तक के लिए बढ़ा दिया था।
बाइडन ने कहा कि वैध आव्रजन को रोकना ‘अमेरिका के हित में नहीं है।’ बाइडन ने कहा कि, ‘बल्कि इससे अमेरिका को नुकसान पहुंचता है जिसमें अमेरिकी नागरिकों या वैध स्थाई निवासियों के परिवार के सदस्यों को यहां उनके परिवारों से मिलने से रोकना शामिल है। यह अमेरिका के उद्योगों को भी प्रभावित करता है, जिसका विश्वभर के प्रतिभाशाली लोग हिस्सा हैं।’ अमेरिकी आव्रजन वकील संघ के अनुसार, इन आदेशों से अधिकतर आव्रजन वीजा पर रोक लग गई थी।
उच्च कौशल वाले एच-1बी वीजाधारकों में बड़ी संख्या भारतीयों की है। एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा होता हैं, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विशेष तकनीकी दक्षता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति होती है। इस वीजा के जरिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों की नियुक्ति करती हैं। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष करीब 10 हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।