अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार पर एक बार फिर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की नजर है. जांच एजेंसी ने शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजीव कुमार को हिरासत में लेने की अर्जी लगाई है. वहीं, बीजेपी के बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने कहा कि जो भी दोषी हैं. वह सलाखों के पीछे जाएंगें. उन्होंने कहा कि राजीव कुमार के साथ क्या होगा? यह सुप्रीम कोर्ट तय करेगा. न्यायालय के निर्देश पर नजर टिकी हुई है. उन्होंने कहा कि राजीव कुमार के अलावा इस मामले में कई बड़े नाम हैं, जिन्हें दंडित किए जाने की जरूरत है. इनमें से कुछ सेंट्रल जेल जाएंगें, तो कुछ जगन्नाथ धाम जाएंगे.
CBI का कहना है कि राजीव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले साल 1 अक्टूबर को उन्हें जमानत दी थी. हाई कोर्ट से राजीव कुमार को अग्रिम जमानत मिलने के 14 महीने बाद CBI ने अर्जी दाखिल कर जमानत रद्द करने और कस्टडी में पूछताछ की इजाजत मांगी है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में CBI ने कहा, हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए यह साफ किया था कि राजीव कुमार जांच में सहयोग करेंगे. वह जांच के संबंध में सबूतों के गायब होने के बारे में जानते हैं, इसलिए उनकी गिरफ्तारी और कस्टडी में लेकर पूछताछ जरूरी है.
सीबीआई ने 277 पन्नों का आवेदन पत्र सुप्रीम कोर्ट में सौंपा है. इसमें सारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन की महिला सहयोगी देबजानी मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और वर्तमान प्रवक्ता कुणाल घोष समेत कई अन्य गवाहों के बयान हैं.देवयानी ने CBI को बताया है कि बंगाल सरकार ने 2013 में चिटफंड की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था, जिसके मुखिया विधाननगर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार थे, इन्हीं लोगों ने सुदीप्त सेन (Sudipta Sen) और देवयानी (Debjani) को गिरफ्तार किया था. देवयानी ने बताया है कि उनके पास एक लाल डायरी थी, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी यानी TMC के उन नेताओं का नाम लिखा गया था जिन्हें बड़ी धनराशि चिटफंड समूह की ओर से दी गई थी. उस डायरी को राजीव ने अभीतक सीबीआई को नहीं सौंपा है. आरोप है कि उन्होंने नेताओं को बचाने के लिए डायरी को नष्ट कर दिया है.
इसके अलावा देवयानी ने बताया है कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस उन्हें लेकर मिडलैंड स्थित जांच एजेंसी के दफ्तर में 23 दिनों तक लगातार छापेमारी की थी और करीब दो ट्रक दस्तावेज बरामद किए थे. इसमें एक लैपटॉप और कैश बुक भी था, जिसमें चिटफंड कंपनी से लाभ लेने वालों की सूची थी. वह भी सीबीआई के हाथ नहीं लगी है. सीबीआई का कहना है कि जांच टीम के मुखिया होने के नाते राजीव कुमार अपने दायित्वों से नहीं बच सकते इसलिए उन्हें हिरासत में लिए जाने की जरूरत है.
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता व चिटफंड मामले के एक और आरोपी कुणाल घोष (Kunal Ghosh) ने वर्तमान बीजेपी नेता मुकुल राय (Mukul Roy) को हिरासत में लेने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि चिटफंड के पैसे की लेनदेन में मुकुल की भूमिका बड़ी है. इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. इस बारे में भी रविवार को दिलीप घोष ने कहा कि चिटफंड घोटाले में जो लोग संलिप्त हैं उनसे निश्चित तौर पर जांच एजेंसी पूछताछ करेगी. वे किस पार्टी के हैं, यह मायने नहीं रखता.