कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामने में संपादकीय लिखा है. इसमें केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा गया है कि क्या किसान खूनी हैं? दरअसल, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के काफिले को काले झंडे दिखाए गए थे जिसके बाद 13 किसानों पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज हुआ था. इसपर शिवसेना ने केंद्र और हरियाणा की सरकार को घेरा है.
सामना के ताजा संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को खूनी, हमलावर, नक्सलवादी, खालिस्तान समर्थक और आतंकवादी हैं की तरह दिखाने का प्रयास हो रहा है. आगे पूछा गया है कि क्या आंदोलन करना अपराध है?
आगे कहा गया है कि केद्र सरकार किसानों को खूनी और दंगाई साबित करने की कोशिश लोकप्रियता घटने की वजह से कर रही है. आगे कहा गया है कि इस देश का किसान हमलावर और दंगाई नहीं हो सकता. आगे लिखा गया है कि देशभर के किसान कठिन परिस्थितियों में खेती करते हैं. यह भी कहा गया है कि अगर किसान कानून वापसी तक दिल्ली की सीमाओं से हटने को तैयार नहीं हैं तो इसमें कुछ ही गलत नहीं है.
सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि किसान दिवस (23 दिसंबर) के दिन ही हरियाणा की बीजेपी सरकार ने किसानों को खूनी बताया. ऐसा करके किसानों के संघर्ष को दबाया नहीं जा सकता और इस बात को सरकारों को ध्यान रखना चाहिए.