मुल्तानी ने कहा कि वह खुद दिल्ली संघर्ष में शामिल होकर लौटे हैं। धरनास्थल दिल्ली के बाहरी इलाके में है। वहां मच्छरों की भरमार है। इसलिए फॉगिंग कराई जानी चाहिए।
चंडीगढ़। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर चल रहे किसानों के संघर्ष को मजबूती देने के लिए डॉक्टर, वकील और समाजसेवी संस्थाओं ने भी हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया। किसानों को मेडिकल सुविधा के अलावा जरूरी कानूनी सहायता भी मुहैया करा रही हैं।
सिविल सर्जन के पद से रिटायर व कई समाज सेवी संस्थाओं से जुड़े डॉ. दिलेर सिंह मुल्तानी भी इस संघर्ष में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उनकी टीम ने घायल और बीमार किसानों को डॉक्टरी सुविधा उपलब्ध कराई। घायल किसानों की मरहमपट्टी से लेकर जरूरी दवाएं भी दीं।
डॉ. मुल्तानी का कहना है कि सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में जोड़ों का दर्द, खांसी, जुकाम की समस्या आती है। इसके अलावा कुछ किसान अपनी जरूरी दवाएं ले जाना भूल गए हैं। हमारी टीम उनकी मदद कर रही है।
डॉ. मुल्तानी ने बताया कि वह दिल्ली में डटे किसानों को अपना मोबाइल नंबर देकर लौटे हैं। जरूरत पड़ने पर किसान किसी भी समय फोन कर सकते हैं। वह फोन पर भी किसानों की काउंसलिंग के लिए उपलब्ध रहेंगे।
समाजसेवी सतनाम दाऊं ने बताया कि वह अपने स्तर पर किसानों के संघर्ष में सहयोग दे रहे हैं। इसके अलावा एक नामी संस्था किसानों पर दर्ज किए गए केसों में मुफ्त कानूनी सलाह में लगी है। मोहाली के गांवों से रोजाना ट्रालियां भरकर किसानों के हक में जा रही हैं। मंगलवार को भी दाऊं से एक ट्रॉली दूध व अन्य जरूरी खाद्य सामग्री लेकर रवाना हुई। सतनाम सिंह दाऊं ने बताया कि जैसे भी हो सकेगा, किसानों की हर संभव मदद करते रहेंगे।
वहीं डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि दिल्ली धरने में शामिल होने गए किसानों को बीमारियों से बचाने के लिए पंजाब सरकार को धरनास्थल पर अस्थायी सार्वजनिक शौचालयों का इंतजाम करना चाहिए। वहीं मच्छरों से बचाने के लिए नियमित फॉगिंग भी करानी जरूरी है।