नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते रद की गईं उड़ानों के लिए टिकट मूल्य के रिफंड के सिलसिले में बुधवार को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए। छह दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 25 मार्च से 24 मई के बीच रद किए गए विमान टिकटों के लिए यात्रियों को तत्काल पूरा रिफंड किया जाए। इस अवधि में देश में किसी भी घरेलू यात्री उड़ान का परिचालन नहीं हुआ था।
शीर्ष अदालत के आदेश के आधार पर डीजीसीए ने यात्रियों को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में ऐसे यात्री हैं जिन्होंने 25 मार्च से 24 मई के बीच उसी अवधि में यात्रा के लिए टिकट खरीदे थे। दूसरी श्रेणी में ऐसे यात्री हैं जिन्होंने 25 मार्च से पहले टिकट लिए, लेकिन उनकी यात्रा अवधि 24 मई तक थी और तीसरी श्रेणी में 24 मई के बाद के सफर के लिए किसी भी समय टिकट बुकिंग करने वाले लोग हैं।
डीजीसीए ने कहा कि पहली श्रेणी के लोगों को संबधित एयरलाइनों द्वारा रद किए गए टिकट के बदले पूरा पैसा दिया जाना चाहिए। द्वितीय श्रेणी वालों को एयरलाइंस 15 दिनों के अंदर पैसा देने का पूरा प्रयास करे। यदि वित्तीय दबाव के चलते कोई एयरलाइन ऐसा नहीं कर पाती है तो वह यात्री को उस किराये के बराबर का क्रेडिट शेल दे जिसे यात्री 31 मार्च, 2021 तक टिकट खरीदने के लिए उपयेाग कर सकें। डीजीसीए के अनुसार तृतीय श्रेणी को उसके नियमों के अनुसार रिफंड जाए।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए उनके टिकट के रिफंड से जुड़ी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) की सिफारिशों को मंजूरी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एयरलाइनों को लॉकडाउन के दौरान रद हुई टिकटों के रिफंड तत्काल देने का आदेश देते हुए कहा था कि अगर लॉकडाउन के दौरान यात्रा का टिकट था, तो उसका पैसा तत्काल एयरलाइंस वापस करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यदि लॉकडाउन के बाद की यात्रा के लिए टिकट रद कराया गया था, तो भी कंपनियों को उसका पैसा तीन हफ्ते के भीतर वापस करना होगा। बीते 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान रद हुई फ्लाइट के टिकट के पैसे लौटाने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान फ्लाइट कंपनियों से पूछा था कि, ‘यह कंपनी की दिक्कत है, इसके लिए यात्री क्यों भुगतान करें?’