हरियाणा सरकार ने कोरोना काल से उबरने का खाका खींच लिया है। मनोहर लाल सरकार हर वर्ग को रियायतें देते हुए प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पुराने ढर्रे पर लाने की तैयारी में है।
एमएसएमई को मंदी से उबारने के लिए 2500 करोड़ रुपये का लोन दिया जाएगा। शिशु लोन के तहत पांच लाख छोटे उद्यमियों को 50 हजार रुपये तक का लोन सरकार बैंकों से दिलाएगी।
इसका आधा ब्याज सरकार भरेगी। निवेश के इच्छुक उद्यमियों को सरकार पंचायती जमीन भी पट्टे पर देगी। लीज पर भूमि देने का प्रावधान सरकार ने पहले ही किया हुआ है। चूंकि, निवेश के लिए उद्यमी सस्ती जमीन चाह रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रेहड़ी-फड़ी, रिक्शा, ऑटो-रिक्शा से घर चलाने वाले लोगों को 15 हजार रुपये तक कर्ज दिलाया जाएगा। इसका दो प्रतिशत ब्याज सरकार, जबकि दो प्रतिशत ब्याज कर्जदाता स्वयं देगा।
एमएसएमई के लिए सीएम की यह घोषणा केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज से अलग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष खत्म हो चुकी फसल ऋण राहत योजना को 30 जून तक बढ़ा दिया गया है।
अब तक चार लाख दस हजार किसानों ने योजना का लाभ उठाया है। किसानों के ब्याज और जुर्माने के 1314 करोड़ रुपये माफ किए गए हैं। नलकूप बिल माफी योजना का लाभ एक लाख 12 हजार किसान उठा चुके हैं।
अब आयुष्मान भारत योजना में 1लाख 80 हजार रुपये तक की सालाना आय वाले परिवारों को भी पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है।
अभी तक प्रदेश में एक लाख दस हजार लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। परिवार पहचान पत्र का कार्य पूरा होते ही आर्थिक रूप से कमजोर सभी लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मनरेगा मजदूरी 309 रुपये हो गई है। यह पूरे देश में सर्वाधिक है। जनधन योजना के तहत गरीब महिलाओं के खाते में 500 रुपये डाले जाएंगे।
आर्थिक रूप से कमजोर दूसरे वर्गों के लोगों को एक हजार रुपये देंगे। 16 लाख बीपीएल परिवारों और असंगठित मजदूरों को चार से पांच हजार रुपये खाते में भेज रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ का फायदा होगा। 500 किसान उत्पादक संगठन बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विदेशी निवेश के लिए जापान और अमेरिका के निवेशकों से चर्चा के बाद कोरिया के उद्यमियों के साथ जल्द वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे। दो महीने से आर्थिक गतिविधियां ठप होने के कारण लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हुआ है।
केंद्र ने उधार लेने की सीमा बढ़ाई है। एफआरबीएम की लिमिट को तीन से बढ़ाकर पांच प्रतिशत किया है। अब सरकार 15-20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज और ले सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करने में मदद मिलेगी।