उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में 15 महिलाएं विधायक चुनी जा चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा 11 दलित महिलाएं हैं और तीन पिछड़े और एक सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखती हैं। कांग्रेस के टिकट पर बेनीबाई छह बार विधायक चुनी गईं। पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए परसीमन में यहां 19 सीटें बनाई गई हैं। 1957 से लेकर 2012 तक हुए 15 विधानसभा चुनाव में 15 महिलाओं को विधायक बनने का मौका मिला है।
इनमें 11 दलित, तीन पिछड़े और एक सामान्य वर्ग की महिला शामिल हैं। 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस की बेनीबाई झांसी जिले की मऊरानीपुर (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित) सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा में अपनी आमद दर्ज कराई थी।
इसके बाद 1962 में इसी दल की सियादुलारी ने बांदा जिले की मऊ-मानिकपुर (अब चित्रकूट जिला) सीट से और बेनीबाई दोबारा मऊरानीपुर से विधायक बनी थीं।
वर्ष 1967 में बेनीबाई तीसरी बार चुनी गईं और 1969 के चुनाव में कांग्रेस की ही सियादुलारी दोबारा अपनी सीट से विधायक चुनी गईं। 1974 के चुनाव में जहां बेनीबाई चैथी बार चुनाव जीतीं, वहीं जेपी आंदोलन के चलते उन्हें 1977 में हार का सामना भी करना पड़ा।
वर्ष 1980 के चुनाव में बेनीबाई झांसी की बबीना सीट से जीत दर्ज की और छठीं बार वह इसी सीट से 1985 के चुनाव में विधायक बनीं। इस प्रकार कांग्रेस के टिकट पर वह छह बार विधायक बनीं। वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सियादुलारी मऊ-मानिकपुर सीट से तीसरी बार विधायक चुनी गईं।
बुंदेलखंड की विधानसभा सीटों से पिछड़े और सामान्य वर्ग की महिलाओं को भी विधायक बनने का मौका मिला है। वर्ष 1977 में जेएनपी के टिकट पर सूर्यमुखी शर्मा झांसी सीट से चुनाव जीता और 2012 के चुनाव में भाजपा की उमा भारती चरखारी सीट और हमीरपुर सीट से भाजपा की ही साध्वी निरंजन ज्योति (अब दोनों केंद्रीय मंत्री) फतह हासिल किया।
वर्ष 2015 में चरखारी सीट में हुए उप चुनाव में सपा की उर्मिला राजपूत ने बाजी मारी। इस तरह 15 महिलाओं को यहां से विधानसभा पहुंचने का मौका मिला है।