जम्मू-कश्मीर की पहली बहुउद्देशीय उज्ज परियोजना का 90 फीसदी पानी प्रदेश में ही रहेगा। हाल ही में मंजूर की गई परियोजना की संशोधित डीपीआर में पाकिस्तान की ओर जाने वाले उज्ज के पानी को रोककर जम्मू-कश्मीर में ही इस्तेमाल करने का प्रावधान किया गया है।
पहले प्रस्ताव में पानी की आपूर्ति कठुआ और सांबा जिलों तक ही सीमित थी। शेष पानी रावी नदी में छोड़ा जाना था, जहां से ब्यास और सतलुज रिवर लिंक से होकर संबंधित राज्यों में पहुंचना था। संशोधित डीपीआर में बचत के पानी को जम्मू और उधमपुर के कुछ इलाकों तक पहुंचाने की योजना शामिल की गई है।
उज्ज परियोजना की डीपीआर के मुताबिक बैराज बनने के बाद दाईं और बाईं ओर की नहरों से एक बड़े इलाके की सिंचाई हो सकती है।
केंद्रीय जल आयोग और रावी-तवी इरिगेशन केनाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अभी तवी लिफ्ट इरिगेशन स्कीम से पानी को बाड़ी ब्राह्मणा तक पहुंचाया जाता है।
परियोजना से पानी मिलने पर तवी के पानी को अब उधमपुर की ओर भेज दिया जाएगा। इस तरह उधमपुर में मनवाल, किशनपुर व सटे कंडी इलाकों को विशेष रूप से सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।
परियोजना में क्रियान्वयन में देरी के चलते इसकी लागत बढ़ गई है। कठुआ, सांबा के साथ जम्मू और उधमपुर तक पानी पहुंचाने की योजना से भी लागत पर असर पड़ा है।
अनुमानित लागत में 40 फीसदी वृद्धि की गई है। पांच हजार करोड़ रुपये के बजाय अब परियोजना पर 9,167 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद अब जनसुनवाई और इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस के पड़ाव रह गए हैं। परियोजना चूंकि राष्ट्रीय है, ऐसे में इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस को बड़ी बाधा नहीं माना जा रहा है।
उधमपुर-कठुआ संसदीय क्षेत्र के सांसद और पीएमओ में मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहले उज्ज नदी का 60 से 70 फीसदी पानी पाकिस्तान चला जाता था।
लंबे विचार-विमर्श के बाद उज्ज परियोजना की नई डीपीआर को मंजूरी मिली है। इस ड्रीम प्रोजेक्ट में उज्ज नदी का 90 फीसदी पानी रोककर जम्मू-कश्मीर में इस्तेमाल किया जाएगा।
इसका लाभ कठुआ, उधमपुर, बिलावर आदि इलाकों को होगा। शेष दस फीसदी पानी पड़ोसी राज्य यदि चाहें तो वे केनाल बनाकर ले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों ने केनाल बना लिया तो पाकिस्तान जाने वाला 10 फीसदी पानी भी रुक जाएगा। संशोधित डीपीआर पर संतोष प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि इससे कठुआ जिले को अधिकतम पानी हासिल होगा और प्रोजेक्ट से पाकिस्तान को काफी सीमित पानी ही हासिल हो पाएगा। जल शक्ति मंत्रालय ने तीन दशक से अधर में लटके उज्ज मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है।