इस विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस का ट्रंप कार्ड होंगी। प्रचार के दौरान पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रहेगी। वह सिर्फ रोड शो और जनसभा तक सीमित नहीं रहेंगी बल्कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उनकी पदयात्र भी रखी जाएगी। इस दौरान वह आम जन से रूबरू भी होंगी।
दिल्ली में वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी अहम है। पार्टी ऐसी कोई कसर बाकी छोड़ना नहीं चाह रही, जिससे वह चूक जाए, इसीलिए हर मोर्चे पर इस बार पुख्ता रणनीति के साथ चला जा रहा है। पार्टी हर रोज ही किसी न किसी मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी एवं भाजपा पर हमला बोल रही है वहीं इस चुनाव में अपने सभी वरिष्ठ नेताओं पर भी दांव लगा रही है।
इसी कड़ी में पार्टी चुनाव प्रचार को भी धारदार बनाने के लिए जोरदार रणनीति बना रही है। प्रचार में शीला दीक्षित सरकार की उपलब्धियों को तो भुनाया ही जाएगा, पार्टी घोषणा पत्र की खास-खास बातों को भी जन-जन तक लेकर जाएगी। प्रचार को दमदार बनाने के लिए पार्टी सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और प्रियंका वाड्रा के कार्यक्रमों का भी पूरा शेड्यूल तैयार कर रही है। मनमोहन सिंह के कार्यक्रम सिख बहुल इलाकों पर फोकस होंगे जबकि दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से राहुल व सोनिया की चुनावी जनसभाएं, रैलियां और रोड शो रखे जाएंगे।
पार्टी इस बार गांधी परिवार में से प्रियंका वाड्रा को सर्वाधिक तवज्जो देते हुए चल रही है। रोड शो, जनसभाओं और रैलियों से इतर इनकी पदयात्र भी रखी जाएंगी। यह पदयात्र उन तमाम विधानसभा क्षेत्रों में होगी, जहां पार्टी इसका फायदा उठा सकेगी।
पदयात्रा का शेड्यूल कुछ इस तरह रहेगा ताकि प्रियंका चिर-परिचित अंदाज में कुछ बच्चों, बुजुर्गों, युवाओं और महिलाओं से मुलाकात भी कर सकें। प्रियंका स्वयं दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए हरसंभव योगदान देने का वायदा कर चुकी हैं। पिछले दिनों दिल्ली के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ बैठक में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें जहां कहीं भी चलने को कहा जाएगा, वह वहां प्रचार के लिए जाएंगी।
कीर्ति आजाद (अध्यक्ष, प्रचार अभियान समिति, दिल्ली कांग्रेस) का कहना है कि यूं तो गांधी परिवार सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करेंगे, लेकिन प्रियंका वाड्रा अबकी बार खास तौर पर सक्रिय रहेंगी। उनका प्रोग्राम चार्ट तैयार किया जा रहा है।
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव-2015 में कांग्रेस की बुरी गति हुई थी। कांग्रेस को शून्य सीट मिली थी, जबकि आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की लहर में 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा की तरह दिल्ली में भी चमत्कार हो सकता है।