लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस महाकुम्भ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिससे प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक वृद्धि होने की उम्मीद है। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में भारत अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘महाकुम्भ भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का परिचायक है। यह आयोजन देश और दुनिया के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं पर गर्व करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने का अवसर प्रदान करता है।”
‘महाकुंभ एक भव्य, दिव्य और डिजिटल आयोजन होगा’
सीएम योगी ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को प्रोत्साहित करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन भी प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें संतों के सानिध्य में इस आयोजन को सफल और सुविधाजनक बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं।
आदित्यनाथ ने कहा कि इस बार का महाकुम्भ एक भव्य, दिव्य और डिजिटल आयोजन होगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप, कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़े सुरक्षा तंत्र और स्मार्टफोन के माध्यम से शौचालयों की स्वच्छता का आकलन करने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालु जब प्रदेश में आते हैं, तो परिवहन, आवास, भोजन और अन्य सेवाओं पर खर्च करते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
‘महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया’
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2024 में काशी में 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किए, वहीं अयोध्या में जनवरी 2024 से सितंबर तक श्रद्धालुओं की संख्या 13 करोड़ 55 लाख से अधिक रही है। महाकुम्भ के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि गंगा और यमुना नदी में किसी भी प्रकार का गंदा पानी जाने से रोकने के लिए अत्याधुनिक एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और ‘बायो-रिमिडिएशन’ पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा है।
साथ ही 1.5 लाख से अधिक शौचालयों को इस तरह बनाया गया है कि वे पूरी तरह से स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल हों। महाकुम्भ को लेकर सरकार पर निशाना साधने वाले नेताओं को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये वे लोग हैं जो अपनी विरासत को भारत की विरासत के साथ जोड़ने की जगह विदेशी आक्रांताओं की विरासत के साथ जुड़ने पर गौरव की अनुभूति करते हैं और उसी का अनुसरण भी करते हैं।