सौभाग्य पंचमी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाई जाती है। सौभाग्य पंचमी मनुष्य के जीवन में सुख और समृद्धि की बढ़ोत्तरी करती है। सौभाग्य पंचमी के दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस पूजा से मनुष्य की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और घर-परिवार में सुख शांति आती है। इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा होती है। गणेशजी और शंकरजी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है व आपके व्यापार में तरक्की भी होती है। सौभाग्य पंचमी का त्योहार खुशहाल जीवन और मनुष्य की इच्छाओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा प्राप्त करने का एक शुभ अवसर होता है।
सौभाग्य पंचमी की पूजा शुभ-लाभ की कामना के साथ भगवान गणेश को याद करके की जाती है। कार्तिक शुक्ल पंचमी को सौभाग्य पंचमी व लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसे इच्छा पूर्ति का पर्व भी कहा जाता है। व्यापार में तरक्की व विस्तार के लिए इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है।
सौभाग्य पंचमी पर प्रातः काल स्नान कर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर व श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। भगवान शंकर को भस्म,बेलपत्र,धतूरा,भांग,सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भगवान शंकर को दुग्ध से निर्मित सफेद पकवानों व गणेशजी को मोदक का भोग लगाना चाहिए।
सौभाग्य पंचमी पर व्यापारी नए कार्य की शुरुआत करते हैं। घरों की आकर्षक रोशनी से सजावट की जाती है व रात में आतिशबाजी की जाती है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण बाजारों में खरीदारी भी की जाती है। सौभाग्य पंचमी मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि की बढ़ोत्तरी करती है। इस दिन गणेशजी की विशेष पूजा की जाती है, जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। नौकरी,व्यापार व कार्यक्षेत्र में तरक्की होती है और समृद्धि मिलती है। गणेशजी के साथ भगवान शंकर की पूजा शुभ फलदायी होती है। सुख-समृद्धि और मंगल-कामना को लेकर किया जाने वाला सौभाग्य पंचमी का वृत सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है। इस दिन भगवान की पूजा-अर्चना के साथ वृत भी रखा जाता है और कथा भी सुनी जाती है।