नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से कहा कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के अपने आरोपों के समर्थन में वह ठोस सबूत पेश करे। न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर तथा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने एनजीओ कॉमन काज के वकील प्रशांत भूषण से कहा, “आप बेहद पुख्ता व स्पष्ट सबूत पेश करें।” उन्होंने स्मरण कराया कि हम बेहद उच्च पद पर आसीन पदाधिकारी के खिलाफ मामला उठाने जा रहे हैं।
पीठ ने कहा, “हम आपको दिक्कत से अवगत कराएंगे। हम बेहद उच्च पद पर आसीन पदाधिकारी के खिलाफ मामला उठाने जा रहे हैं। बेहद उच्च पद पर काम करने वाले किसी पदाधिकारी के खिलाफ अगर आप कोई आक्षेप लगाते हैं, तो उनके लिए अपने पद पर काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है।”
पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए मुल्तवी कर दी।
भूषण ने अपने आरोपों के समर्थन में दस्तावेज दाखिल करने के लिए और अधिक समय की मांग की थी और इस बात पर आश्चर्य जताया कि उन्हें और समय प्रदान करने में क्या परेशानी है।
दो कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा अपने कारोबार के हित में कथित तौर पर कई राजनीतिज्ञों व सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों की कॉमन काज ने एसआईटी से जांच करवाने की मांग की थी।
न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग करते हुए एनजीओ ने मामले को ‘बेहद गंभीर’ करार दिया और कहा कि आयकर विभाग तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छापेमारी (दो कॉरपोरेट कंपनियों में) के दौरान कार्रवाई करने योग्य सबूत इकट्ठे किए गए हैं, जो महत्वपूर्ण सरकारी पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से संबंधित हैं।
पहला मामला एक कॉरपोरेट कंपनी से संबंधित है, जिसमें सीबीआई ने 15 अक्टूबर, 2013 को उस कंपनी में छापेमारी की थी, जबकि दूसरा मामला एक दूसरी कॉरपोरेट कंपनी से संबंधित है, जिसमें 22 नवंबर, 2014 को आयकर विभाग ने उस कंपनी में छापेमारी की थी और इस दौरान दोनों कंपनियों से कई दस्तावेज जब्त किए थे।
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