यहां से शुरू हुई मांग में सिन्दूर लगाने की प्रथा, जानकर आप हो जायेगें पागल…

हिन्दु धर्म में सिंदूर को स्त्रियों के सुहाग की निशानी मानी जाती है. हर शादीशुदा महिला अपनी मांग में सिंदूर भर्ती है. यहां तक कि सोलह श्रृंगार में भी सिंदूर का महत्‍व सबसे ज्‍यादा होता है लेकिन मांग में सिंदूर भरने की रीति की शुरुआत कैसे हुई, यह कोई नहीं जानता है. अगर आप भी जानना चाहते हैं तो आज हम इसको ही बताने जा रहे हैं किस तरह इस मांग भरने की शुरुआत हुई.

दरअसल, पुराने समय से माना जाता है कि भगवान ने बड़ी लगन के साथ दो सूरतों में प्राण फूंके थे. एक था वीरा जो कि वीर था और दूसरी थी धीरा जिसमें धीरता बहुत थी और जो दिखने में सुंदर और बहादुर भी थे. इन दोनों का विवाह हुआ और ये दोनों शिकार पर जाया करते थे. इन दोनों की खुशबू पूरे संसार में फैल गई थी और इनसे दुनिया सुंदर दिखने लगी थी. एक बार दोनों शिकार पर निकले लेकिन पूरा दिन उन्‍हें कुछ नहीं मिला. थकान के मारे दोनों एक पहाड़ी पर सो गए. उन्‍होंने कंदमूल खाकर रात वहीं गुज़ारने का फैसला किया. प्‍यास लगने पर वीरा पास के ही जलाशय से पानी लेने चला गया और धीरा वहीं अकेली बैठी रही.

उस समय रास्‍ते में वीरा पर कालिया ने हमला कर दिया. वीरा घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा और कालिया खुशी से ज़ोर-जोर से हंसने लगा. हंसी की आवाज़ सुनकर जब धीरा वहां आई तो उसने कालिया पर अचानक से हमला कर दिया. इतने में वीरा को भी होश आ गया था. अपनी पत्‍नी की इस वीरता से खुश होकर वीरा ने अपने खून से धीरा की मांग भर दी. किवदंती है कि इसी समय से मांग भरने की प्रथा शुरु हुई जो आज तक जारी है. यानी जिसने पति की जान बचाई उसी की याद में ये सिंदूर लगाने की प्रथा शुरू हुई.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com