आज भी स्त्री को चार दीवारी में रखा जाता है। समाज में स्त्री पुरुष के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है। महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है। हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है।
औरत की सम्बन्ध बनाने की चाह गंदी क्यों:
हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म आदि पर बात करना वर्जित है। सभ्य समाज में ऐसी गंदी बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है। मां बहन की गालियां खुलेआम दे सकते हैं और वे भी जी भर कर।
सहवास का चुनाव सिर्फ पुरुषों का:
सहवास में समय का चुनाव केवल पुरुष ही करेगा और चाह भी वही जाहिर करेगा तथा चरमोत्कर्ष भी वही प्राप्त करेगा। सहचरी का कुछ हो या नहीं वह इस बारे में कुछ बोल भी नहीं सकती। यह पुरुषवादी महिलाओं के पालन पोषण का नतीजा है कि लड़कियां पसंद को जाहिर नहीं कर पातीं और मानसिक तनाव के गर्त में चली जाती हैं।
नारी सिर्फ भोगने के लिए:
स्त्रियों को शुरू से ही केवल पुरुष के लिए तैयार किया जाता है कि शादी के दिन सुहागरात में खुद को अपने पति के सामने परोस देना और जैसा वह कहे वैसा ही करना।