साइबर पुलिस मप्र के लिए अच्छी खबर है कि अमेरिका की जांच एजेंसी FBI ने फर्जी कॉल सेंटर मामले में मदद के लिए न सिर्फ हामी भर दी है, बल्कि जांच के साक्ष्य जुटाना भी शुरू कर दिया है। बता दें कि इस गिरोह ने पिपलानी के इंद्रपुरी इलाके में अवैध कॉल सेंटर खोला था और मप्र व अमेरिका के करीब पांच हजार लोगों के साथ लॉ डिपार्टमेंट का अफसर बनकर 20 लाख रुपए की धोखाधड़ी की थी। साइबर सेल इस मामले में आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर पुलिस और उच्च तकनीकी अपराध थाना द्वारा दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से संपर्क किया था। इसके बाद एक टीम को दिल्ली बुलाया गया था। साइबर सेल से उच्च तकनीकी अपराध थाने के इंस्पेक्टर अभिषेक सोनेकर और उपनिरीक्षक अनुज समाधिया 12 अक्टूबर को दूतावास गए थे। उन्होंने कॉल सेंटर से जुड़ी छोटी से लेकर बड़ी जानकारी FBI से साझा की थी। इसके बाद अब FBI ने अमेरिका से संबंधित मामलों पर जांच करने की सहमति दे दी है।
एक्शन में आई एफबीआई
साइबर पुलिस से जुड़ने के बाद FBI ने जांच का होमवर्क भी शुरू कर दिया है। उसने सबसे पहले उन लोगों की सूची बनाकर संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है, जिनसे कॉल सेंटर के आरोपित ने बातचीत कर ठगी की थी। FBI आरोपितों के खातों की डिटेल निकलने में जुट गई है। जिसमें ठगी करने के बाद राशि पहुंची। आरोपितों ने राशि किस माध्यम से प्राप्त की थी, उसकी जांच की जा रही है।
यह है पूरा मामला
बीते सितंबर में सायबर पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया था। आरोपित लॉ डिपार्टमेंट के अफसर बनकर अमेरिका के फायनेंस डिफाल्टर नागरिकों को कानूनी कार्रवाई का भय दिखाते थे। साथ ही समझौते के नाम विदेशी मुद्रा वसूलते थे। कॉल सेंटर के लिए अपराधियों ने 16 माह पहले इंद्रपुरी पिपलानी में एक फ्लैट किराए पर लिया था। गिरोह का सरगना अहमदाबाद निवासी 22 वर्षीय अभिषेक पाठक सिर्फ 12 वीं तक पढ़ा है। वह झांसे में फंसे अमेरिकी नागरिकों से फोन पर धराप्रवाह अंग्रेजी में बात करता था। उसने सेमरा में रहने वाले 29 वर्षीय रामपालसिंह के साथ मिलकर चार अन्य युवकों को कॉल सेंटर में नौकरी पर रखा था। आरोपितों ने 12 लाख अमेरिकी नागरिकों का डाटा खरीद रखा है। अभी तक वह करीब 5 हजार लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं।