इन दिनों जोरों से चल रहे #MeToo अभियान का असर क्रिकेट पर भी दिखता नजर आ रहा है। बता दें कि न्यूजीलैंड क्रिकेट प्लेयर्स एसोसिएशन (NZCPA) ने खा पहल की है। उन्होंने क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए सेक्स संबंधों में सहमति के मुद्दे पर गाइडलाइंस जारी की हैं।
यह गाइडलाइंस क्रिकेटर्स के लिए जारी हैंडबुक में जोड़ी गई हैं। चर्चित क्रिकेट वेबसाइस ईएसपीएन के अनुसार, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन प्रताड़ना के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखा है और यह पहल की है। मालूम हो कि इन गाइडलाइंस में बताया गया है कि खिलाड़ियों को महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और किस तरह से पेश आना चाहिए, इस बारे में उन्होंने पूरी जानकारी दी है।
गाइडलाइंस के अनुसार, जीवन में हर वक्त सही निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। जब बात शारीरिक संबंधों और इसको लेकर सहमति की हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। कैसी भी स्थिति हो, सहमति लेना बेहद महत्वपूर्ण है। गाइडलाइंस में साफ शब्दों में लिखा गया है कि यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सही सहमति एक तरह से सही तरीके से संवाद से भी जुड़ी है। यदि आप किसी के साथ रिलेशनशिप चाहते हैं तो हर बार आपको उसकी सहमति हासिल करने की जरूरत है।
दरअसल #MeToo अभियान इस वक्त दुनियाभर में छाया हुआ है, इसमें महिलाएं अपने ऊपर हुए यौन हमले या इस तरह की कोशिश के बारे में बता रही हैं। भारत में भी इसका असर देखा जा रहा है। साथ ही इसी के तहत भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने भी मानसिक प्रताड़ना और चयन में भेदभाव की शिकायत का मुद्दा उठाया है।
ज्वाला ने कहा है कि मैंने जो झेला वह मौजूदा मी टू खुलासों के अंतर्गत आता है। बता दें कि महिला डबल्स में विश्व चैंपियनशिप की पूर्व कांस्य पदक विजेता ज्वाला ने कई ट्वीट किए लेकिन आरोपी का नाम नहीं लिखा औन ही यौन उत्पीड़न के किसी मामले का जिक्र किया। कॉमनवेल्थ गेम्स की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता ने चयन में उन्हें निशाना बनाए जाने के आरोपों को उजागर किया है। ज्वाला ने कहा कि शायद मुझे भी उस मानसिक प्रताड़ना की बात करनी चाहिए जिससे मैं गुजरी।