आज के युग में बिना धन के सब कुछ बेकार है। जब आप के पास धन नहीं होगा तो अपने भी पराये जैसा व्यवहार करने लगते है, जब किसी का सहारा काम ना आये तो आप श्री महालक्ष्मी जी की पूजा आराधना करे। शुभ दिन या शुभ योग में लक्ष्मी जी का आवाहन करे। कई लोग रोजाना पूजा पाठ करते है लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है। जब लाख प्रयास करने के बाद भी घर में लक्ष्मी जी का स्थाई निवास ना हो सके तो ये निम्नलिखित उपाय करे। इसके लिए हमारे ऋषि मुनियों निम्न स्थान बताएं है-
सबसे पहले अपने घर में पवित्रता के साथ किया गया कर्म शुभ फल देते हैं
१: गोशाला में किया गया कर्म घर से भी दस गुना फलदायी होता है।
२: किसी पवित्र सरोवर के किनारे किया देव कर्म गोशाला से दस गुना पुण्य देता है।
३: तुलसी, बिल्वपत्र या पीपल वृक्ष की जड़ के समीप देव कर्म जलाशय से दस गुना अधिक शुभ फल देते हैं।
४: इन वृक्षों के तले किए देव कर्म से अधिक फल मंदिर में किए देवकर्म देते हैं।
५: मंदिर से अधिक पुण्यदायी तीर्थ भूमि में किए देवकर्म होते हैं।
६: तीर्थ भूमि से भी अधिक शुभ किसी नदी के तट पर किए देवकर्म देते हैं।
७: नदियों में भी सप्तगंगा तीर्थ यानी सात नदियों गंगा, गोदावरी, कावेरी, ताम्रपर्णी, सिंधु, सरयू और नर्मदा के किनारे किया देव कर्म अधिक शुभ फलदायी हैं।
८: इनसे अधिक समुद्र के किनारे किया गया देवकर्म पुण्यदायी है।
९: वहीं सबसे ज्यादा शुभ और पुण्यदायी फल पवर्त शिखर पर किए देवकर्मों का मिलता है।
आप अपनी सुविधा अनुसार शुभ जगह चुन सकते है और वहां पर महालक्ष्मी मंत्र का ११००० जाप कमलगट्टे की माला से करे इसके उपरांत दशांश हवन करें।
१- ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः।
२- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम: …
३- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।
४- श्री सूक्त का पाठ करे। महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त सरल, सहज एवं तुंरत प्रभावकारी उपाय है। श्री सूक्त का पाठ जो व्यक्ति नित्य करता है उसके ऊपर महालक्ष्मी की कृपा स्थाई रूप से बनी रहती है इसमे कोई संदेह नही है।