नौकरशाही को प्रभावी बनाने और उसमें नए तौर-तरीकों को समाहित करने के इरादे से संयुक्त सचिव पद के स्तर पर निजी क्षेत्र के दक्ष पेशेवर लोगों को नियुक्त करने का फैसला एक नई पहल है। एक अरसे से यह महसूस किया जा रहा था कि नौकरशाही में ऐसे प्रतिभाशाली पेशेवर लोगों का प्रवेश होना चाहिए जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योग्यता के साथ अनुभव से भी लैस हों, लेकिन किसी कारणवश इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा सका। देर से ही सही, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने विभिन्न् क्षेत्रों के मेधावी एवं अनुभवी पेशेवर लोगों के आवेदन मांगकर एक नई शुरुआत की है। इसका निश्चित ही स्वागत किया जाना चाहिए। फिलहाल दस पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन देने वालों के लिए यह आवश्यक है कि वे निजी क्षेत्र या किसी सार्वजनिक उपक्रम अथवा शैक्षिक संस्थान में पेशेवर के तौर पर कार्यरत हों और कम से कम 15 वर्ष का अनुभव रखते हों। पात्रता की ऐसी शर्तों के चलते यह उम्मीद की जाती है कि सरकार वास्तव में मेधावी एवं अपने काम में दक्ष लोगों को खुद से जोड़ने में सक्षम होगी। उम्मीद यह भी की जाती है कि वे पेशेवर इस अवसर का लाभ उठाने के लिए आगे आएंगे, जिनके पास अनुभव के साथ-साथ विशेष योग्यता भी है और जो देश एवं समाज के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाना चाहते हैं। ऐसे लोगों की भर्ती प्रक्रिया को भले ही पार्श्व प्रवेश की संज्ञा दी जा रही हो, लेकिन यह एक तरह से सीधी भर्ती ही होगी। इस पर हैरत नहीं कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के तौर पर पेशेवर लोगों की भर्ती की इस पहल का यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि सरकार तय प्रक्रिया का उल्लंघन कर रही है और वह पिछले दरवाजे से पसंदीदा लोगों को नौकरशाही में प्रवेश कराने का इरादा रखती है। यह स्पष्ट ही है कि ऐसे आलोचक इस तथ्य की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं कि सरकार केवल पेशेवर एवं अनुभवी लोगों को ही संयुक्त सचिव स्तर पर नियुक्त करने जा रही है। यह सही है कि ये वे पेशेवर होंगे, जिन्होंने न तो सिविल सेवा परीक्षा दी होगी और न ही इस परीक्षा के बाद लिया जाने वाला प्रशिक्षण प्राप्त किया होगा, लेकिन सिर्फ वही मेधावी नहीं होते, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की होती है। देश में तमाम ऐसे पेशेवर हैं जिन्होंने आईएएस अधिकारियों से कहीं बेहतर काम कर दिखाया है। नि:संदेह आईएएस अधिकारियों की अपनी अहमियत है, किंतु यह कहना ठीक नहीं कि केवल वही देश की बेहतर तरीके से सेवा कर सकते हैं।

संपादकीय, बेहतर प्रशासन की खातिर

नौकरशाही को प्रभावी बनाने और उसमें नए तौर-तरीकों को समाहित करने के इरादे से संयुक्त सचिव पद के स्तर पर निजी क्षेत्र के दक्ष पेशेवर लोगों को नियुक्त करने का फैसला एक नई पहल है।नौकरशाही को प्रभावी बनाने और उसमें नए तौर-तरीकों को समाहित करने के इरादे से संयुक्त सचिव पद के स्तर पर निजी क्षेत्र के दक्ष पेशेवर लोगों को नियुक्त करने का फैसला एक नई पहल है। एक अरसे से यह महसूस किया जा रहा था कि नौकरशाही में ऐसे प्रतिभाशाली पेशेवर लोगों का प्रवेश होना चाहिए जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योग्यता के साथ अनुभव से भी लैस हों, लेकिन किसी कारणवश इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा सका। देर से ही सही, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने विभिन्न् क्षेत्रों के मेधावी एवं अनुभवी पेशेवर लोगों के आवेदन मांगकर एक नई शुरुआत की है। इसका निश्चित ही स्वागत किया जाना चाहिए। फिलहाल दस पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन देने वालों के लिए यह आवश्यक है कि वे निजी क्षेत्र या किसी सार्वजनिक उपक्रम अथवा शैक्षिक संस्थान में पेशेवर के तौर पर कार्यरत हों और कम से कम 15 वर्ष का अनुभव रखते हों। पात्रता की ऐसी शर्तों के चलते यह उम्मीद की जाती है कि सरकार वास्तव में मेधावी एवं अपने काम में दक्ष लोगों को खुद से जोड़ने में सक्षम होगी। उम्मीद यह भी की जाती है कि वे पेशेवर इस अवसर का लाभ उठाने के लिए आगे आएंगे, जिनके पास अनुभव के साथ-साथ विशेष योग्यता भी है और जो देश एवं समाज के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाना चाहते हैं। ऐसे लोगों की भर्ती प्रक्रिया को भले ही पार्श्व प्रवेश की संज्ञा दी जा रही हो, लेकिन यह एक तरह से सीधी भर्ती ही होगी।     इस पर हैरत नहीं कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के तौर पर पेशेवर लोगों की भर्ती की इस पहल का यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि सरकार तय प्रक्रिया का उल्लंघन कर रही है और वह पिछले दरवाजे से पसंदीदा लोगों को नौकरशाही में प्रवेश कराने का इरादा रखती है। यह स्पष्ट ही है कि ऐसे आलोचक इस तथ्य की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं कि सरकार केवल पेशेवर एवं अनुभवी लोगों को ही संयुक्त सचिव स्तर पर नियुक्त करने जा रही है। यह सही है कि ये वे पेशेवर होंगे, जिन्होंने न तो सिविल सेवा परीक्षा दी होगी और न ही इस परीक्षा के बाद लिया जाने वाला प्रशिक्षण प्राप्त किया होगा, लेकिन सिर्फ वही मेधावी नहीं होते, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की होती है। देश में तमाम ऐसे पेशेवर हैं जिन्होंने आईएएस अधिकारियों से कहीं बेहतर काम कर दिखाया है। नि:संदेह आईएएस अधिकारियों की अपनी अहमियत है, किंतु यह कहना ठीक नहीं कि केवल वही देश की बेहतर तरीके से सेवा कर सकते हैं।

एक अरसे से यह महसूस किया जा रहा था कि नौकरशाही में ऐसे प्रतिभाशाली पेशेवर लोगों का प्रवेश होना चाहिए जो अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योग्यता के साथ अनुभव से भी लैस हों, लेकिन किसी कारणवश इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा सका। देर से ही सही, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने विभिन्न् क्षेत्रों के मेधावी एवं अनुभवी पेशेवर लोगों के आवेदन मांगकर एक नई शुरुआत की है। इसका निश्चित ही स्वागत किया जाना चाहिए। फिलहाल दस पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं।

आवेदन देने वालों के लिए यह आवश्यक है कि वे निजी क्षेत्र या किसी सार्वजनिक उपक्रम अथवा शैक्षिक संस्थान में पेशेवर के तौर पर कार्यरत हों और कम से कम 15 वर्ष का अनुभव रखते हों। पात्रता की ऐसी शर्तों के चलते यह उम्मीद की जाती है कि सरकार वास्तव में मेधावी एवं अपने काम में दक्ष लोगों को खुद से जोड़ने में सक्षम होगी। उम्मीद यह भी की जाती है कि वे पेशेवर इस अवसर का लाभ उठाने के लिए आगे आएंगे, जिनके पास अनुभव के साथ-साथ विशेष योग्यता भी है और जो देश एवं समाज के लिए वास्तव में कुछ कर दिखाना चाहते हैं। ऐसे लोगों की भर्ती प्रक्रिया को भले ही पार्श्व प्रवेश की संज्ञा दी जा रही हो, लेकिन यह एक तरह से सीधी भर्ती ही होगी। 

इस पर हैरत नहीं कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के तौर पर पेशेवर लोगों की भर्ती की इस पहल का यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि सरकार तय प्रक्रिया का उल्लंघन कर रही है और वह पिछले दरवाजे से पसंदीदा लोगों को नौकरशाही में प्रवेश कराने का इरादा रखती है। यह स्पष्ट ही है कि ऐसे आलोचक इस तथ्य की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं कि सरकार केवल पेशेवर एवं अनुभवी लोगों को ही संयुक्त सचिव स्तर पर नियुक्त करने जा रही है।

यह सही है कि ये वे पेशेवर होंगे, जिन्होंने न तो सिविल सेवा परीक्षा दी होगी और न ही इस परीक्षा के बाद लिया जाने वाला प्रशिक्षण प्राप्त किया होगा, लेकिन सिर्फ वही मेधावी नहीं होते, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की होती है। देश में तमाम ऐसे पेशेवर हैं जिन्होंने आईएएस अधिकारियों से कहीं बेहतर काम कर दिखाया है। नि:संदेह आईएएस अधिकारियों की अपनी अहमियत है, किंतु यह कहना ठीक नहीं कि केवल वही देश की बेहतर तरीके से सेवा कर सकते हैं।

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