देश के सभी राजनीतिक दल किसी भी कीमत पर भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ रोकने के अभियान में लगे हैं। प्रदेश के शामली जिले के कैराना में 28 मई को होने वाले लोकसभा उप चुनाव के मतदान से पहले भाजपा प्रत्याशी मृंगाका सिंह के खिलाफ पांच दल लगे हैं। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन सभी के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद भाजपा के लिए कैराना अग्निपरीक्षा जैसा है।
भारतीय जनता पार्टी के कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ा दल होने के बाद भी विपक्षी दलों ने उसको सरकार बनाने से रोकने में सफलता प्राप्त की। इसी के बाद से यह लोग और उत्साहित हैं। कैराना में भाजपा के प्रत्याशी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोकदल के साथ अब आम आदमी पार्टी भी है।
पांच दलों के एक साथ आने से अब यहां का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। अब तो कैराना उपचुनाव को जीतना न सिर्फ भाजपा के लिए अहम है, बल्कि उसके लिए बड़ी चुनौती भी है। कैराना लोकसभा उपचुनाव में भाजपा एक तरफ और तो उसे टक्कर देने के लिए सारी पार्टियां संयुक्त रूप से दूसरी ओर है। भाजपा को छोड़ दें तो, कैराना में विपक्षी पार्टियों का याराना बढ़ रहा है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने भी यहां पर सपा-बसपा-रालोद समर्थित उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान कर दिया है। इससे पहले ही कांग्रेस ने भी ऐलान किया था कि वह अपने प्रत्याशी को कैराना के मैदान में नहीं उतारेगी और सपा-रालोद-बसपा समर्थित उम्मीदवार को ही अपना समर्थन देगी। कैराना के चुनावी मैदान में अब तो भाजपा चारों तरफ से घिर चुकी है। सभी पार्टियों ने मिलकर भाजपा को हराने के लिए चक्रव्यूह रचा है।
कैराना लोकसभा उपचुनाव में संयुक्त विपक्ष के पूर्ण समर्थन से राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी तबस्सुम बेगम मैदान में हैं। कैराना उपचुनाव में अब भाजपा के मुकाबले सपा-बसपा, आप और रालोद का गठबंधन है। भाजपा का अब मुकाबला किसी एक पार्टी से नहीं है, बल्कि परोक्ष रूप से पांच-पांच पार्टियों से है।
भारतीय जनता पार्टी ने कैराना से स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने यहां से समाजवादी पार्टी से कैराना की पूर्व सांसद तबस्सुम बेगम को पार्टी में शामिल कर उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा के सांसद हुकूम सिंह के निधन के बाद कैराना की सीट खाली हो गई थी।
कैराना लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख वोटर हैं। जिसमें मुस्लिमों की संख्या पांच लाख और जाट की संख्या दो लाख है। यहां पर दलितों के साथ ही ओबीसी की संख्या दो लाख है। ओबीसी में गूजर, कश्यप और प्रजापति शामिल हैं।
भाजपा को पता है कि कैराना में यह लड़ाई आसान नहीं है। इसी कारण दो दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां भाजपा उम्मीदवार मृगंका सिंह के लिए अपनी पहली चुनावी रैली की। इससे पहले योगी आदित्यनाथ के चुनाव क्षेत्र गोरखपुर व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के फूलपुर में भाजपा की करारी हार के बाद कैराना का चुनाव भाजपा के लिए बहुत ही अहम हो गया है। अब तो यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद यहां चुनावी रैली की और कमान को संभाल लिया है।
यहां पर संयुक्त विपक्ष की योजना लोकदल के पारंपरिक जाट वोटों के साथ ही मुस्लिम वोटों को अपने साथ लेने की है। दूसरी पार्टियों के वोट बैंक के सहारे विपक्ष तब्बसुम हसन की जीत की उम्मीद कर रहा है। इस बीच लोकदल ने अपना चुनावी नारा बदल लिया है। अब जय जवान जय किसान की जगह..वो कह रहे हैं..जिन्ना नहीं गन्ना चलेगा। इनके नारा में यह बदलाव अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के फोटो को लेकर हाल के विवाद के बाद ये बदलाव आया है।
रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि कैराना उपचुनाव में जिन्ना नहीं गन्ने का मुद्दा चलेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में हार करीब देखकर भाजपा बौखला गयी है। यही वजह है प्रदेश के मुख्यमंत्री को मैदान में उतरकर संघर्ष करना पड़ रहा है। जयंत चौधरी ने कहा कि बागपत के मवींकला में 27 मई को होने वाली पीएम की रैली अनैतिक है। भाजपा चाहे जो हथकंडा अपनाए चुनाव में उसे सफलता नहीं मिलेगी। चुनाव में जिन्ना पर गन्ना भारी पड़ेगा। जात-पात के नाम पर वोट की राजनीति अब नहीं चलने दी जाएगी। उन्होंने मोदी पर भी निशाना साधा। जयंत चौधरी ने कहा कि धार्मिक आधार पर समाज का बंटवारा किया जा रहा है। चौधरी ने गोहरपुर, नंगली, तलवा माजरा, खेडी बैरागी, फतेहपुर, हाथी करौंदा, खानपुर, बुटराडा, कासोपुर, सौंटा, बंती खेडा आदि गांवों का दौरा किया।