कठुआ कांड के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा फेरबदल हुआ है. निर्मल सिंह की उप मुख्यमंत्री पद से छुट्टी हो गई है, उनकी जगह कविंदर गुप्ता आज डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे.
सूत्रों के मुताबकि, निर्मल सिंह को विधानसभा स्पीकर बनाया जाएगा. कविंदर गुप्ता ने अपनी नई जिम्मेदारी की जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर की अवाम के लिए काम करेंगे और रसाना के पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे.
कौन हैं कविंदर गुप्ता
कविंदर गुप्ता तीन सालों तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर रहे हैं. साथ ही जम्मू के मेयर भी रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने गांधी नगर विधानसभा सीट से चुनाव जीता था और वह पहली बार विधायक बने थे.
इन चेहरों को मिल सकती है जगह
महबूबा मुफ्ती कैबिनेट में बीजेपी कोटे से मौजूद कई चेहरों की छुट्टी हो सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को मौका मिल सकता है. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि कठुआ से विधायक राजीव जसरोटिया, सांबा से विधायक डीके मान्याल, डोडा से विधायक शक्ति परिहार और नौशेरा से विधायक रविंद्र रैना कैबिनेट का हिस्सा हो सकते हैं. ये चारों नेता पीएमओ में मंत्री और स्थानीय नेता जितेंद्र सिंह कैंप के बताए जाते हैं.
इनके अलावा मोहम्मद खलील, सतपाल शर्मा, मोहम्मद अशरफ मीर और सुनील कुमार शर्मा को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
लाल सिंह नहीं होंगे शपथ-ग्रहण में शामिल
कठुआ कांड के आरोपियों के समर्थन का आरोप लगने के बाद मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले विधायक लाल सिंह आज होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत नहीं करेंगे. वह कठुआ में एक रैली करेंगे और रसाना कांड की सीबीआई जांच की मांग करेंगे.
पीडीपी कैंप से इन्हें मिलेगी जगह
पीडीपी कोटे से मोहम्मद अशरफ मीर और मोहम्मद खलील को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. अशरफ मीर सोनवर और खलील पुलवामा से विधायक हैं. हाल ही में पार्टी ने वित्त मंत्री हसीब द्राबु को कैबिनेट से बाहर किया था, जिसके बाद पीडीपी कोटे से दो मंत्रिपद रिक्त हैं. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री समेत कुल 25 मंत्री हो सकते हैं. समझौते के तहत पीडीपी के 14 और बीजेपी के 11 मंत्री हो सकते हैं.
डैमेज कंट्रोल की कवायद
बताया जा रहा है कि कैबिनेट में फेरबदल कठुआ रेप और मर्डर कांड के बाद डैमेज कंट्रोल के तहत किया गया है. ये भी कहा जा रहा है कि जम्मू की जनता बीजेपी मंत्रियों से खुश नहीं है. दरअसल, कठुआ कांड की सीबीआई जांच की मांग बड़े पैमाने पर उठाई जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है. कहा जा रहा है कि महबूबा मुफ्ती के इस कदम का बीजेपी की तरफ से विरोध न करने पर जम्मू की जनता बीजेपी नेताओं से खफा है.