देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश में निकायों के सीमा विस्तार को लेकर कोर्ट के आदेश से झटका खाई सरकार नए सिरे से इसकी कवायद पर जुट गई है। शुक्रवार दोपहर बाद ही इस पर कसरत शुरू हो गई। अब चर्चा यह भी है कि यदि सुनवाई में समय अधिक लगता है तो सरकार राज्य निर्वाचन आयोग से दो चरणों में चुनाव कराने का अनुरोध कर सकती है।
प्रदेश में निकाय चुनाव अप्रैल में प्रस्तावित हैं। इसके लिए अधिकांश निकायों में आरक्षण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा चुका है तो कुछ स्थानों पर यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शासन की मंशा हाई कोर्ट के फैसले के बाद निकायों का आरक्षण जारी करने की थी। अब कोर्ट ने सरकार को नए सिरे से 46 निकायों के सीमा विस्तार पर फिर से आपत्तियां आमंत्रित करने को कहा है। इससे चुनावों को लेकर समीकरण बदल सकते हैं।
दरअसल, प्रदेश में कुल 92 नगर निकाय हैं। इनमें से 46 का सीमा विस्तार किया गया और शेष 46 की स्थिति पर बहुत अधिक परिवर्तन नहीं हुआ है। इनमें से गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ में चुनाव नहीं होते हैं। भतरौंजखान नगर पालिका के चुनावों पर कोर्ट की रोक हैं। ऐसे में शेष 42 ऐसे नगर निकाय हैं जिनमें कोई विवाद नहीं है।
यदि सुनवाई में अधिक वक्त लगता है तो फिर सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग से अविवादित 42 नगर निकायों में निर्धारित अवधि में और शेष 46 में आपत्तियों के निस्तारण के बाद चुनाव का अनुरोध कर सकती है। इससे प्रदेश में दो चरणों में निकाय चुनावों की संभावना बढ़ रही है।
नए नगर निकायों पर नहीं कोई खास असर
सरकार ने कुछ नगर पालिकाओं को निगम तो कुछ नगर पंचायतों को पालिका का दर्जा दिया है। सीमा विस्तार रद होने से इन्हें लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इन सबके बीच शहरी विकास निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि इससे नए नगर निकायों की स्थिति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। अपर निदेशक शहरी विकास यूएस राणा का कहना है कि नगर निकायों के विस्तार पर आपत्तियों की सुनवाई होनी है। इससे नए निकायों की स्थिति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।