देहरादून: प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के 422 मुहल्लों और 1122 गांवों में गर्मियों में पेयजल संकट गहरा सकता है। उत्तराखंड जल संस्थान की मानें तो इन क्षेत्रों को जलापूर्ति करने वाली 633 योजनाओं के जलस्रोत या तो सूख सकते हैं या फिर इनमें पानी कम हो सकता है। हालात से निबटने के लिए जल संस्थान ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इस कड़ी में इन समेत अन्य क्षेत्रों को पेयजल किल्लत से राहत देने के लिए टैंकरों और नलकूपों पर जेनरेटरों की व्यवस्था को टेंडर कर दिए हैं। यही नहीं, संस्थान ने करीब 14 करोड़ का कंटीजेंसी प्लान भी तैयार कर शासन को भेज दिया है। पिछले साल इस मद में 3.30 करोड़ की राशि खर्च हुई थी। सूबे में पारे की उछाल के साथ ही जल संस्थान के अधिकारियों के माथों पर अभी से पसीना छलकने लगा है।
वजह ये कि गर्मियों में मैदानी क्षेत्रों से लेकर पर्वतीय इलाकों में पेयजल योजनाओं के जलस्रोतों के सूखने अथवा इनमें पानी कम होने से पेयजल संकट गहराने लगता है। संस्थान ने सर्वे कराया तो बात सामने आई कि 633 पेयजल योजनाएं ऐसी हैं, जिनसे जुड़े 1544 इलाकों में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। यही नहीं, नलकूप आधारित पेयजल योजनाओं में बिजली की आंखमिचौनी दिक्कतें खड़ी कर सकती है।
ऐसे में गर्मियों में संभावित पेयजल संकट से निबटने के लिए जल संस्थान ने कवायद प्रारंभ कर दी है। संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके गुप्ता के अनुसार इस कड़ी में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत तत्काल राहत देने के लिए टैंकर ही मुख्य जरिया हैं। इसके लिए टेंडर कर दिए गए हैं। साथ ही नलकूप आधारित योजनाओं में बिजली की आपूर्ति परेशानी का सबब न बने, इनमें जेनरेटरों की व्यवस्था को भी टेंडर कर दिए गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में दिक्कत नहीं आएगी।
राज्य में टैंकरों से जलापूर्ति
वर्ष——————–संख्या——लाभान्वित क्षेत्र
2015-16————-142———–324
2016-17————-259———–573
2017-18————-155———–338