इस्लामाबाद। चीन 60 अरब डॉलर की अपनी परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारा (सीपीईसी) की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित है. यही वजह है कि पांच सालों से अधिक समय से बलूच लड़ाकों से चुपचाप बातचीत कर रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है. अखबार फाइनेंसियल टाइम्स ने तीन अधिकारियों के हवाले से कहा कि चीन दक्षिण-पश्चिमी प्रांत में लड़ाकों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में था. सीपीईसी की अधिकांश महत्वपूर्ण परियोजनाएं इसी प्रांत में हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान की राजनीति में हस्तक्षेप के चीन के इरादे से भारत चिंतित है. नेपाल, म्यामां और श्रीलंका समेत कई पड़ोसी देशों में चीन के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव से भारत पहले ही चिंतित है. 3,000 किलोमीटर लंबी सीपीईसी परियोजना का लक्ष्य चीन और पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल केबल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है. यह परियोजना चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगी है जिससे चीन को अरब सागर का रास्ता मिल जाएगा.
लंबे समय से चीन की चिंता सीपीईसी की सुरक्षा को लेकर रही है. कुछ मौकों पर यहां चीनी नागरिकों के साथ हिंसा भी हुई और इनकी जान भी गई. इस इलाके में सक्रिय विद्रोहियों पर काबू पाने में पाक सरकार भी नाकाम नजर आई है. यहां भारी तादाद में पाक फौज तैनात है इसके बावजूद चीनी कर्मचारियों को खतरा बना रहता है.
चीन ने किया था पाक के आरोपों को खारिज
नवंबर 2017 में चीन ने पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य जनरल के उन आरोपों को खारिज कर दिया था कि भारत ने 50 करोड़ डॉलर की लागत से एक विशेष खुफिया प्रकोष्ठ का गठन किया है ताकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरीडोर (सीपीईसी) में बाधा डाली जा सके. चीन ने कहा कि उसके पास इस तरह की कोई खबर नहीं है.
पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारी रॉ पर सीपीईसी को बाधित करने के आरोप लगाते रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को बलूचिस्तान राष्ट्रवादी बलों के साथ ही बलूचिस्तान प्रांत में इस्लामिक स्टेट के कई हमलों का सामना करना पड़ा था. सीपीईसी चीन के अशांत शिनजियांग प्रांत को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है.